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आज हमारे गांव और कस्बे आत्मनिर्भर होते तो हमें कोरोना काल में ये दिन न देखने पड़ते- PM मोदी

दो महीने के लॉकडाउन के बाद देश में एक बार फिर से सब कुछ खुल रहा है

देश में बढ़ते कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच PM मोदी ने आज देश की जनता से ‘मन की बात’ की. पीएम ने कहा कि दो महीने के लॉकडाउन के बाद देश में एक बार फिर से सब कुछ खुल रहा है ऐसे में हमें और भी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

 

उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना से डटकर मुकाबला कर रही है साथ ही देश में सभी के सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बड़ी मजबूती से लड़ी जा रही है. पीएम ने एक बार फिर दो गज की दूरी बहुत है जरूरी पर जोर दिया.

 

पीएम मोदी ने कहा कि तमाम सावधानियों के साथ हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुए हैं, यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है. ऐसे में हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्कयकता है. दो गज की दूरी का नियम हो, मुंह पर मास्क लगाने की बात हो, इन सारी बातों का पालन करना है.

 

प्रधानमंत्री ने मन की बात में देश के ऐसे कुछ लोगों का जिक्र भी किया जो कोरोना काल में लगतार लोगों की मदद में लगे हुए हैं. पंजाब के पठानकोट से दिव्यांग भाई राजू ने दूसरों की मदद से जोड़ी गई छोटी सी पुंजी से 3000 से अधिक मास्क बनाकर लोगों में बांटे और 100 परिवारों के लिए राशन जुटाया. सेवाभाव से लोगों की मदद कर रहे ऐसे सभी लोगों की मैं प्रशंसा करता हूं, उनका तहे दिल से अभिनंदन करता हूं.

 

पीएम ने कहा कि एक और बात जो मेरे मन को छू गई, वो है संकट की इस घड़ी में इनोवेशन, गांवों से लेकर शहरों तक छोटे व्यापारियों से लेकर स्टार्ट-अप तक, हमारी लैब्स कोरोना से लड़ाई में नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं, नए इनोवेशन कर रहे हैं. किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है. हजारों साल की मानव जाति की यात्रा लगातार इनोवेशन से ही इतने आधुनिक दौर में पहुंची है.

 

उन्होंने कहा कि देश के श्रमिकों की पीड़ा आज पूरा देश महसूस कर रहा है. रेलवे उनकी सेवा में लगातार लगी हुई है. पूर्वी भारत के लोग देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा करते हैं. प्रवासी मजदूरों को देखते हुए बहुत से कदम उठाना आवश्यक हो गया है और हम उसकी तरफ आगे बढ़ रहे हैं. पीएम ने कहा कि आज आत्मनिर्भर भारत की अत्यधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है. आज हमारे गांव और कस्बे आत्मनिर्भर होते तो हमें कोरोना काल में ये दिन न देखने पड़ते.

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