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राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी जयंती पर ई संगोष्ठी आयोजित

राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी महाराज के राष्ट्र गौरव के लिए सर्वस्व बलिदान को किया गया याद

मोतिहारी। राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र मोतिहारी के तत्वावधान में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर ई – परिचर्चा का आयोजन किया गया। राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी महाराज और राष्ट्र गौरव विषयक इस ई – परिचर्चा की अध्यक्षता भारत विकास परिषद के पूर्व राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री एवं अध्यक्ष ई. गिरीश प्रसाद सिंह ने की। वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. कुमार रत्नम की विशेष उपस्थिति रही । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि के तौर पर महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बेटी फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर जिया मंजरी मौजूद रहीं । विषय प्रवर्तन एवं अतिथि स्वागत राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय संरक्षक एवं आचार्य भरत मुनि संचार शोध केंद्र, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रमुख डॉ. साकेत रमण ने किया ।

डॉ. रमण ने परिचर्चा की नींव रखते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि वीर शिवाजी ने वर्तमान हिंदू अस्मिता एवं हिंदू स्वराज को मान्यता दिलाई । हिंदू राष्ट्र गौरव की भावना बचपन से ही उनके भीतर थी। डॉ. रमण ने कहा कि उनकी माता जीजाबाई और गुरु समर्थ गुरु रामदास जी के मार्गदर्शन में शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व व चरित्र का निर्माण हुआ और जिसने उनके भीतर राष्ट्र गौरव की विचारधारा का प्रवाह करने का कार्य किया । वीर शिवाजी ने हिंदू – राष्ट्र की स्थापना डक्कन के क्षेत्र में की और आदिल शाह के कई किले जीत कर हिंदू स्वराज की स्थापना की। शिवाजी ने सनातन धर्म ध्वजा को फहराया। विशिष्ट अतिथि जिया मंजरी ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में उनकी माता जीजाबाई का अहम योगदान रहा और किसी भी साम्राज्य की स्थापना में महिलाओं का अहम योगदान रहता है । उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज सदैव ही मराठा साम्राज्य के विस्तार और मुगलों से भारत को मुक्त कराने हेतु संघर्ष करते रहे और मुगल शासकों को पराजित करते हुए वे अपने विचारधारा को जमीनी स्तर पर प्रभाव में ले आए ।

मुख्य वक्ता प्रो. अरुण भगत ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज को भारतीय इतिहासकारों ने कुशल योद्धा और रणनीतिकार कहा पर कुछ तथाकथित भारतीय लेखकों ने शिवाजी महाराज के वास्तविक छवि के साथ न्याय नहीं किया । छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय अस्मिता एवं राष्ट्र गौरव के प्रतीक पुरुष हैं और भारतीय संस्कृति और सभ्यता के संपोषक राष्ट्रनायक हैं । शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत के रूप में भारतीय के पर्याय पुरुष हैं । प्रो. भगत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदू साम्राज्य में सभी धर्म के लोगों को समान अधिकार दिए जाते थे और सबका सम्मान होता था।

परिचर्चा के मुख्य अतिथि प्रो. कुमार रत्नम ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्व के जागरण को क्रांति का रूप देने का कार्य किया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा हिंदू साम्राज्य की स्थापना की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि विजयनगर साम्राज्य के बाद नवीन भारत के सबसे पहले हिंदू साम्राज्य की स्थापना शिवाजी महाराज ने की । प्रो. कुमार रत्नम ने कहा कि शिवाजी महाराज ने लोक – कल्याणकारी तत्वों को आधार में रखकर सामाजिक समरसता बनाते हुए हिंदू साम्राज्य की स्थापना की । उनका सैद्धांतिक अधिष्ठान और कूटनीतिक व्यवस्था के साथ युद्ध कौशल और पराक्रम ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है। छत्रपति शिवाजी महाराज असल मायने में राष्ट्र नायक हैं ।

अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान ई. गिरीश प्रसाद सिंह ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीयता की विचारधारा के आधार स्रोत हैं । उनका योगदान युवा पीढ़ी और समस्त राष्ट्र के बीच राष्ट्रीयता की भावना का प्रवाह करेगा । उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा इस महत्वपूर्ण आयोजन हेतु सभी आयोजकों को शुभकामनाएं दी ।कार्यक्रम का संचालन राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय संयोजक एवं आपका हरकारा न्यूज नेटवर्क के संपादक नवीन तिवारी ने किया । आयोजन समिति में शशिरंजन कुमार मिश्र और आशीष कुमार शामिल रहें । कार्यक्रम का लाइव प्रसारण आपका हरकारा के फेसबुक पेज के माध्यम से शाम 7 बजे से किया गया ।

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