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प्रोडक्ट ऐसे बनाए जो मेक इन इंडिया और मेड फॉर वर्ल्ड हो- मोदी

सीआईआई ने पूरे किए 125 वर्ष

 

नईदिल्ली-

पीएम मोदी ने सीआईआई को 125 साल सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देते हुए कहा कि 125 सालों की यात्रा बहुत लंबी होती है। सवा सौ सालों तक किसी संगठन को चलाना बहुत बड़ी बात है। बल्कि मैं तो गेटिंग ग्रोथ बैक से आगे बढ़कर ये भी कहूंगा कि हां! हम जरूर अपनी ग्रोथ वापस पाएंगे। आप लोगों में से कुछ लोग सोच सकते हैं कि संकट की इस घड़ी में, मैं इतने आत्मविश्वास से ये कैसे बोल सकता हूं? मेरे इस आत्मविश्वास के कई कारण है: कोरोना ने हमारी स्पीड जितनी भी धीमी की हो, लेकिन आज देश की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भारत, लॉकडाउन को पीछे छोड़कर अनलॉक1 में प्रवेश कर चुका है।

अनलॉक1में इकोनॉमी का बहुत बड़ा हिस्सा खुल चुका है। आज ये सब हम इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि जब दुनिया में कोरोना वायरस पैर फैला रहा था, तो भारत ने सही समय पर, सही तरीके से सही कदम उठाए। दुनिया के तमाम देशों से तुलना करें तो आज हमें पता चलता है कि भारत में लॉकडाउन का कितना व्यापक प्रभाव रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने गरीबों को तुरंत लाभ देने में बहुत मदद की है। इस योजना के तहत 74 करोड़ लाभार्थियों के घर तक राशन पहुंचाया जा चुका है। प्रवासी कामगारों के लिए भी फ्री राशन पहुंचाया जा रहा है। भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं। इरादा, समावेश, निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीनता। हाल में जो बोल्ड फैसले लिए गए हैं, उसमें भी आपको इन सभी की झलक मिल जाएगी। इसके अलावा अभी तक गरीब परिवारों को 53,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। महिलाएं, दिव्यांग, बुजुर्ग हो या श्रमिक हो हर किसी को इससे लाभ मिला है। इतना ही नहीं प्राइवेट सेक्टर के 50 लाख कर्मचारियों के खाते में 24% ईपीएफ का योगदान सरकार ने दिया है। इनके खाते में करीब 800 करोड़ रुपए जमा करवाए गए हैं। सरकार आज ऐसे पॉलिसी रिफ़ार्म भी कर रही है जिनकी देश ने उम्मीद भी छोड़ दी थी।अगर मैं कृषि सेक्टर की बात करूं तो हमारे यहां आजादी के बाद जो नियम-कायदे बने, उसमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था एपीएमसी एक्ट में बदलाव के बाद अब किसान जिसे चाहे अपनी फसल बेच सकता है।

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पीएम ने कहा कि एमएसएमई की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वो पूरी हो चुकी है। इससे एमएसएमई बिना किसी चिंता के ग्रो कर पाएंगे और उनको एमएसएमई का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की ज़रूरत नहीं रहेगी। कोरोना के संकट में जब किसी देश के लिए दूसरे की मदद करना मुश्किल हो रहा था। हर कोई अपने को संभालने में लगा था ऐसे संकट के समय में भारत ने 150 से अधिक देशों को मेडिकल सप्लाई भेजकर उनके लिए मानवीय मदद का काम किया है।  मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ 3 महीने के भीतर ही पीपीई की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है। हमें अब एक ऐसी मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में निवेश करना है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी को मजबूत करे। इस अभियान में, मैं सीआईआई जैसी दिग्गज संस्था को भी पोस्ट कोरोना नई भूमिका में आगे आना होगा।

 

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