स्वास्थ्य

बच्चों को विभिन्न प्रकार के गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी

– प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को ऑगनबाड़ी केंद्रों पर होता है नियमित टीकाकरण
– बच्चों को बीमारी से दूर रखने के लिए जरूर कराएं टीकाकरण और अनावश्यक परेशानियों से रहें दूर

खगड़िया-

बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण (आरआई) बहुत जरूरी है। यह शरीर में बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। साथ ही एंटीबॉडी बनाकर शरीर को सुरक्षित रखता है। टीकाकरण से बच्चों में जानलेवा बीमारियों का खतरा बहुत अधिक कम हो जाता है। शिशुओं की मौत की एक बड़ी वजह उनका सही तरीके से टीकाकरण नहीं होना है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवनंदन पासवान ने बताया, टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ व्यक्ति की रक्षा करता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। शिशुओं को स्तनपान कराने से भी उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली तेज होती है। टीकाकरण से बच्चों को चेचक, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, इसलिए, टीकाकरण शिशु के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों में होने वाली बीमारियों व संक्रमण का असर तेजी से उनके शरीर पर होता और उनके अंगों को प्रभावित करता है। बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटावायरस वैक्सीन , इंफ्लुएंजा व न्यूमोनिया के लिए टीकाकरण किये जाते हैं।

– प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को ऑगनबाड़ी केंद्रों पर होता है नियमित टीकाकरण :
प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को जिले के ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से नियमित टीकाकरण का आयोजन किया जाता है। जिसके माध्यम से ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर शिविर आयोजित कर एएनएम द्वारा संबंधित क्षेत्र की आशा और सेविका के सहयोग से बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है।

– ये वैक्सीन हैं जरूरी :
बी.सी.जी वैक्सीन : टीबी से फेफड़ों, दिमाग और शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। यह रोग पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है। बीसीजी टीका के जरिये बच्चे को टीबी की बीमारी से बचाया जा सकता है। बच्चें को बच्चों के जन्म लेने के तुरंत बाद उन्हें बैसिले कैल्मेट गुरिन (बीसीजी) के टीके लगाये जाते हैं। यह बच्चों के भविष्य में क्षयरोग, टीबी मेनिनजाइटिस आदि रोगों के संक्रमण की संभावना को कम करता है।

– हेपेटाइटिस ए : हेपेटाइटिस ए विषाणुजनित रोग है, जो लिवर को प्रभावित करता है। दूषित भोजन, पानी या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की वजह से यह रोग फैलता है। बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है। बुखार, उल्टी और जांडिस जैसे रोगों से बच्चा प्रभावित होता है। हेपेटाइटिस ए वैक्सीन का पहला टीका बच्चों को जन्म के 1 साल बाद लगाया जाता और दूसरा टीका पहली डोज के 6 महीने बाद लगाया जाता है।

– हेपेटाइटिस बी : हेपेटाइटिस बी रोग से बच्चों के लिवर में जलन और सूजन हो जाती है। नवजात शिशुओं को जन्म के बाद पहली डोज, 4 हफ्ते बाद दूसरी डोज और 8 हफ्ते के बाद हेपेटाइटिस बी की तीसरी डोज दी जाती है।

– डीटीपी : बच्चों को डिपथीरिया, टेटनस, काली खांसी जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए डीटीपी का टीकाकरण किया जाता है। बच्चों को जन्म के 6 हफ्ते बाद डीटीपी का पहला टीका लगाया जाता है। 4 हफ्ते बाद दूसरा, बाद में 4 हफ्ते के अंतराल पर तीसरा और चौथा टीका 18 महीने और पांचवा टीका 4 साल के बाद लगवाया जाता है।

– रोटावायरस वैक्सीन : रोटावायरस तीन माह से लेकर दो साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इस वायरस से संक्रमित बच्चों को बुखार, पेट में दर्द के साथ उल्टी और पतले दस्त होते हैं।

– टायफॉइड वैक्सीन : टायफाइड दूषित भोजन, पानी और पेय पदार्थ के सेवन से होता है। . बच्चों में होने वाली डायरिया बीमारी दूषित भोजन व पानी के कारण ही होता है.। नवजात के लिए मां द्वारा नियमित स्तनपान बच्चों को डायरिया से बचाता है। . बच्चों को टाइफॉइड वैक्सीन का पहला टीका जन्म 9 महीने बाद और दूसरा टीका इसके 15 महीने बाद लगता है।

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