स्वास्थ्य

टीबी है एक संक्रामक बीमारी इसलिए हमेशा रहें सावधान 

– दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी रहने पर तुरंत कराएं जाँच सभी अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त जाँच की व्यवस्था 

– जिलाभर के हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर स्तर पर हो रही है सैम्पलिंग  

– निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि 

मुंगेर, 27 मई=
टीबी एक संक्रामक बीमारी है । इस बीमारी के लक्षण कोरोना से काफी हद तक मिलते-जुलते होते हैं। इसके कारण इस बीमारी का सही पता लगाने में भी परेशानी होती है। ऐसे में पहले से टीबी जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए यह दौर विशेष सतर्कता बरतने का है। क्योंकि इन मरीजों का इम्युन सिस्टम बहुत कमजोर होता है। इसके कारण उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा अन्य मरीजों से कई गुना अधिक है। ऐसी परिस्थिति में सबसे जरूरी है कि टीबी मरीजों की दवा का क्रम न टूटे। कोरोना में जहां लगातार तेज बुखार और खांसी आती है। वहीं टीबी के लक्षणों में थकावट, आम बुखार, वजन गिरना, भूख न लगना और रात में पसीना आना है। 

– हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर टीबी की सैम्पलिंग शुरू : 
डिस्ट्रिक्ट टीबी/एआईवी कॉर्डिनेटर शैलेन्दु कुमार ने बताया कि अब जिले के सभी हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी सैम्पलिंग की सुविधा शुरू कर दी गई है । ताकि संबंधित मरीज सुविधाजनक तरीके से जाँच करा सके और जाँच कराने में उन्हें कोई असुविधा नहीं हो।
उन्होंने बताया कि उक्त सेंटर पर सैंपल लेकर जाँच के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाता है। वहाँ से रिपोर्ट आने के बाद मरीजों को टीबी की दवा उपलब्ध करा दी जाती है। 

आम लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि टीबी का लक्षण महसूस होते ही ऐसे लोगों को बिना देर किए अपनी बलगम सहित अन्य टीबी की जाँच करवानी चाहिए। जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त जाँच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषण आहार के लिए प्रधानमंत्री मंत्री निक्षय पोषण योजना के तहत सहायता राशि भी दी जाती है।

टीबी से बचाव के उपाय :-
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।
– हमेशा मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।

– मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।

– टीबी मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। साथ ही एसी से परहेज करें।

– पौष्टिक खाना खाएं एवं एक्सरसाइज व योगाभ्यास करें।

– बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। 

– भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

ये हैं टीबी के लक्षण:—-
– भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
– बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।
– हलका बुखार रहना, हरारत रहना।
– लगातार खांसी रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
– गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
– गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।

– आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
– पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
– टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है ।

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