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विश्व गर्भनिरोध दिवस (26 सितम्बर 2023) के अवसर पर “प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक पर युवा जोड़ों की पसंद और आवाज को सशक्त बनाने हेतु” कार्यशाला आयोजित

   विश्व गर्भनिरोध दिवस, 2023 के अवसर पर बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक पर युवा जोड़ों की पसंद और आवाज को सशक्त बनाने हेतु कार्यशाला का आयोजन होटल चाणक्या में सम्पन्न हुआ। बिहार ने पिछले दशक में परिवार नियोजन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। वर्ष 2015-2020 के बीच बिहार में आधुनिक गर्भनिरोध के प्रचलन दर में 21% की वृद्धि तथा अपूरित मांग में 7.6% की कमी दर्ज की गई । परिवार नियोजन के सकेतकों में सकारात्मक बदलाव की गति को जारी रखने के लिए  युवा जोड़ों का क्षमता वर्धन उपलब्ध गर्भनिरोधक साधनों पर होना महत्वपूर्ण है। जब युवा दंपत्ति बच्चों के जन्म में देरी करते हैं एवं दो बच्चों के बीच आवश्यक अंतर लाते हैं, तो उन्हें अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने, संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने, अपने मौजूदा बच्चों और परिवार में निवेश करने, और आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने की क्षमता मिलती है । विश्व गर्भनिरोध दिवस के थीम – विकल्पों की शक्ति – को दर्शाने के लिए और युवा जोड़ों के प्रजनन विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार ने सेंटर फॉर कैटलाइजिंग चेंज (C3) के साथ संयुक्त रूप से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह कार्यशाला “ प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक पर युवा जोड़ों की पसंद और आवाज को सशक्त बनाने” पर केन्द्रित थी । कार्यशाला ने युवा जोड़ों की गर्भनिरोधक तक पहुंच के बारे में साक्ष्य और अच्छी प्रथाओं पर चर्चा करने के लिए क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञों को एक साथ एक मंच पर लाने का भी महत्वपूर्ण पहल किया ।  कार्यक्रम की शुरुआत सीनियर स्पेशलिस्ट, कनीज फातिमा के द्वारा की गई उन्होंने कार्यक्रम की रूप रेखा बताते हुए कहा की यह कार्यशाला प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक पर युवा जोड़ों की पसंद और आवाज को सशक्त बनाने, वर्तमान प्रयासों के ऊपर जायजा लेकर मति मंथन करने, और भविष्य की जरूरतों की कल्पना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । इस कार्यशाला की मुख्य कार्यसूची युवा जोड़ों की स्वायत्तता को बढ़ावा देने और उन्हें अपने प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाने, परिवार नियोजन की अधूरी आवश्यकताओं को कम करने के लिए बेहतर पहुंच बनाने और गर्भनिरोधक विकल्पों का विस्तार करने के बारे में रणनीति बनाना था ताकि परिवार नियोजन का बोझ पूरी तरह महिलाओं की जिम्मेदारियों में गणना नहीं की जाए। प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक तक पहुंच बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यक्तियों और दम्पत्तियों को अपने प्रजनन भविष्य को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करती है। यह उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों और परिस्थितियों के साथ परिवार नियोजन का तालमेल बिठाते हुए, परिवार शुरू करने या विस्तार करने के बारे में सूचित निर्णय लेने का अधिकार देता है। प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए जानकारी एवं पहुँच महत्वपूर्ण घटक हैं। कार्यशाला के दौरान डॉक्टर वाई एन पाठक, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, आशा के द्वारा प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक को ग्राउंड जीरो पर पहुँचाने की अपील करते हुए स्वस्थ्य एवं आरोग्य केंद्र तक सुविधाओं को पहुँचाने की जरुरत पर बल दिया ताकि परिवार नियोजन 2030 के लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके । डॉक्टर सरिता, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृत्व स्वस्थ्य ने बताया की परिवार नियोजन के संकेतकों में गुनात्मक वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव पुरे स्वस्थ्य व्यवस्था पर पड़ता है एवं मातृत्व मृत्य दर की दर को कम करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. परिवार नियोजन के क्षेत्र में बिहार की प्रगति दरअसल स्वस्थ्य एवं महिला अधिकारों की बेहतरी के संकेत हैं.  कार्यशाला के दौरान डॉक्टर ए. के. शाही, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परिवार नियोजन, राज्य स्वास्थ्य समिति ने अपने संबोधन में बिहार राज्य में परिवार कल्याण कार्यक्रम के सकेतकों के गुणात्मक बढोत्तरी एवं इसकी पहुँच आम जन मानस तक सुनिश्चित करने में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका एवं परिवार नियोजन 2030 के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए राज्य के लिए कार्यक्रम संबंधी प्राथमिकताओं के बारे में अपनी बात रखी । उन्होंने परिवार नियोजन की सेवाओं की उपलब्धता एवं पहुँच ग्रामीण इलाकों तक ले जाने की जरुरत पर बल दिया ताकि मांग के अनुसार योग्य दम्पत्तियों को गर्भनिरोधक साधनों की आपूर्ति की जा सके.  सुश्री मधु जोशी, प्रमुख – जेंडर इक्विटी, C3 ने युवा दम्पत्तियों हेतु अपनी आवश्यकता एवं पसंद के अनुसार गर्भनिरोधक साधनों की उपलब्धता  के महत्व एवं प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक के बारे में विस्तार से विभिन्न जानकारियों को साझा किया।परिवार नियोजन पर भारत सरकार के तकनीकी संसाधन समूह की सदस्य डॉ. रोली सेठ ने परिवार नियोजन 2030 के ढांचे के भीतर राष्ट्रीय कार्यक्रम में मौजूदा उपलब्ध गर्भनिरोधक साधनों (बास्केट ऑफ़ चॉइस) के विकल्पों के विस्तार की जरूरतों पर अपनी बात रखी ।कार्यशाला के माध्यम से युवाओं के साथ प्रमुखता से कार्य करने वाले विभिन्न सरकारी/स्वयंसेवी संगठनों के बीच सहयोग और अभिसरण की प्रगाढ़ता भी सुनिश्चित हुई । पंचायती राज, जीविका, समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस), और समुदाय-आधारित नागरिक समाज संगठन जैसे हितधारक की इस अभियान (प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक पर युवा जोड़ों की पसंद और आवाज को सशक्त बनाने) में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि उनका समुदायों से सीधा जुड़ाव होता है, और वे सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीय कार्यान्वयनकर्ता के रूप में अपनी भूमिका भी निभाते हैं।राज्य स्वस्थ्य समिति बिहार से डॉ. ए.के. शाही, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परिवार नियोजन; डॉ सरिता, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृत्व स्वस्थ्य; डॉ वाय. एन. पाठक, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, आशा; डॉ. श्रीनिवास, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, युवा स्वास्थ्य, श्री अविनाश कुमार पांडेय, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, श्री निशांत सिसोदिया, उप निदेशक, परिवार नियोजन कार्यक्रम के साथ विभाग एवं महाविद्यालयों के अन्य पदाधिकारीगण समेत विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों/संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद थे.

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