राज्य

राजस्थान में जल जीवन मिशन की रफ्तार सुस्त : शेखावत

ग्रामीण इलाकों में भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की समस्या

नई दिल्ली

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में जल जीवन मिशन की प्रगति की रफ्तार सुस्त रहने पर चिंता जताई है। शेखावत ने कहा कि राज्य में पीने का साफ पानी मुहैया कराना आज भी एक चुनौती बना हुआ है, क्योंकि राज्य का एक हिस्सा जहां सूखाग्रस्त है, वहीं दूसरा रेगिस्तान है और ग्रामीण इलाकों में भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की समस्या अलग है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि भारत सरकार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर राज्य में जल जीवन मिशन की धीमी गति की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया है।

जल जीवन मिशन के कार्य में तेजी लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए शेखावत ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य ने 18 लाख नल कनेक्शन की तुलना में सिर्फ एक लाख नल कनेक्शन दिए हैं। आगे वर्ष 2020-21 के लिए 35 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।

मंत्रालय ने बताया कि सूखे की स्थिति, पानी की कमी और भू-जल में रासायनिक प्रदूषण जैसी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत वार्षिक आवंटन में वरीयता दी जाती है। इसलिए राजस्थान को जल जीवन के अंतर्गत अपेक्षाकृत अधिक राशि प्राप्त हो रही है।

शेखावत ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राजस्थान को जहां 1,051 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, वही इस साल जल जीवन मिशन के अन्तर्गत 2,522 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष के आबंटन का लगभग ढाई गुना है।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 1,145 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वर्तमान स्थिति में राज्य के पास केंद्रीय हिस्से के रूप में इस साल की केंद्रीय निधि को मिलाकर साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध होगी।

शेखावत ने अपने पत्र में कहा कि राजस्थान के लिए अब निधि के कमी नहीं होगी। कुल मिलाकर राज्य सरकार के पास इस साल परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन देने के लिए सात हजार करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा 15वें वित्त आयोग अनुदान के रूप में राजस्थान के पंचायती राज संस्थानों को 3,862 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें 50 प्रतिशत राशि, 1,931 करोड़ रुपये जल आपूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जाएगी।

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