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खगड़िया जिले में परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन को अपनाने में हुई वृद्धि 

– एनएफएचएस – 4 की  जारी रिपोर्ट के मुताबिक 28.9 % और एनएफएचएस – 5 की  जारी रिपोर्ट के मुताबिक 40.9 % लाभार्थियों ने अपनाए  स्थाई और अस्थाई साधन
– सामुदायिक स्तर पर लोगों में जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से हुई वृद्धि

खगड़िया, 20 अक्टूबर। जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों और विभिन्न कार्यक्रमों का जिले में  सकारात्मक बदलाव दिखने लगा है ।  अब परिवार नियोजन के लिए सामुदायिक स्तर हर तबके के लोग आगे आ रहे हैं। जिसका  सकारात्मक परिणाम यह है कि परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन को अपनाने  में वृद्धि हुई है, जो सामुदायिक स्तर पर  सकारात्मक बदलाव का बड़ा प्रमाण है। एनएफएचएस – 4 की  जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिले के 28.9 % योग्य लाभार्थियों ने परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन अपनाए थे । जबकि, एनएफएचएस – 5 की  जारी रिपोर्ट के मुताबिक यह ऑकड़ा बढ़कर 40.9 % हो गया है । यानी जिले में स्थाई और अस्थाई साधन को अपनाने में 12 % की वृद्धि हुई।

– सामुदायिक स्तर पर लोगों में जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से हुई वृद्धि :
सिविल सर्जन डाॅ अमरनाथ झा ने बताया, यह वृद्धि स्वास्थ्य कर्मियों की  कड़ी मेहनत और  सकारात्मक सहयोग के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर लोगों की  जागरूकता का नतीजा है। जनसंख्या स्थिरीकरण को बढ़ावा देने के परिवार नियोजन पखवाड़ा का लगातार आयोजन होता है। जिसके माध्यम से दंपत्ति संपर्क अभियान के तहत स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को परिवार नियोजन के साधन को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस  दौरान अस्पतालों में उपलब्ध सुविधा, परिवार नियोजन को अपनाने से होने वाले फायदे, छोटा और खुशहाल परिवार निर्माण और गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जीने के लिए परिवार नियोजन के  साधन को अपनाना कितना जरूरी है, समेत अन्य आवश्यक और जरूरी जानकारी दी जाती है। इसमें आशा कार्यकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। वहीं, उन्होंने बताया, इसके अलावा  प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली  सभी प्रसूति  महिलाओं को प्रसव के बाद अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एएनएम, ममता एवं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी जागरूक किया जाता है।

–  लाभार्थियों के साथ-साथ उनके परिवार वालों को भी करती हैं जागरूक :
खगड़िया प्रखंड अंतर्गत बछौता गाँव की आशा फे फैसिलिटेटर डेजी कुमारी ने बताया, परिवार नियोजन के साधन को अपनाने के लिए घर-घर जाकर  योग्य लाभार्थियों से मुलाकात करती हूँ और लाभार्थी सहित उसके परिवार के सदस्य (जैसे – पति, सास-ससुर) को भी जागरूक करती हूँ। दरअसल, परिवार नियोजन को अपनाने के लिए पुरुषों और घर के बुजुर्गों की  भी सहभागिता बेहद जरूरी है। क्योंकि, कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि महिलाएं परिवार नियोजन के साधन को अपनाने के लिए इच्छुक रहती  किन्तु, कभी उसके पति तो कभी घर के बुजुर्ग महिला इंकार कर देती हैं । इसलिए, पुराने  ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर निकालने के लिए सामुदायिक स्तर लोगों को जागरूक करने की जरूरत होती है।

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