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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में वैश्विक अग्रेता बना भारत

डॉ. विपिन कुमार -लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैंI

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल के 9 वर्ष पूरा हो चुका है, मोदी जी ने राष्ट्र हित में कई अनोखे निर्णय लिए,जो देश की जनता को अच्छा या कड़वा लगा। 130 करोड़ से भी अधिक आबादी के साथ, भारत दुनिया के सबसे विशालतम देशों में से एक है। ऐसे में, किसी भी सरकार के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की राह बहुत कठिन है।

लेकिन, बीते 9 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने तमाम कठिनाइयों और जटिलताओं को पार करते हुए, स्वास्थ्य के क्षेत्र में खुद को वैश्विक अग्रेता के रूप में स्थापित किया है। हमें अनुमान है कि वर्ष 2025 तक हमारा स्वास्थ्य क्षेत्र 50 बिलियन डॉलर का होगा और इसके मायने काफी विशेष हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, मिशन इंद्रधनुष जैसे कई योजनाओं को क्रियान्वित किया, तो दूसरी ओर, कोरोना महामारी के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम’ के अंतर्गत दुनिया के 150 से भी अधिक देशों को बेहद सस्ती चिकित्सा सेवाएं पहुँचा कर, मानवता की एक नई मिसाल कायम की।

यह उनकी दूरगामी नीतियों का ही परिणाम है कि 2014 में जो मातृ मृत्यु दर प्रति लाख पर 130 थी, 2020 में घटकर केवल 97 रह गई। वहीं, 2014 में जो शिशु मृत्यु दर 39 थी, 2022 में घट कर केवल 28 रह गई।

आज 23 करोड़ से भी अधिक देशवासियों को आयुष्मान कार्ड वितरित किये जा चुके हैं, जिन्हें प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज मिलता है। आँकड़े बताते हैं कि 2019-20 के दौरान 4.8 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड वितरित किया गया था और 2022-23 के दौरान 7.1 करोड़ से भी अधिक कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।

जन-सामान्य के लिए सुविधा, स्वच्छता और स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने की दिशा में, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र पर महिलाओं के लिए केवल 1 रुपये में सेनेटरी पैड्स की व्यवस्था की गई है और इन केंद्रों के माध्यम से अभी तक 34.71 करोड़ से भी अधिक पैड्स बेचे जा चुके हैं। वहीं, इस पहल से अभी तक करीब 219 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है।

2014 से पूर्व हमारा स्वास्थ्य क्षेत्र पूरी तरह से बिखरा हुआ था। लेकिन स्वच्छता और स्वास्थ्य, प्रधानमंत्री मोदी की हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रही है। उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों की कमी, गुणवत्ता आश्वासन की कमी, अपर्याप्त स्वास्थ्य व्यय और सबसे महत्त्वपूर्ण अपर्याप्त शोध निधि जैसी बुनियादी समस्याओं को दूर करते हुए एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की।

उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार और प्रौद्योगिकी का भरपूर इस्तेमाल किया है और नागरिकों को डिजिटल माध्यम से सुविधाएं प्रदान करने के लिए अभी तक 2 लाख से भी अधिक हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ जोड़ा जा चुका है। और, इन उपलब्धियों के लिए डॉ. मनसुख मांडविया की अगुवाई में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी प्रशंसा का पात्र है।

हालांकि, हमें इस दिशा में आधारभूत संरचना और मानव संसाधन में काफी सुधार की जरूरत है। हमारे सामने कुछ ऐसी कठिनाइयां हैं, जिन्हें केवल सरकारी तंत्रों की मदद से हल नहीं किया जा सकता है। हमें अपनी क्षमताओं और दक्षताओं में सुधार के लिए निजी क्षेत्रों को भी शामिल करना होगा। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत इस पहल की शुरुआत तो काफी पहले ही हो चुकी है। लेकिन अब हमें इसके दायरे को और अधिक व्यापक करने की आवश्यकता है।

साथ ही, हमें स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए शिक्षा और आवास जैसे अन्य क्षेत्रों के साथ समन्वय को भी सुदृढ़ करना होगा। वहीं, हम बेहतर प्रबंधन प्रणाली के क्रियान्वयन, स्वास्थ्य देखभाल नियामक निकायों के सुदृढ़ीकरण, स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र की स्थापना जैसे उपायों से सतत स्वास्थ्य प्रशासन के अपने लक्ष्यों को भी हासिल कर सकते हैं। और, प्रधानमंत्री मोदी इस ओर अपने कदम बढ़ा भी चुके हैं। इसके बेहद सार्थक नतीजे हमें आने वाले कुछ वर्षों में दिखाई देंगे।

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