स्वास्थ्य

ठीक होने के बाद 20 टीबी मरीजों को इलाज के लिए पहुंचाया अस्पताल

-क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता की मदद से टीबी मरीजों की कर रहे मदद
-अम्हारा के रहने वाले अजीत कुमार ने 6 महीने में दी टीबी को मात

बांका-

रजौन प्रखंड के अम्हारा गांव के रहने वाले अजीत कुमार नौ महीने पहले टीबी की चपेट में आ गए थे। निजी अस्पताल या दूसरे शहर का चक्कर लगाए बिना वह रजौन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज कराने के लिए गए। छह महीने तक दवा चली तो वह ठीक हो गए। एक जागरूक व्यक्ति की तरह उन्होंने दवा बीच में नहीं छोड़ी। नियमित दवा का सेवन करने की ही वजह से वह समय पर ठीक हो गए। अब वह आशा कार्यकर्ता के साथ मिलकर टीबी मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं। स्नातक के छात्र अजीत कुमार ने अब तक क्षेत्र के 20 टीबी मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया है।
अजीत कहते हैं कि जब मुझे टीबी के लक्षण दिखाई दिए तो मैं सीधा रजौन स्थित सरकारी अस्पताल गया। अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे यह जानकारी थी कि सरकारी अस्पताल में टीबी का बेहतर इलाज होता है। निजी अस्पताल वाले भी बाद में सरकारी अस्पताल ही भेजते हैं, इसलिए मैं समय और पैसे क्यों बर्बाद करूं। यही सोचकर मैं इलाज के लिए सरकारी अस्पताल गया। वहां पर डॉक्टर ने जैसा मुझे बताया, मैंने वैसा ही किया। इसी का परिणाम है कि मैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है। इलाज के दौरान मुझसे एक भी रुपये नहीं लिए गए। जांच, इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिली। ऊपर से जब तक इलाज चला पांच सौ रुपये की राशि भी मिली।
टीबी के लक्षण वाले मरीजों की सूची बनाई और उनसे संपर्क कियाः अजीत कहते हैं कि जब मैं ठीक हो गया तो इसके बाद मैंने पता लगाना शुरू कर दिया कि मेरे गांव या आसपास के क्षेत्र के किन लोगों में टीबी के लक्षण हैं। बहुत ही कम समय में मुझे 20 ऐसे लोगों का पता चला, जिन्हें दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आ रही थी या बलगम के साथ खून आ रहा था या फिर लगातार बुखार आ रहा था, शाम के वक्त पसीने ज्यादा आ रहे थे। मैंने सभी लोगों की एक सूची बनाई और एक-एक कर सभी से संपर्क किया। खुद का हवाला देकर सभी को समझाया कि सरकारी अस्पताल में इलाज बिल्कुल ही मुफ्त है और बेहतर इलाज भी यहां होता है। इसके बाद से सभी लोग सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए राजी हो गए। फिर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से मैंने सभी को सरकारी अस्पताल इलाज के लिए पहुंचाया।
टीबी चैंपियन की बातों पर लोग करते हैं ज्यादा भरोसाः आशा सरिता कुमारी कहती हैं कि वैसे तो मैं टीबी के लक्षण, बचाव और उसके इलाज के बारे में क्षेत्र के लोगों को लगातार बताती हूं। लोगों को जागरूक करती रहती हूं, लेकिन टीबी से ठीक हुए चैंपियन भी जब लोगों को खुद का अनुभव बताते तो उनकी बातों पर ज्यादा भरोसा किया जाता है। यही कारण है कि क्षेत्र के लोग टीबी होने पर तेजी से सरकारी अस्पताल का रुख कर रहे हैं। इस काम में अजीत कुमार हमारी मदद कर रहे हैं।

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