भारत में ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ क्रियान्वित
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY)’ को कार्यान्वित कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य उम्र से संबंधित किसी भी दिव्यांगता/दुर्बलता से पीड़ित वरिष्ठ नागरिकों को सहायक जीवन उपकरण प्रदान करना है।
इन उपकरणों की सहायता से शारीरिक स्थिति को लगभग सामान्य स्थिति के करीब ले जाया जा सकता है। कम दिखने, सुनने में परेशानी, दांतों की हानि और लोको-मोटर दिव्यांगता जैसी प्रकट दिव्यांगता/दुर्बलता को इन उपकरणों से काबू पाया जा सकता है।
बिहार में आरवीवाई के अंतर्गत कुल 7,205 वरिष्ठ नागरिकों को कवर/पंजीकृत किया गया है।
आरवीवाई के अंतर्गत, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को धन आवंटित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसकी एकमात्र कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, कृत्रिम अंग निर्माण निगम को धनराशि जारी की जाती है। आरवीवाई के तहत निगम ने सहायता और सहायक उपकरण वितरित किए हैं जिनकी कुल लागत बिहार में 505.43 रुपए लाख है।
आरवीवाई को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और सहायक जीवन उपकरण प्रदान करने के लिए 01.04.2017 को लॉन्च किया गया था। इस योजना को वर्ष 2020-21 में संशोधित किया गया है। संशोधन के बाद, बीपीएल श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों और मासिक आय 15000/- रुपये से अधिक नहीं, वाले वरिष्ठ नागरिकों को सहायक जीवन उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं।
आरवीवाई के कार्यान्वयन के लिए देश के सभी जिलों का चयन किया गया है। यह योजना जिलों में दो चरणों में लागू की गई है:
- मूल्यांकन शिविर: मूल्यांकन शिविर में, एलिम्को आवश्यक सहायता और उपकरणों के लिए उम्र से संबंधित दिव्यांगता/दुर्बलता से पीड़ित लाभार्थियों की पहचान करता है।
ii. वितरण शिविर: मूल्यांकन शिविर के बाद पहचाने गए लाभार्थियों को सहायता और उपकरण प्रदान किए जाते हैं।
यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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