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शंतनुराव किर्लोस्कर ने स्वतंत्रता-पूर्व काल में ही की आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत : डॉ. विजय भटकर

सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटद्वारा शंतनुराव किर्लोस्कर की २७ वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पहला ‘आत्मनिर्भर भारत राष्ट्रीय पुरस्कार-२०२१’ प्रदान

पुणे : व्यापार और उद्यमी क्षेत्र में योगदान देनेवाले उद्योजक और किर्लोस्कर ग्रुप के प्रमुख पद्मभूषण शंतनुराव किर्लोस्कर के २७ वे पुण्यस्मरण पर सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट की और से ‘आत्मनिर्भर भारत राष्ट्रीय पुरस्कार-२०२१’ ख्यातनाम कंप्यूटर सायंटिस्ट पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर को प्रदान किया. विज्ञान और माहिती तंत्रज्ञान क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए भारत को पहला सुपर कंप्यूटर देकर आत्मनिर्भर बनाने के कार्य के लिए डॉ. भटकर को सम्मानित किया गया. बावधन में डॉ. भटकर के कार्यालय में हुए इस कार्यक्रम में सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, सल्लागार सचिन इटकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी व समूह संचालक प्रा. डॉ. शैलेश कासंडे, कार्यकारी संचालक प्रा. सुनील धाडीवाल, प्रा. अक्षित कुशल आदी उपस्थित थे.

इस वक्त अपनी भावना व्यक्त करते हुए डॉ. विजय भटकर ने कहा की,”शंतनुराव किर्लोस्कर के स्मृती प्रित्यर्थ ये पुरस्कार मुझे मिल रहा है इसकी मुझे बहोत ख़ुशी है. डॉ. भटकर बोले स्वतंत्रपूर्व कालखंड में किर्लोस्कर उद्योग समूह ने भारतीय मूल के विश्व स्तरीय उत्पाद बनाए है. इसे कई देशों में निर्यात भी किया गया था. लक्ष्मणराव किर्लोस्कर के बाद शंतनुराव किर्लोस्कर के नेतृत्व ने भारत को विश्व में एक अलग पहचान दिलाई. शंतनुराव किर्लोस्कर ने वास्तव में आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत को चिह्नित किया. स्वातंत्र्यपूर्व काल में ही इसकी पहल की गई थी.”

प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, “किर्लोस्कर ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के माध्यम से भारत को एक अलग पहचान दी है. उनकी स्मृति में हर साल भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देने वालों को सम्मानित करके समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित करने के उद्देश्य से ‘आत्मनिर्भर भारत राष्ट्रीय पुरस्कार’ दिया जाएगा. भारत को पहला सुपर कंप्यूटर देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस वर्ष के पहले पुरस्कार से डॉ.विजय भटकर को सम्मानित किया गया. इस वर्ष का पहला पुरस्कार विजय भटकर को देकर खुशी मिल रही है. डॉ. विजय भटकर के नेतृत्व में निर्मित ‘परम’ सुपरकंप्यूटर ने माहिती तंत्रज्ञान के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को साबित कर दिया. उनका सम्मान हमारा सम्मान है.”

“कोरोना में वृद्धि हो रही है उसके साथ ऑक्सीजन और अन्य आपूर्ति में कुछ कमी लग रही थी. हालांकि इसमें सुधार हो रहा है. भारत में सबसे ज्यादा टीकाकरण शुरू है. आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए प्रकृति पर काबू पाने के बजाय, हमें प्रकृति के साथ प्रगति की दिशा में कदम उठाना होगा. भारत में आयुर्वेद, योग है. इसलिए हम आत्मनिर्भर हैं. इस पर शोध किए जाने की जरूरत है, दुनिया के सामने आए नए आविष्कारों और इससे उबरने के लिए नई चुनौतियों का सामना करना होगा. कोरोना पर काबू पाने के लिए एक सुपर कंप्यूटर की मदद ली जा रही है. भारतीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का मेल बनाते हुए नई दवाओं, टीकों को खोजने का प्रयास किया जा रहा है,” ऐसा डॉ. भटकर ने कहा.

“कोरोना अवधि के दौरान संसाधन उपलब्ध हो गए हैं. सभी मेडिकल स्टाफ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, इन उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने के लिए कौशल के साथ अधिक लोगों की आवश्यकता है. इसके लिए सूर्यदत्ता समूह जैसे संगठनों को विभिन्न प्रकार के नवीन कौशल सिखाने चाहिए,”ऐसा भी डॉ. भटकर ने कहा. प्रा.डॉ. शैलेश कासंडे और सचिन इटकर ने भी अपने विचार साझा किए.

पद्मविभूषण डॉ. विजय भटकर के नाम से वार्षिक पुरस्कार की घोषणा
सूर्यदत्ता संस्था की और से पद्मविभूषण डॉ. विजय भटकर के नाम से वार्षिक पारितोषिक जाहीर
किए गए. सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ के तहत, बीएससी और एमएससी इन कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष में, विश्वविद्यालय में आने वाले पहले छात्र को 51,000 रुपये का पुरस्कार और एक स्वर्ण पदक दिया जाएगा ऐसा डॉ. संजय चोरडिया द्वारा जानकारी दी गयी. माहिती तंत्रज्ञान क्षेत्र में उच्च शिक्षण घेत आत्मनिर्भर भारत के प्रगतीत योगदान देऊ इच्छिणाऱ्या विद्यार्थ्यांना हे पारितोषिक प्रोत्साहन ठरेल, असा विश्वास डॉ. भटकर यांनी व्यक्त केला.

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