स्वास्थ्य

बेलहर के मधुबन की रहने वाली नूतन ने महज छह माह में दी टीबी को मात

-नियमित तौर पर दवा का सेवन करने से मिला फायदा
-अब वह दूसरों को भी टीबी को लेकर कर रहीं जागरूक

बांका, 17 जुलाई-
 
बेलहर प्रखंड के मधुबन की रहने वाली नूतन कुमारी महज 19 साल की उम्र में टीबी की चपेट में आ गई थी। न खांसी होती  और न ही बलगम के साथ खून आने की समस्या थी। हालांकि बुखार रहता था। पहले तो ग्रामीण स्तर के डॉक्टर से दिखाया, लेकिन जब ठीक नहीं हुई तो सदर अस्पताल गई। वहां पर जांच में जब टीबी की पुष्टि हुई तो जिला यक्ष्मा केंद्र से नूतन का इलाज चला। वहां पर डीपीएस गणेश से नूतन की मुलाकात हुई। गणेश झा ने नूतन की सही काउंसिलिंग की और इसके बाद उसका इलाज शुरू हुआ। छह महीने तक इलाज चलने के बाद नूतन पूरी तरह से स्वस्थ हो गई। अब वह स्वस्थ जीवन जी रही है।
नूतन कहती है कि मैं जब बीमार पड़ी थी तो मुझमें टीबी के लक्षण नहीं थे। हां, बुखार आता था। मुझे लगा कि यह एक सामान्य बीमारी है, लेकिन जब ठीक नहीं हुई तो सदर अस्पताल इलाज कराने के लिए गई। वहां पर मेरी मुलाकात डीपीएस गणेश झा जी से हुई। उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया और समझाया कि टीबी का इलाज संभव है और यह सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त में होता है। इससे मुझे बड़ी तसल्ली हुई, क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं थी कि मैं दवा और इलाज का खर्च वहन कर सकूं। इसलिए जब मैंने यह जाना कि टीबी के इलाज का पैसा नहीं लगेगा तो मुझे बहुत राहत मिली। इसके बाद मेरा इलाज शुरू हुआ। छह महीने तक मैंने दवा का नियमित सेवन किया। इसके बाद जब मैं दोबारा जांच कराने गई तो स्वस्थ निकली। अब मुझे कोई परेशानी नहीं होती है। हां, मैंने इस दौरान एक बार भी दवा का सेवन करना नहीं भूली। जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों के साथ-साथ मैं सरकार का भी शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि मेरे जैसी गरीब लड़की का बिल्कुल मुफ्त में इलाज करवाया। अब तो मैं दूसरे लोगों को भी सरकार की इस सुविधा के बारे में बताती हूं।
शुरुआत में इलाज होने पर जल्द हो जाएंगे ठीकः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते  हैं कि टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त है। इस बात को आमजन तक पहुंचाना बड़ी जिम्मेदारी है। हमलोग इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसका असर भी पड़ रहा है। अब जिले के अधिकांश लोगों को टीबी के लक्षण, इसके इलाज के बारे में जानकारी मिल रही है। अभियान के जरिये लोगों तक जानकारी पहुंचाई जा रही है। नूतन का शुरुआती दौर में इलाज हो गया तो यह छह महीने में ही ठीक हो गई। इसी तरह अन्य लोग भी शुरुआत में इलाज करवा लें तो ज्यादा बेहतर रहेगा। कम समय में ही ठीक हो जाएंगे। पैसे की चिंता नहीं करें। इलाज तो मुफ्त होगा ही, साथ में जब तक इलाज चलेगा, तब तक सरकार की ओर से पांच सौ रुपये प्रतिमाह पोषण के लिए भी दिया जाएगा।

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