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राहुल की नकारात्मक छवि के साथ मिशन 2024 में दिखेगी खड़गे की कांग्रेस मोदी के मिशन को सफल बनाने में जुटी टीम खड़गे राहुल का जादू समेटने में कामयाब


रितेश सिन्हा, राजनीतिक विश्लेषक


कन्याकुमारी से कश्मीर की पदयात्रा को ऐतिहासिक बनाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जूझारू नेता बनाने में प्रधानमंत्री मोदी के सिपाहसलारों ने खासी भूमिका निभाई थी। इसमें राहुल की लोकसभा की सदस्यता को रद्द करना था। ’माफी नहीं मानूंगा’ और ’डरो मत’ का नारा देने वाले राहुल गांधी अपनी पूरी पदयात्रा के दौरान मोदी बनाम राहुल लहर में पूरे देश की जनता के सामने लपटने में कामयाब रहे थे। इसे आम आदमी के साथ-साथ उनके विरोधी के नेताओं के साथ-साथ कई भाजपाई नेताओं ने माना था। आम नागरिकों की जमात ने इसे भाजपा और मोदी को अपने विपक्षी नेताओं को राजनीतिक कौशल से न चित कर पाने का ये आसान तरीका बताया था। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 1 में अपनी एंग्री यंग मैन की छाप छोड़ने में कामयाब रहे थे। उस दौरान राहुल की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा के बौखलाए नेताओं ने कभी उनकी टीशर्ट, कभी उनकी दाढ़ी और उनके सवालिया अंदाज में तंज कसते हुए उन्हें नायक बना दिया था।
महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले राहुल गांधी, अपार जनसमर्थन मिलने से उत्साहित होते हुए, त्याग की भावना से ओत-प्रोत होकर उन्होंने कांग्रेस का सर्वमान्य अध्यक्ष बनने से इंकार किया। राहुल गांधी उम्रदराज वरिष्ठ दलित नेता के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे को समर्थन देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में कायमाब रहे। कांग्रेस के प्रयासों के बाद भी मुख्यमंत्री न बन पाने की कसक लिए खड़गे अध्यक्ष बनने के बाद प्रधानमंत्री बनने की लालसा पाल बैठे। टिकटों का खेल, ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पदों की बंदरबांट, सीडब्लूसी में वरिष्ठ नेताओं को नजरंदाज कर अपने लोगों की भर्ती, प्रदेशों में नकारा और नाकाबिल प्रभारी बनाकर कांग्रेस की जड़ें सींचने की बजाए सुखाने का काम कर रहे हैं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बहाने चुनाव की पूर्व संध्या में राहुल को दिल्ली से दूर करने का नतीजा अब साफ दिखने लगा है।
टीम खड़गे का कमाल है कि पार्ट 1 में चलने वाली लाखों की भीड़ अब सड़क से गायब दिख रही है। वहीं पश्चिम बंगाल में ममता ने आंखें दिखाते हुए यात्रा को सूबे में समेट दिया। बिहार में यात्रा राजद के नाम रही। यात्रा का ठेका तेजस्वी ने उठा लिया। राहुल को बिहार से बाहर रखने के बाद और कांग्रेसियों से दूर रखने के इनाम के तौर पर अखिलेश सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता दोबारा ले ली। राहुल अब बिहार से आउट हैं और तेजस्वी ने बिहार का मोर्चा संभाल लिया है। यानी राजद के लिए पूरे बिहार में दौरा करने के लिए राह आसान कर दी गई है। अब 3 मार्च को तेजस्वी की यात्रा पटना के गांधी मैदान में एक रैली में समाप्त होगी जिसमें उनके साथ राहुल गांधी भी गठबंधन धर्म निभाते हुए लोगों को संबोधित करेंगे। राजद अब बदली हुई परिस्थितियों में वो 11 सीटें देने की बात चला रही है जिसमें कांग्रेसी चुनाव तो लड़ेगा, पर जीत कर सांसद नहीं बन पाएगा, इसकी घेराबंदी भी लालू परिवार ने प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश के साथ मिलकर तय कर दी है।
राहुल की नकारात्मक छवि को बनाने में उनके हालिया बयानों ने भी खासी भूमिका निभाई है। युवाओं में राहुल का आकर्षण अपनी चमक खो रहा है। रायबरेली जैसी परंपरागत सीट पर कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन से खींजे राहुल ने एक पत्रकार भी पूरी भड़ास निकाल ली। फिर क्या था उनके साथ चल रहे कुछ उत्सा युवाओं ने पत्रकार को जमकर पीटा जिसका वीडियो वायरल भी हुआ। जनता में उत्साह की कमी और कांग्रेसियों का समर्थन न मिलने से टीम राहुल चिंतित है। राहुल की इस यात्रा में भीड़ न जुटने देने का मामला प्रियंका के यूपी छोड़ने के बाद बेरोजगार सेना के नेता बने संदीप सिंह और प्रभारियों के नाम पर उनके जेएनयू वाली टीम ने कांग्रेसियों को सड़क पर न उतरने देने के सारे प्रयास किए हैं। उनके द्वारा किए गए प्रयासों का परिणाम है कि राहुल अब आपे से बाहर हैं। यूपी प्रभारी अविनाश पांडे के बारे में क्या कहना, ये तो मोहल्ले के नेता तक की हैसियत में भी नहीं हैं। बिहार के बाद यूपी में यात्रा को फेल करने का भी ये मिलाजुला प्रयास राहुल को परेशान किए हुए है। बॉलीवुड के महानायक और गांधी परिवार के सौ वर्षों से घनिष्ठ पारिवारिक संबंध रखने वाले अमिताभ बच्चन और उनकी बहू ऐश्वर्या पर भद्दी टिपण्णी राहुल की शालीनता पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। अमिताभ, ऐश्वर्या के अलावा अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जिन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को ख्याति दिलाई है और विशिष्ट पहचान रखने वाली शख्सियत है। राहुल की खीज से उनके अपने प्रशंसकों में निराशा का भाव है।
राहुल के करीबी माने जाने वाले कई कांग्रेसी अब उनका साथ छोड़ चुके हैं। टीम राहुल को भारत जोड़ो पार्ट 2 के असम में घूसने के बाद ही इसका अहसास हो गया था कि यात्रा का ये खेल अब नहीं चलेगा। खड़गे और उनकी टीम के जाल में बुरी तरह फंस चुके राहुल अब यात्रा को समेटने के फिराक में हैं। जब तक राहुल दिल्ली लौटेंगे, तब तक चुनाव का बिगुल बज चुका होगा। खड़गे और उनकी टीम कांग्रेस का टिकट बांट चुकी होगी। ले-देकर राहुल और प्रियंका चुनाव प्रचार करते रहेंगे। परिणाम के बाद लोकसभा में आंकड़ा जस का तस बना रहेगा। भाजपा और मोदी सरकार में ईडी की गांधी परिवार के नजदीकियों पर कार्रवाही और डरो मत और माफी नहीं मागूंगा से बनी राहुल गांधी की जुझारू छवि लोकसभा 2024 की घोषणा तक अपनी चमक खो चुकी होगी। दलित नेता को उभारकर कांग्रेस के वोटबैंक को बढ़ाने का राहुल की रणनीति को दलित अध्यक्ष ने अपनी राजनीति में समेट दिया। किसी तरह इंडी गठबंधन को बचाने में जुटी टीम राहुल क्या कर पाएगी, ये तो चुनाव परिणाम बनाएंगे। इंडी गठबंधन के जयंत के हाथों में भगवा झंडा है और गठबंधन का खाका बनाने वाले नीतीश अब भाजपा के झंडाबरदार हैं।

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