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आगामी रविवार नीट एक्जाम में हो जाये सावधान सचेत क्योकि हर जान है जरूरी :डॉ.एन.पी. गाँधी


वन नेशन वन एग्जाम पर आधारित नीट एक्जाम से पूर्व और पश्चात वन स्टूडेंट वन लाइफ पर भी हो सबकी नजरे :डॉ.एन.पी.गाँधी
स्टूडेंट सेफ्टी के पांच कॉम्पोनेन्ट कोचिंग फेकल्टी ,पेरेंट्स रिश्तेदार मित्र परिजन ,हॉस्टल वार्डन ,सिक्योरिटी गार्ड ,मेस संचालक है सबसे महत्वपूर्ण
 जैसा की विदित है की देश की सबसे जटिलतम एवं बड़ी परीक्षा मेडिकल नीट यूजी 2024 की आगामी 5 मई को होने जा रही है .नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अनुसार परीक्षा में 26 लाख से ज्यादा प्रतियोगी छात्र शामिल होंगे .पुरे देश भर ही नहीं  सिविल सर्विस ,केट  के  बाद इस तीसरे सबसे जटिल मानी जाने वाली इस परीक्षा के भारत ही नहीं अपितु 12 देशो में कुल मिलकर पुरे विश्व में पांच हजार से ज्यादा परीक्षा केंद्र बनाए गए है .नीट परीक्षा जहा एक और भारत सरकार वन नेशन वन एग्जाम थीम  पर हो रही है ,उसी प्रकार सुसाइड प्रिवेंशन में लगातार सक्रिय कोटा शिक्षा नगरी के  ग्लोबल लाइफ कोच युवा मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रेक्टिशनर डॉ नयन प्रकाश गाँधी आगामी वन नेशन वन एग्जाम पर आधारित नीट एक्जाम से पूर्व और पश्चात कोटा शिक्षा नगरी ही नहीं अपितु देश भर के कोचिंग संस्थानों में अध्य्यनरत स्टूडेंट्स के हितार्थ आत्महत्या जैसे  राष्ट्र  निर्माण में बाधक अपराध ,बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए अपने रिसर्च  पर आधारित एक बेहतरीन नवाचार वन स्टूडेंट वन लाइफ अभियान से ऑनलाइन और फिजिकल माध्यम से प्रेरित करने में संलग्न है .गाँधी के गहनता से आत्महत्या के विभिन्न कारणों पर अध्ययन से मालूम हुआ की स्टूडेंट सुसाइड हेतु पिछले एक सप्ताह से पूर्व किसी न किसी रूप में बॉडी ,मानसिक सिग्नल जो की उसके संवाद से बातचीत से विभिन्न रूपों में समझा जा सकता है ,और यही नहीं अधिकतर केसेज में तो स्टूडेंट्स बिस से तिस दिनों पूर्व भी सिग्नल अपने आसपास मित्र ,रिश्तेदार ,पेरेंट्स या गॉर्ड या मेस संचालक ,वार्डन आदि को अवश्य देता है यह विभिन्न पेरेंट्स के संवाद विभिन्न अखबारों की कवर स्टोरी न्यूज और राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिश रिसर्च पेपरों एक्सपर्ट स्टडी से निकल कर आया है  रिसर्च में की स्टूडेंट सेफ्टी के पांच कॉम्पोनेन्ट कोचिंग फेकल्टी ,पेरेंट्स रिश्तेदार मित्र परिजन ,हॉस्टल वार्डन ,सिक्योरिटी गार्ड ,मेस संचालक अगर ये एक निष्ठावान तरीके से सिंसियरली बच्चे के फीडबैक संवाद हाव भाव को  मनोवैज्ञानिक स्तर पर प्राथमिकी नेगेटिव सिग्नल जो 7 दिन से  40 दिन एक्जाम के पूर्व ,कोचिंग टेस्ट देने के पूर्व और  बाद ,कोई मुख्य परीक्षा देने के पूर्व और रिजल्ट आने के प्रतीक्षा करने के  दौरान अगर स्टूडेंट हॉस्टल में रह रहा है तो इन विशेष समयावधि में सभी पांच कॉम्पोनेन्ट को सजग रहकर एक सिस्टेमेटिक अप्रोच फॉलो करनी होगी . दूसरे स्टेज पर बात करे तो  कई बार देखा गया है एडमिशन लिया और कुछ टेस्ट में कम नंबर आने और माता पिता की हॉप को पूरा नहीं कर पाने पर बच्चा अवसाद में आ जाता हैं और पेरेंट्स से ओपन होने की अपेक्षा सु साइड करना सही समझता है ,अब यहाँ गाँधी के अनुसार इस केस में प्राथमिकी स्तर पर जीवन बचाया जा सकता है ,अगर बच्चे के टेस्ट मार्क्स ज्यादा कम है और आपको लगता है उसके कांसेप्ट कुछ माह कोचिंग के बाद भी जस के तस है तो पेरेंट्स को चाहिए की तुरंत अगर बच्चा नार्मल वे में आपकी सहमति से करियर बदल सकता हैं तो वह करियर बदलाव डिसीजन प्रशिक्षित करियर कोच से सलाह लेकर बच्चे को  इंटरनल एक्सटर्नल स्किल सेट एकेडेमिक मार्क्स स्कोर ,लॉजिकल ,साइंटिफिक असेसमेंट आदि द्वारा बेहतर करियर की और सेट करे .तीसरा स्टेज रिपीटर्स स्टूडेंट की आत्महत्या का है  गाँधी के अनुसार मेडिकल नीट एक्जाम में कई रिपीटर्स सरकारी कॉलेज या और अच्छे बेहतर कालेज के चक्रव्यहू में केवल पचास ,सो अंक बढ़ाने के एवज में लगातार स्टडी से तनाव में आ जाते हैं ,ऐसे बच्चे जो रिपीटर्स रहे जिनका कई लगातार वर्षो की तैयारी कई  सारे  अटेम्प्ट देने के बावजूद फाइनल एग्जाम में मार्क्स इच्छानुरूप नहीं आये या पेपर से पूर्व कम आत्मविश्वास या पेपर देने के  बाद एक्जाम के रिजल्ट का तनाव उन्हें कई वर्षो का तनाव ,इस वर्ष की पेरेंट्स की सोसाइटी रिश्तेदारों की आशा उन्हें अंदर ही अंदर अवसाद में डाल देती है और आत्महत्या करना ऐसे बच्चो को फिर से आसान लगता है .अब ऐसी स्थिति ही किसी रिपीटर्स स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को फेस करना पड़े इसका सबसे सही  समाधान है बच्चे के साथ एक्जाम के कुछ माह पूर्व और रिजल्ट आने तक सर्विस क्लास बिजनेस क्लास माता पिता  से एक कोई अपने बच्चे के साथ रहे या पर्सनल कोच फेसेलिटी वाले हॉस्टल में अपने बच्चो को एक सुव्यवस्थित मार्गदर्शन में रखे

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