स्वास्थ्य

पहले टीका लेने से डरते थे, अब फोन कर पूछते हैं कब लगेगा शिविर

कोरोना के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम में जागरूकता अभियान ला रहा रंग
खरीक में जीविका के सदस्यों ने टीका के प्रति लोगों के भ्रम को किया दूर

भागलपुर, 20 जुलाई
कोरोना के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग तो अभियान चला ही रहा है, लेकिन दूसरे लोग या फिर संगठन भी इसमें योगदान देने से चूक नहीं रहे हैं। कोरोना टीकाकरण की जब शुरुआत हुई थी तो बहुत सारे लोगों में टीका के प्रति तमाम तरह के भ्रम थे, लेकिन जागरूकता कार्यक्रम के कारण अब यह भ्रम खत्म हो गया है। टीका का नाम सुनकर जो लोग डरते थे, अब वही फोनकर पूछ रहे हैं कब शिविर लगेगा। मुझे टीका लेना है। इतना बड़ा बदलाव ऐसे नहीं आया है। इसमें समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, स्वास्थ्यकर्मियों और संगठनों का अहम योगदान है। खरीक प्रखंड में टीकाकरण में तेजी लाने में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ जीविका की भी भूमिका काफी अहम है। जीविका के लगभग 200 सदस्य पिछले कई महीनों से इस काम में लगे हुए हैं।
जीविका के खरीक प्रखंड के प्रोजेक्ट मैनेजर बालदेव कुमार कहते हैं कि जब अभियान की शुरुआत हुई थी तो लोग डरे हुए थे। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के मन में तमाम तरह के भ्रम थे, जिसे काफी मेहनत के बाद दूर किया गया। शुरुआत में हमलोगों को स्थानीय लोगों का काफी गुस्सा झेलना पड़ा था, लेकिन हमारी जीविका दीदियों की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। उन पर लोगों का भरोसा है। यह भरोसा जागरूकता अभियान में काम आया और लोग धीरे-धीरे टीका लेने की बात मानने लगे। अब प्रखंड के किसी भी इलाके में जाइए, टीका के प्रति लोगों के मन से भ्रम दूर मिलेगा।
खुद के टीका लेने की बात कह लोगों में जताया भरोसाः बालदेव कुमार कहते हैं ‘‘जागरूकता अभियान के दौरान जब लोग टीका के प्रति तमाम तरह की भ्रांतियों को सामने रख रहे थे, उस समय हमलोगों ने खुद के टीका लेने की बात कह लोगों में भरोसा पैदा किया। लोगों को समझाया कि अगर टीका में किसी तरह की समस्या होती या फिर इससे कोई नुकसान होता तो मैं क्यों लेता। मैंने तो टीका कोरोना से बचाव के लिए ही लिया है। आप भी लीजिए। सभी लोग जितना जल्द टीका लेंगे, कोरोना उतना जल्द खत्म होगा। इसके बाद लोगों में भरोसा पनपा और टीका लेने के लिए सामने आने लगे’’।
अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जागरूक करने में ज्यादा पसीना बहाना पड़ाः बालदेव कुमार ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय में टीका के प्रति ज्यादा भ्रांतियां थीं। अल्पसंख्यकों की आबादी वाले गांवों में जाते थे तो वहां तमाम तरह की नकारात्मक बातों को सुननी पड़ती थी। लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ जागरूक लोगों ने इसमें सहयोग किया। जिससे उनका काम आसान हो गया। ध्रुवगंज और मीरजाफरी जैसे गांवों में लोगों को टीका दिलवाने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी काफी सहयोग किया। स्थानीय लोगों के सहयोग से हमलोगों ने एक-एक घर जाकर लोगों को कोरोना टीका के फायदे के बारे में बताया। आखिरकार अब वे लोग भी समझ गए हैं। अब तो बचे हुए लोग, जिन्होंने टीका नहीं लिया है शिविर के बारे में पूछते रहते हैं।

कोरोना को हराना है तो टीका लेना ही पड़ेगाः ध्रुवगंज की जीविका दीदी मुन्नी देवी ने बताया कि लोगों के मन में डर तो था जो अब दूर हो गई है। पहले लोग टीका के नाम पर भगा देते थे, लेकिन जब वह जान गए कि यह उन्हीं के फायदे के लिए है तो अब लोगों में डर खत्म हो गया।
इसी तरह मीरजाफरी गांव की जीविका दीदी मणिमाला देवी कहती हैं पहले लोग टीका लेने से मना करते थे, लेकिन अब जैसे ही घर पर जाते हैं लोग टीका लेने के लिए जाने को तैयार हो जाते हैं।
लोकमानपुर की पूनम देवी कहती हैं कि पहले झिझक थी, लेकिन अब जान गई कि कोरोना से बचना है तो टीका लेना ही पड़ेगा। इसलिए उन्होंने दोनों डोज ले लिया। वहीं ढोडिया दादपुर की सीता देवी ने कहा कि जो डर था वह दूर हो गई। कोरोना को हराना है तो टीका लेना ही पड़ेगा। उन्होंने भी दोनों ही डोज ले लिया है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button