स्वास्थ्य

स्वास्थ्य विभाग एवं सीफार  की टीम के संयुक्त प्रयास से फाइलेरिया की दवा खाने से इंकार करने वाले 150 से अधिक लोगों को जागरूक कर खिलाई गई फाइलेरिया रोधी दवा

 – हवेली खड़गपुर के गालिमपुर गांव में कार्यरत मुंगेर – मिर्जाचौकी एनएच 80 फोरलेन के प्रोजेक्ट ऑफिस में कर्मियों को खिलाई गई दवा  

– एमडीए अभियान के मॉप अप राउंड के अंतर्गत छूटे हुए लोगों और दवा खाने से इंकार करने वाले लोगों खिलाई जा रही है दवा  

मुंगेर-  सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम एमडीए अभियान में स्वास्थ्य विभाग कि सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा फाइलेरिया की दवा खाने से इंकार करने वाले 150 से अधिक लोगों को जागरूक कर फाइलेरिया रोधी दवा खिलायी गयी । इस आशय की जानकारी गुरुवार को डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि हवेली खड़गपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत गालिमपुर गांव में मुंगेर और मिर्जाचौकी तक एनएच 80 के फोरलेन का काम करने वाली कंपनी के बेस कैंप में दवा खाने से इंकार करने वाले 150 से अधिक वर्कर और अधिकारियों को फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए एमडीए राउंड के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा सेवन का महत्व समझाते हुए अल्बेंडाजोल और डीईसी दवाओं का सेवन कराया गया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से व्यक्ति जीवन भर के लिए एक दिव्यांग कि जिंदगी जीने को विवश हो जाता है। इससे बचने का एक मात्र और सरल तरीका यह है कि साल में एक बार जब सरकार के द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) राउंड चलाया जाता है उस समय सभी लोगों को चाहे वो फाइलेरिया के मरीज हो अथवा नहीं फाइलेरिया रोधी दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी के टैबलेट्स का सेवन कर लेना चाहिए क्योंकि फाइलेरिया एक प्रकार के विशेष मच्छर क्यूलेक्स के काटने से होने वाली बीमारी है और इस बीमारी का लक्षण मच्छर के काटने के पांच से 10 साल के बाद ही दिखाई देता है। कोई भी व्यक्ति यह नहीं जानता है कि मच्छर ने उसे काटा है अथवा नहीं और बीमारी का लक्षण भी काफी समय के बाद दिखाई देता है इसलिए सभी लोगों को लगातार पांच वर्षों तक एमडीए राउंड के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर लेना चाहिए ताकि उसे भविष्य में हाथीपांव या फाइलेरिया कि वजह से एक दिव्यांग कि जिंदगी नहीं जीना पड़े। प्रोजेक्ट बेस ऑफिस में कर्मियों और अधिकारियों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करवाने वाली टीम में हवेली खड़गपुर प्रखंड के वेक्टर बोर्न डिजीज सुपरवाइजर शिशुपाल आनंद, सीफार के ब्लॉक कॉर्डिनेटर आनंद कुमार, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर गालिमपुर में कार्यरत एएनएम रक्षा कुमारी, सरिता कुमारी, अनीता सिन्हा और आशा कार्यकर्ता वीणा कुमारी और इंदू कुमारी शामिल थे।  मुंगेर मिर्जाचौकी एनएच 80 फोरलेन का काम करने वाली कंपनी के बेस ऑफिस में काम करने और फाइलेरिया कि दवा सेवन करने वाले कर्मी विनोद सिंह ने बताया कि आज से पहले तक मुझे मालूम नहीं था कि फाइलेरिया कि दवा हर किसी को खाना चाहिए भले ही वो फाइलेरिया का मरीज हो अथवा नहीं। हमलोग यह समझ रहे थे मुझे तो हाथी पांव या फाइलेरिया नहीं है तो फिर मैं क्यों फाइलेरिया कि दवा खाऊं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पेपर में पढ़ा था कि फाइलेरिया कि दवा खाने के बाद कुछ बच्चों कि तबियत बिगड़ गई थी इसको लेकर मुझे भी लग रहा था कि फाइलेरिया कि दवा खाने के बाद मैं भी यदि बीमार पड़ गया तो कामकाज प्रभावित हो जाएगा। इसकी वजह से मेरे अलावा कई लोग दवा नहीं खाना चाहते थे।  कंपनी में ही काम करने वाले एक अन्य कर्मी राहुल कुमार ने बताया कि यहां पर दवा खिलाने वाले स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि साल में कम से कम एक बार जब देश भर में एमडीए अभियान के दौरान सभी लोगों को फाइलेरिया कि दवा खिलाई जाती तो दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया कि दवा का सेवन कर लेना चाहिए भले ही वो फाइलेरिया का मरीज हो अथवा नहीं। फाइलेरिया कि दवा खाने के बाद भविष्य में लोग फाइलेरिया जैसी स्थाई रूप से दिव्यांग बनाने वाली बीमारी से खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों ने मुझे यह भी बताया कि जिस किसी भी व्यक्ति के शरीर में पहले से फाइलेरिया का परजीवी मौजूद रहता है वैसे लोगों को ही फाइलेरिया कि दवा खाने के बाद पेट दर्द, सिर दर्द, उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । कुछ समय के बाद ये लक्षण अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसके बाद मैं और मेरे साथ काम करने वाले सभी कर्मी और अधिकारियों ने फाइलेरिया कि दवा के रूप अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा का सेवन किया और अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का संकल्प लिया ।

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