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नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम से कमतर करने और नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने को ले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया गया प्रशिक्षण

मुंगेर-

नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम से कमतर करने और नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने को ले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया गया प्रशिक्षण। उक्त बातें शुक्रवार को शहर के माधोपुर स्थित एक निजी होटल में नियमित टीकाकरण सुदृढ़ीकरण कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार सिन्हा ने कही। उन्होंने बताया कि जिले में अभी नियमित टीकाकरण का प्रतिशत 75% है इसको 95% से अधिक करने को ले स्वास्थ्य विभाग के डेवलपमेंट पार्टनर डब्ल्यूएचओ, गावी द वैक्सीन अलाइंस और यूनिसेफ के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में जिला स्तरीय अधिकारियों के अलावा सभी प्रखंडों में कार्यरत सीएचसी और पीएचसी के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम और ब्लॉक एमएंडई शामिल हुए। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉक्टर आनंद शंकर शरण सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआईओ) डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह, जिला प्रतिरक्षण कार्यालय और जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारी और डेवलपमेंट पार्टनर डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी, पिरामल स्वास्थ्य, पीएसआई इंडिया और सीफार के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि कार्यशाला के दौरान डब्ल्यूएचओ के सब रीजनल टीम(एसआरटी) लीडर डॉक्टर आशीष टिग्गा, सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर (एसएमओ) डॉक्टर सतीश कुमार और आरआरटी कि डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉक्टर नमीषा के द्वारा नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली विभिन्न प्रकार कि चुनौतियों और उसके समाधान के बारे में ग्रुप वर्क के माध्यम से हेल्थ ऑफिसर के साथ चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि हमलोगों का लक्ष्य जिला में नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को 75% से बढ़ाकर 95% से उससे अधिक पर ले जाना है इसको लेकर सभी प्रखंडों से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम और ब्लॉक एमएंडई के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में चर्चा से यह बात सामने आई कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए सब सेंटर के स्तर पर आशा कार्यकर्ता और एएनएम कि नियमित रूप से बैठक और प्रखंड स्तर से नियमित रूप से विजित कर सर्वे रजिस्टर और ड्यू लिस्ट को वेरिफाई करना है। उन्होंने बताया कि रेगुलर मॉनिटरिंग से ही नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर सही माइक्रो प्लान के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों का कैपिसिटी बिल्डिंग, स्किल डेवलपमेंट करना भी आवश्यक है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डबल्यूएचओ के एसआरटी डॉक्टर आशीष टिग्गा ने बताया कि रूटीन इम्यूनाइजेशन एजेंडा 2030 के अनुसार जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम से कमतर करने के लिए स्ट्रेटजी बनाने और इसके लिए प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंचने और सभी बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण किस प्रकार से किया जाए इसको लेकर हेल्थ ऑफिसर और स्टाफ के साथ यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने बताया कि जीरो डोज वाले बच्चा से तात्पर्य वैसे बच्चों से जो आउटरीच टीकाकारण सत्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। भले उन बच्चों का जन्म अस्पताल में हुआ हो या घर में । ये वो बच्चे हैं जो सप्ताह के उम्र में लगने वाले टीके जैसे पेंटा 1 नहीं ले पाते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। उन बच्चों कि पहचान करना, उनके घर तक पहुंचना और उनको भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है। उन्होंने बताया कि जिला में अभी नियमित टीकाकरण का प्रतिशत लगभग 75% है इसको 95% तक ले जाना और और उसको कायम रखना है। इस कार्यशाला के दौरान नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली परेशानियों और उसके समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।

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