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कोरोना पर अंतिम प्रहार को तैयार है बिहार!

गुप्तेश्वर पांडे, डीजीपी(बिहार) से खास बातचीत

Highlights:

कोरोना के खिलाफ जीतेगा बिहार

पुलिस – प्रशासन और जनता मिलकर इस लड़ाई को लड़ रही है

पटना उन सबसे सुरक्षित शहरों में से है जहां लोग सुकून से हैं

लोग अफवाहों से बचे

कोरोना संपूर्ण मानवता का दुश्मन

सवाल – सबसे पहले तो ये है पीएम मोदी ने आज लॉकडाउन के एक्सटेंशन का एलान करते हुए सभी राज्यों से और खास कर थाने के प्रमुखों से इसे सख्ती से लागू करने को लेकर जो कहा… इसे लेकर आपकी क्या तैयारी है…

जवाब – बिहार तो पहले से तैयार है, हमारे मुख्यमंत्री श्री नितिश कुमार जी ने लॉकडाउन से पहले ही लॉकडाउन का आदेश दे दिया था और माननीय प्रधानमंत्री जी का संबोधन हमने सुना…उनके आदेश का अक्षरसह पालन होगा…बिहार पूरी तरह से तैयार है…बिहार की पुलिस पूरी तरह से तैयार…पिछले तीन सप्ताह में पूरा प्रशिक्षण हो चुका है… सिपाही से लेकर थानेदार और ऊपर तक के पदाधिकारी पिछले 3 – 4 दिन से ही मानसिक रूप से तैयार थे…क्योंकि हम लोगों को ऐसे लगने लगा था कि लॉकडाउन की अवधि का विस्तार होगा….तो हम लोग उनसे संवाद कर रहे थे…उन्हें मानसिक रूप से तैयार कर रहे थे… बिहार की जनता भी मानसिक रूप से तैयार है…जिस तरह से लॉकडाउन के पहले चरण में बिहार की जनता ने सहयोग दिया – प्यार दिया…हमें पूरा विश्वास है कि बिहार की जनता इसी तरह दूसरे चरण में भी हमें सहयोग करेगी…और 3 मई तक जैसा चाहते हैं वैसा ही रहेगा…

 

सवाल – सर… आज लॉकडाउन के एक्सटेंशन का एलान करते हुए पीएम मोदी ने अहम बातें कही है…वो ये कि 20 अप्रैल तक उन इलाकों को लॉकडाउन के दौरान थोड़ी राहत दी जा सकती है अगर वहां कोरोना का प्रकोप नहीं बढ़ पाया तो…क्या इसे लेकर कोई जागरूकता अभियान चला रहे है..

जवाब – इसमें जागरूकता अभियान चलाना….बिहार की एक – एक जनता जागरूक है…जागरूकता अभियान से ज्यादा जरूरी… इसमें जिम्मेदारी पुलिस की बढ़ गई है…कि हम नए हॉट स्पॉट न बनने दें…इसके लिए जरूरी है कि कोरोना संक्रमण से पीड़ितों की पहचान करना…वो सब काम हम अगर ठीक से कर लेंगे तो नए हॉट स्पॉट नहीं बनेंगे…इसमें पुलिस की बड़ी भूमिका है….और हमारे सारे जिलों में इसके लिए डेडिकेटेड टीम बनाई गई है…पटना ही देख लीजिए…देश के उन सबसे सुरक्षित शहरों में से होगा जहां लोग सुकून से हैं…तो उसी तरह से…आबादी के हिसाब से…12 करोड़ की आबादी में तो हमने कोरोना को अभी रोक लिया है और इसका पूरा श्रेय यहां की सरकार को और यहां कि जनता को जाता है…सरकार क्योंकि….सरकार ने समय से इसका फैसला लिया…लॉकडाउन से पहले ही लॉकडाउन बिहार में कर दिया और इसके बाद नेशनल लॉकडाउन होने से दोगुनी ताकत मिल गई…

सवाल – बिहार और यूपी ये दो ऐसे राज्य हैं जहां दिल्ली से हो रहे या हुए पलायन की एक बड़ी समस्या बने हुई है…जो कोरोना की लड़ाई में एक बडी़ चुनौती बनी हुई है…इससे किस तरह से निपटा जा रहा है…

जवाब – ये समस्या हुई थी जब लाखों की संख्या में बाहर से मजदूरों ने यहां प्रवेश किया था..बड़ा संकट खड़ा हुआ था…विधि – व्यवस्था की भी समस्या खड़ी हो सकती थी लेकिन मजदूर बड़े जिम्मेदार निकले…आ तो गए यहां किसी भी मजबूरी से लेकिन यहां आकर कोई शोर – शराबा, हंगामा, उत्पात और उपद्रव नहीं किया…पुलिस – प्रशासन ने जैसा – जैसा निर्देश दिया उसका सभी ने पालन किया…ईश्वर की कृपा रही कि वो किसी तरह का संकट लेकर नहीं आये…सब अपने – अपने गांव में – स्कूल में क्वारंटाइन कर दिये गए…संकट था…चुनौती भी थी…लेकिन पुलिस – प्रशासन और जनता सभी ने मिलकर स्थिति को संभाल लिया…

सवाल – सर बीते दिन ये खबर आई कि नेपाल के रास्ते देश में या यूं कहें बिहार में कोरोना फैलाने के इरादे से 40 – 50 संदिग्ध बिहार में घुसे है…इसका मास्टरमाइंड जालिम मुखिया बताया जा रहा है…इस पर ताजा अपडेट क्या है???

जवाब – देखिए एक बात को समझिए..सूचना ऐसी नहीं थी…शायद आपको सही से जानकारी नहीं मिल पाई हो…सूचना ये थी कि मतलब…एक एसएसबी के वहां के स्थानीय कमांडेंट ने स्थानीय प्रशासन को सूचना दिया था कि उनको ये सूचना गई है कि…कुछ लोग नेपाल के रास्ते से जो भारतीय नागरिक नहीं है…वो भारत में घुसेंगे चोरी – छिपे…और उनमें से कुछ कोरोना के संदिग्ध हो सकते हैं… इस तरह की पूर्व सूचना थी… तो पहली बात तो ये कि…कोई भी नहीं घुस पाया है… एसएसबी वहां तैनात है…पुलिस बल के लोग तैनात है…जिला प्रशासन के लोग है…एक – एक पर हमारी नजर है…हमारी निगरानी है… गांव के लोग जान चुके है… बॉर्डर पर गांव के लोग जान चुके हैं…गांव के लोगों ने खुद ही घेराबंदी कर ली है…कोई घुस नहीं सकता…कोई घुसा ही नहीं…रही बात जालिम मुखिया के बारें में तो ये हमारा मसला नहीं है…ये नेपाल का रहने वाला है…नेपाली नागरिक है…इसके बारें में अभी जो अखबारों के माध्यम से सूचना मिली है….उससे ये लगता है कि वो स्वच्छ छवि का आदमी नहीं है…लेकिन वो हमारा आदमी नहीं है…वो नेपाल का आदमी है…और मुझे जहां तक जानकारी है कि हमारे स्थानीय पदाधिकारी…नेपाल के संबंधित पदाधिकारियों के संपर्क में है…

 

सवाल – एक अहम सवाल ये है कि गांव में किस तरह लॉकडाउन की निगरानी की जा रही है?

जवाब  – देखिए…आप तो समझ रहे हैं कि कितनी बड़ी आबादी है…मैंने पहले ही बता दिया इतना बड़ा राज्य है…अलग अलग गांव में पेट्रोलिंग के लिए अलग – अलग पेट्रोलिंग की टीमें बनाई गई है…पेट्रोलिंग की टीमें गांव जाती रहती हैं…हमने सारे जन प्रतिनिधियों को सरकार में शामिल कर दिया है…सारे वहां के मुखिया को, वार्ड सदस्यों को…और हर जगह – हर गांव में क्वारटाइन स्कूल खुले हुए हैं…वहां पर प्रशासन के लोग हैं…सारे जनता को, पुलिस – प्रशासन ,जन प्रतिनिधियों और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन को इसमें जोड़ दिया गया है…इसलिए इसका दायरा बहुत व्यापक हो गया है…अब तो एक एक आदमी गांव का सिपाही हो गया है…एक एक आदमी गांव का पहरेदार हो गया है…तो इसलिए हम सफलतापूर्वक लॉकडाउन के नियमों का पालन करवा रहे हैं…

 

सवाल – सर…लॉकडाउन 1.0 के दौरान बहुत से लोग नियमों का उल्लंघन करते पाये गए, अब जब पीएम मोदी ने लॉकडाउन के दूसरे फेज का एलान करते हुए कहा है कि इसे सख्ती से लागू किया जाएगा ऐसे में कोई विशेष तैयारी आपकी???

जवाब – देखिये…लॉकडाउन का पहला फेज तो समझने का था…पहला फेज तो समझने में लगा कि आखिर लॉकडाउन है क्या…धीरे – धीरे लोगों को इसकी गंभीरता समझ में आने लगी…लोग जागरूक होने लगे है…अब स्थिति बदल चुकी है…पुलिस वाले भी ऊपर से लेकर नीचे तक इसे अच्छी तरह से समझ गए है…इसके महत्व को समझ गए हैं…इस बीमारी के खतरनाक स्वरूप को समझ गए है…और उसी तरह से गांव में रहने वाले लोग भी…मैं खुद एक गांव से आता हूं…देहात से आता हूं…मेरी मां अकेली रहती है…मैं चाह कर भी उसे बुला नहीं पा रहा हूं…न उसके पास जा रहा हूं…84 साल की मेरी मां…ज्यादा पढ़ी – लिखी भी नहीं है…वो मुझे सुबह – शाम समझाती रहती है…कि बेटा कोरोना आया है…घर से नहीं निकलना…मास्क लगाकर रहना…तो मेरी 84 साल की बूढ़ी मां हमको बच्चा समझकर गांव से रोज सुबह शाम समझाती रहती है…तो आप समझ सकते है कि किस तरह जागरूक हो चुके हैं लोग.

सवाल – कोई खास अपील जो आप बिहार के लोगों से चाहेंगे?

जवाब – मैं बिहार के लोगों से यहीं कहना चाहूंगा कि…ये बीमारी है..संक्रामक वायरस है…ये जात नहीं देखता…ये मजहब नहीं देखता…कोरोना के सामने न कोई हिंदू, न कोई मुस्लिम है, न कोई सिख है, न कोई ईसाई है…न कोई भाषा का भेद है…न प्रांत का भेद है…न कोई देश का भेद है…कोरोना संपूर्ण मानवता का शत्रू है…इसलिए जात का बंधन तोड़कर, मजहब का बंधन तोड़कर…भाषा – प्रांत सारे बंधन तोड़कर…सारे मनुष्यों को एकजुट होकर कारोना के खिलाफ लड़ना चाहिए…आपस में नहीं लड़ना चाहिए…आपस में कोई ऐसी बात न करें…कोई ऐसा काम न करें…कोई ऐसी अफवाह न फैलाएं जिससे दो समुदायों के बीच नफरत पैदा हो…बिहार को बचाना है…बिहार को कोरोना से बचाना है…सामाजिक विद्वेष से बचाना है….और बिहार को देश की अगली पंक्ति में लेकर जाना है तो बिहार के लोगों को धैर्य, अनुशासन और संयम रखते हुए…संक्रमण से बचते हुए…कोरोना को हराते हुए….और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखते हुए अपना नाम रोशन करना होगा…यही मेरा संदेश है और इसी में मैं लगा हूं…लोगों से सहयोग चाहता हूं…

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