हमारे शास्त्रों में वर्णित है -‘पहला सुख निरोगी काया’
जिस का महत्व आज भी उतना ही है, जितना आज से 500 साल पहले था ।और मज़े की बात यह है कि 500 साल बाद भी निरोगी काया (स्वस्थ शरीर )का महत्व उतना ही रहेगा।चाहे वर्तमान में विज्ञान कितना ही विकसित क्यों न हो? फिर भी स्वस्थ शरीर का महत्व इंसान के लिए हर हमेशा उतना ही रहेगा। आज के भौतिक युग में काफी वैज्ञानिकता और काफी इलेक्ट्रॉनिक सामान बाजार में आ चुके हैं ,फिर भी जो स्वस्थ शरीर का इंसान के जीवन में महत्व है । आने वाले समय में भी हमारी ज़िंदगी में चाहे कितनी ही सुख सुविधा के संसाधन क्यों न हों, लेकिन स्वस्थ शरीर -निरोगी काया का अपना एक अलग महत्व है। सभी सुविधाओं का एक तरफ़ है और निरोगी काया एक तरफ!
हमारे जीवन में सुख सुविधा के सभी साधन होते हुए भी अगर हमारा… शरीर अस्वस्थ है तो पूरे संसाधन हमें तुच्छ लगने लगते हैं, बेकार लगते हैं, लेकिन अगर हमारे जीवन में पर्याप्त संसाधन नहीं है फिर भी अगर हमारा शरीर स्वस्थ है हमें जो सुख का अनुभव होता है , उसके बदौलत हम अपने जीवन में प्रसन्नता व शांति का अनुभव करते हैं।