देश

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र पर केंद्र सरकार ने जड़ा ताला

अवैध रूप से काबिज पूर्व सांसद प्रवीण ऐरन को झटका 

-रितेश सिन्हा की खास रिपोर्ट।

 नई दिल्ली-

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय पर शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि एवं विकास कार्यालय ने ताला जड़ते हुए इसे सरकारी संपत्ति करार दिया। आपको बता दें कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र दिल्ली में सोसाइटी एक्ट संख्या 3580/68 के तहत पंजीकृत है। फर्जी तरीके से पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन पर दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के पारिवारिक संबंधों की वजह से संस्था में कब्जा जमाने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार जेएनएनवाईसी में स्वर्गीय तिवारी के दिवंगत पुत्र रोहित तिवारी और उज्ज्वला शर्मा, ने संस्था में मनमानी शुरू कर दी थी, उसका विरोध तत्कालीन महासचिव इंदिरा मायाराम, कार्यकारी अध्यक्ष सांसद स्वर्गीय गोवर्धन रेड्डी, पद्मश्री दिवंगत गांधीवादी एसएम सुब्बाराव समेत दर्जनों सदस्यों ने किया था। इसके बाद उज्ज्वला शर्मा को पद से हटाते हुए स्वर्गीय मोतीलाल वोरा को अपना अध्यक्ष चुन लिया गया था। पूर्व गवर्नर व केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय मोतीलाल वोरा आल इंडिया कांग्रेस कमिटी के लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे। उसके बाद से ये विवाद दिल्ली उच्च न्यायालय एवं दिल्ली सत्र न्यायालय में विचाराधीन है।

ऐरन पर आरोप है कि वे संस्था के पदाधिकारियों पर अपनी वकीलों के फौज के जरिए झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के साथ मुकदमे दर्ज कराते रहे हैं। ऐसा ही एक फर्जी मुकदमा संस्था के महासचिव पुरूषोत्तम गोयल के खिलाफ 20 हजार छीनने और कीमती घड़ी की चोरी की रिपोर्ट दर्ज करायी गई थी, साथ ही संस्था के राष्ट्रीय कार्यक्रम संयोजक भूपेंद्र प्रसाद के खिलाफ भी मारपीट और छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था। गोयल दिल्ली मेट्रो काउंसिल के चेयरमैन रहे हैं, वर्तमान ये काउंसिल दिल्ली विधान सभा के रूप में अब जानी जाती है। आईपी एस्टेट पुलिस थाने में दर्ज इस रिपोर्ट को विवेचना कर 21 फरवरी 2021 को असत्य बताते हुए हाईकोर्ट को इस संदर्भ में सूचित भी कर दिया। ऐरन अपने रसूखों के बूते पर संस्था में किसी अन्य को प्रवेश करने नहीं दे रहे। प्रवीण सिंह ऐरन के अनैतिक और अवैध कारोबारों की लंबी सूची है। होटल के कारोबार से जुड़े प्रवीण सिंह ऐरन जेएनएनवाईसी में बकायदा गेस्ट हाउस चला रहे थे। इतना ही नहीं बरेली में बकायदा बारात घर भी चलाए जा रहे हैं, जिसकी शिकायत इंदिरा मायराम ने 6 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को की थी। इस पर बरेली के जिलाधिकारी ने 26 जुलाई 2017 को जांच कर एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपी थी जिसमें बकायदा पूर्व सांसद ऐरन के द्वारा अनैतिक रूप से बारात घर चलाए जाने का जिक्र है। ऐसे बारात घर कानपुर, लखनऊ में भी संचालित किए जा रहे हैं। 4 फरवरी 2021 को देश के कई प्रमुख समाचार पत्रों में ऐरन के अवैध गतिविधियों को संज्ञान में लेते हुए इनको निष्कासित करने की सूचना प्रकाशित की गई थी। नोएडा स्थित जेएनएनवाईसी में संस्था के कागजात का फर्जीवाड़ा करते हुए सीबीएसई के उच्चस्थ पदाधिकारियों की मिलीभगत से एक इंटरनेशनल स्कूल संचालित कर मोटी फीस वसूली की जा रही है। इस मामले को लेकर बकायदा दिल्ली कड़कड़डुमा कोर्ट में वाद संख्या 370/2022 अब भी विचाराधीन है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने 24 फरवरी 2015 में इस आवंटन को निरस्त भी कर दिया था। यूपी विधानसभा में भी 13 जुलाई 2017 को विधायक दलवीर सिंह के तारांकित प्रश्न 6 के जवाब में विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया गया कि 24 फरवरी 2015 को जमीन आवंटन का निरस्त्रीकरण किया गया जिसके बाद ऐरन हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने भी 8 जुलाई 2016 के अनुपालन में निरस्त्रीकरण की कार्रवाही की। मगर अधिकारियों के मिलीभगत से स्कूल और बारात घर दोनों अब भी संचालित किए जा रहे हैं। फायर ब्रिगेड और शिक्षा निदेशालय ने एक खास डील के तहत एनओसी भी जारी किया है। इन सब क्रियाकलापों से आहत संस्था के सदस्यों ने बकायदा इन्हें पदच्युत भी कर दिया था। मगर मोदी-शाह की फोटो का खेल करके ये जनाब स्वर्गीय तिवारी की पत्नी उज्ज्वला को साधकर अपना कारोबार चलाते आ रहे हैं। अग्नि ऐव जीवन सुरक्षा प्रमाण पत्र का नवीनीकरण भी ऐरन के भाई इंदू ऐरन अपने रसूख के बूते हासिल कर रहे हैं। ये सर्टिफिकेट मुख्य अग्निशमण अधिकारी अरूण कुमार सिंह द्वारा 30 जनवरी 2019 को 3 साल के लिए जारी किया गया था। वहीं नोएडा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी धीरेंद्र कुमार के द्वारा 7 दिसंबर 2020 को स्कूल के लिए मान्यता पत्र जारी किया गया। इन सभी फर्जीवाड़े पर संज्ञान में लेते हुए एडवोकेड शास्वत कुमार ने बकायदा शिक्षा विभाग, सीबीएसई और नोएडा प्राधिकरण को नोटिस भी जारी किया। इस पर अब तक कोई कार्रवाही नहीं हुई है।शनिवार सुबह को शहरी विकास मंत्रालय ने शिकायतों की जांच के बाद एक बड़ी कार्रवाही करते हुए जेएनएनवाईसी के केंद्रीय कार्यालय को पूरी तरह सील कर दिया। ऐरन के वकील खबरनवीसों को स्वयंभू ट्रस्टी बताते रहे, जबकि ये पारिवारिक ट्रस्ट है, जिसमें उनकी पत्नी, भाई और उनके मातहत कर्मचारियों के नाम हैं, जिसे एलएनडीओ ने जांच के बाद फर्जी पाते हुए जेएनएनवाईसी पर कार्यवाही की। इस बाबत हमने पहले भी कई खबरें प्रकाशित की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए ये बड़ी कार्यवाही की गई। दिल्ली के दीनदयाल मार्ग पर स्थित इस सील की गई इमारत में एक बड़े अखबार और एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान है जिस पर एलएनडीओ के साथ मुकदमा लंबित है, इन दोनों कार्यालय को छोड़ा गया है। विदित हो कि अपने को 1988 से महासचिव बताने वाले प्रवीण सिंह ऐरन का 2014 से पहले संस्था में कोई इतिहास नहीं है। हाल ही में हरिद्वार के जिलाधिकारी को लिखे पत्र में उन्होंने एक बिजली का मीटर लगवाने का सबूत पेश किया है जिसकी प्रति हमारे पास है। इस पत्र में ऐरन के महासचिव होने का कोई प्रमाण नहीं है। 1988 वाला पत्र भी हमारे पास है जिसमें इनको महासचिव बनाने की संस्तुति की गई है, मगर इसका अनुमोदन पत्र अब तक संस्था एवं अन्य निकायों के पास उपलब्ध नहीं है। संस्था के संस्थापक स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, तत्कालीन कोषाध्यक्ष दिवंगत शंकर दत्त शर्मा, महासचिव पुरूषोत्तम गोयल सहित अनेक पदाधिकारियों ने 1968 से रजिस्ट्रार द्वारा मांगी गई जानकारी में भी संस्था के अध्यक्ष और महासचिव के द्वारा जमा की गई सूची में प्रवीण सिंह ऐरन का कहीं अता-पता नहीं दिखता। मगर स्वयंभू महासचिव रसूखों के बदौलत आज भी अपना दावा ठोक रहे हैं। दल-बदल और पैंतरा बदलने में माहिर ऐरन अब किस रसूख का इस्तेमाल करेंगे, इस पर हमारी नजर बनी रहेंगी।

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