स्वास्थ्य

9 मार्च को होगी सोशल अवेरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुल ( सांस) विषय पर कार्यशाला

 

– जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में सांस विषय पर आयोजित होनी वाली कार्यशाला में शामिल होने के लिए सिविल सर्जन के द्वारा जारी की गई चिट्ठी 
– सदर अस्पताल के स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के नोडल अधिकारी और सभी स्टाफ नर्स को शामिल होने का दिया गया है निर्देश 

लखीसराय-

आगामी 9 मार्च को जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में सोशल अवेरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुल ( सांस) विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा । कार्यशाला में शामिल होने के लिए  सिविल सर्जन लखीसराय के द्वारा  अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, सदर अस्पताल उपाधीक्षक, जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम, डीएमईओ, डीपीसी, डीसीएम के साथ ही जिले के सभी अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक, सभी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीएसीएम को चिट्ठी जारी कर दी गई है। 
भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए सदर अस्पताल के अस्पताल उपाधीक्षक को विशेष निर्देश-
जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र चौधरी ने बताया कि 9 मार्च को सांस विषय पर आयोजित होने वाली  कार्यशाला में अनिवार्य रूप से स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एस एसीयू) के नोडल अधिकारी और स्टाफ नर्स की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए सदर अस्पताल के अस्पताल उपाधीक्षक अशोक कुमार सिंह को विशेष निर्देश दिया गया है।  बताया कि इस कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नवजात शिशुओं और अन्य बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु दर को समाप्त करना है। 

सदर अस्पताल में कार्यरत स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनएसीयू) के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विशेषज्ञ  डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि  इस  कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य निमोनिया की वजह से नवजात और शिशु मृत्यु दर को समाप्त करना है। उन्होंने  बताया कि प्रति वर्ष निमोनिया की वजह से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत हो जाती है। केंद्र सरकार के द्वारा सांस कार्यक्रम को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य लोगों को निमोनिया से बच्चों को बचाने के लिए जागरूक करना है।  बताया कि आंकड़ों के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत प्रति 1000 जीवित बच्चों में से 37 है, जिनमें से 3.5 प्रतिशत बच्चों की मौत निमोनिया की वजह से हो जाती है। सरकार का लक्ष्य सन 2025 तक निमोनिया की वजह से होने वाली मौत के आंकड़े को प्रति हजार जीवित बच्चों में से 3 के नीचे लाना है। सरकार के सभी कार्य इसी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में चल रहे हैं ताकि निर्धारित समय सीमा में निमोनिया की वजह से होने वाली शिशु मृत्यु दर को कम से कम  किया जा सके।

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