देशराजनीति, राज की बात (2-pm)संवाद

मतदाताओं का बढ़ता अभिमान

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की है। इन चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छीन लिया है, जबकि मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की है। मुद्दा चाहे नोटबंद का हो या जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का, उज्जवला योजना से नारी शक्ति को बढ़ावा देने का हो या आवास योजना से वंचित लोगों को एक छत दिलाने का, ये परिणाम यह दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं कि देश की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के सभी नीतियों को हृदय से स्वीकार किया है।

भाजपा की इस जीत में जितना योगदान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का है, उतना ही बड़ा योगदान ज़मीनी स्तर पर उनके निर्णयों को क्रियान्वित करने वाले कार्यकर्त्ताओं का भी है और मैं इसके लिए सभी को अत्यंत शुभकामनाएँ और बधाई देता हूँ।

इन परिणामों ने हमारे देश के उन तथाकथित चुनावी पंडितों को भी गहरा झटका दिया है, जो दिन-रात यह मान कर चल रहे थे कि चाहे छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश, भाजपा किसी भी राज्य में पूर्ण बहुमत की स्थिति में नहीं है और सभी राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है।

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ऐसे में, भाजपा ने सभी धारणाओं और मिथकों को तोड़ते हुए एक प्रचंड जीत हासिल की है। बहरहाल, आगामी लोक सभा चुनावों की दृष्टि से सेमी फाइनल माने जा रहे इन चुनावों में भाजपा ने जब इतनी बड़ी जीत हासिल की है, तो स्पष्ट है कि इसका उन्हें 2024 के आम सभा चुनावों के दौरान भी भरपूर लाभ मिलेगा।

भाजपा की 3-1 से जीत से पूरे देश में उत्साह और उत्सव का माहौल देखा जा रहा है। इन परिणामों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज देश की जनता के दिल में केवल और केवल मोदी हैं। 

ये परिणाम यह भी स्पष्ट तौर पर दिखाते हैं कि अब देश में तुष्टीकरण और जाति में बाँटने की राजनीति के दिन समाप्त हो चुके हैं और नया भारत नीतियों और नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर मत देता है। देश की जनता अब अत्यंत जागरूक और शिक्षित हो चुकी है। उन्हें किसी भी स्थिति में बरगलाया नहीं जा सकता है। वे अपना मत उन्हीं को देंगे, जो उनके हितों की रक्षा करेंगे, देश के हितों की रक्षा करेंगे।

जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी केन्द्रीय सत्ता में अपने आगमन के लगभग एक दशक पूरे हो चुके हैं और कई बुद्धजीवि यह आंकलन करते हैं कि अब प्रधानमंत्री मोदी की उम्र 70 वर्ष से अधिक हो चुकी है और उनके चेहरे से भाजपा को नुकसान हो सकता है। 

लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कर्तव्य पराण्यता और कठिन से कठिन परिस्थितियों में अपने दृढ़-निश्चय से एक बार फिर से साबित कर दिया कि उन पर जनता का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा। उनके सतत मार्गदर्शन में भाजपा को तीन राज्यों में जो जीत हासिल हुई है, वह कोई सामान्य जीत नहीं है। इस ऐतिहासिक जीत से देश के कोने-कोने में उनकी जन-स्वीकार्यता की झलक दिखती है।

यह एक बार फिर से साबित हो चुका है कि प्रधानमंत्री मोदी हैं तो मुमकिन है, देश का हर युवा, देश की हर महिला, देश का हर गरीब आज इस बात से सहमत हो चुका है। इस जीत के साथ ही, अब भाजपा या एनडीए गठबंधन की सरकार देश के 17 राज्यों में निश्चित हो चुकी है। 

दूसरी ओर, तीन राज्यों में कांग्रेस को मिली भारी हार से आईएनडीआईए गठबंधन में भी काफी हलचल है। निश्चित रूप से, विपक्षी गठबंधन को कांग्रेस और राहुल गांधी का अति-आत्मविश्वास भारी पड़ गया है। इस वास्तविकता को अब उद्धव ठाकरे से लेकर नीतीश कुमार जैसे सभी महत्वपूर्ण नेता महसूस कर रहे हैं और संभव है कि आने वाले कुछ दिनों में हमें विपक्षी एकता के तार-तार होने की ख़बरें भी मिले।

बहरहाल, यदि हम उन राज्यों की वस्तु स्थिति का आंकलन करें, जहाँ भाजपा ने हालिया चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, तो हम पाएंगे कि कई लोगों को यह लग रहा था कि मध्य प्रदेश में पार्टी सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है।

लेकिन, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसे ‘राज्य स्तर’ के चुनाव से ‘राष्ट्रीय स्तर’ के चुनाव का दृष्टिकोण दे दिया। उनके इस व्यवहार से चुनाव का रोमांच काफी बढ़ गया और उनके लिए श्रेष्ठ भी साबित हुआ। यहाँ लगभग 50 प्रतिशत वोट शेयर मिलना इसकी कहानी को दर्शाता है।

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वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता ने अशोक गहलोत और भूपेश बघेल की ‘रेबड़ी वाली’ राजनीति को सिरे से नकारे हुए, यह स्पष्ट संकेत दिया कि उनकी एक ही रणनीति देश के सभी राज्यों में काम नहीं करने वाली है। यदि उन्हें सच में सत्ता में बने रहना है, तो उन्हें केवल भाजपा के विरुद्ध बयानबाजी करने और उनके नीतियों की नकल करने के बजाय, पारदर्शी और निष्ठापूर्ण तरीके से समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के हितों की रक्षा के कार्य करना होगा। जो उनके लिए असंभव है।

कांग्रेस और सभी विपक्षी दल वर्तमान समय में जनता और कार्यकर्ता की राजनीति के बजाय सोशल मीडिया के इको चेंबर में ही अपने घोषणा पत्रों को बड़ी उपलब्धि समझ रहे हैं। उनकी यह रणनीति उनकी नाकामी की एक बड़ी वजह है और यह उन्हें भारतीय राजनीति के संदर्भ में हासिए पर ले जा कर छोड़ेगी।


इन तथ्यों और परिप्रेक्ष्यों को देखते हुए, यह अभी ही कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 2024 के लोक सभा चुनावों में भाजपा का रास्ता साफ है और नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं। यह एक राष्ट्र के तौर पर, हमारे लिए आवश्यक भी है। हम उनकी छत्रछाया में, इस दशक के अंत तक उन वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्यों को बेहद आसानी से हासिल कर सकते हैं, जिसका संकल्प हमने मिलकर किया था।

– डॉ. विपिन कुमार (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

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