ज्योतिष

जाने हृदय रोग के ज्योतिषिय उपचार -ज्योतिषाचार्य जयकान्त शर्मा कौण्डिन्य जी से

"स्वास्थ्य एवं रोग" स्तम्भ में आज हृदय रोग

||स्वास्थ्य एवं रोग||
28 मई 2020 के पूछे गए प्रश्नों का उत्तर:-
कल नारनौल हरियाणा से सुरेश राठी जी ने प्रश्न किया की आचार्य जी ज्योतिष से रोग के बारे में आप कैसे पता करते है|हृदय रोग कैसे होता है|अगर आप बता सके तो बताए:-

मान्यवर ,आपके जानकारी के लिए बता दूं कि कुंडली मे लग्नेश की स्थिती जितनी अच्छी होगी व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होगा, क्योकि लग्न भाव ही स्वास्थ्य से संबंधित है और लग्नेश इसका स्वामी है|सूर्य इस भाव का कारक है|
अत: लग्न लग्नेश तथा सूर्य इन तीनों की स्थिति जितनी अच्छी होगी,जातक का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होगा-यह निश्चित है|
कुंडली में षष्ठ भाव से रोग का विचार किया जाता है|मंगल एवं शनि दोनों ही इस षष्ठ भाव के कारक ग्रह हैं|अत:रोग विचार के लिए षष्ठ भाव ,षष्ठेश ,मंगल एवं शनि की स्थिति का अवलोकन करना चाहिए| षष्ठ भाव एवंषष्ठेश पर मंगल या शनि की दृष्टि होने से रोग की संभावना होती है और षष्ठेश का जिस भाव के स्वामी के साथ संबंध हो उन भावों से संबंधित रोग संभव होते है|

|| हृदय रोग ||

सुर्य हृदय का कारक है |चतुर्थ भाव से इसका विचार किया जाता है|षष्ठ स्थान रोग स्थान है|अत: सूर्य तथा चतुर्थ भाव पाप ग्रहों से युत,दृष्ट पीड़ित हों तो हृदय रोग हो सकता है|पंचम भाव से हृदय का विचार किया जाता है|

हृदय रोग के निम्न योग है:

१.षष्ठेश सूर्य पाप से युक्त चतुर्थ में बैठा हो|
२.चतुर्थ व पंचम भाव में पाप ग्रह हों या इन पर पाप प्रभाव हो|
३.पंचमेश तथा द्वादशेश एक साथ छठे ,आठवें या बारहवें भाव में हो|
४.चतुर्थ भाव में सूर्य ,शनि,गुरू तीनों स्थित हों
५.सप्तम या चतुर्थ भाव में मंगल,गुरू,एवं शनि एक साथ हों|
६.पंचमेश तथा सप्तमेश दोनों षष्ठ भाव में हों तथा पंचम या सप्तम में पाप ग्रह स्थित हो|
७.तृतीय,चतुर्थ व पंचम इन तीनों भावों में पाप ग्रह हो|
८.मंगल,गुरू एवं शनि तीनों चतुर्थ में हो, तो हृदय रोग होता है|

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ज्योतिषाचार्य जयकान्त शर्मा कौण्डिन्य

प्रधान कार्यालय -N67/14, अंबा बाग, किशनगंज, दिल्ली -07
acharyajaykant@gmail.com

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