संसद सदस्य लोकसभा श्री निशिकांत दुबे जी और भारतीय राजनीतिज्ञ, सांसद श्रीमती सुप्रिया सुले जी सपरिवार आये परमार्थ निकेतन
भारतीय राजनीतिज्ञ, जागरूक और जिंदादिल सांसद सदस्य लोकसभा श्री निशिकांत दुबे उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनामिका गौतम, सांसद श्रीमती सुप्रिया सुले जी उनके पति श्री सदानन्द सुले, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर के सुपुत्र श्री नीरज शेखर, देवघर के विधायक श्री विवेक गुप्ता और अद्भुत समाजसेवी रूचिका गुप्ता आये परमार्थ निकेतन।
29 मार्च, ऋषिकेश: भारतीय राजनीतिज्ञ, जागरूक और जिंदादिल सांसद सदस्य लोकसभा श्री निशिकांत दुबे उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनामिका गौतम, सांसद श्रीमती सुप्रिया सुले जी उनके पति श्री सदानन्द सुले, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर के सुपुत्र श्री नीरज शेखर, देवघर के विधायक श्री विवेक गुप्ता और अद्भुत समाजसेवी रूचिका गुप्ता आये परमार्थ निकेतन।
परमार्थ निकेतन आये सभी राजनीतिज्ञों ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की। स्वामी जी ने माननीय सांसदों से विभिन्न समसामयिक विषयों, महिला सशक्तिकरण, उत्तराखंड के किसानों की बेहतरी हेतु क्या-क्या कार्य किये जा सकते हैं, जल संरक्षण और संवर्द्धन, क्लाइमेंट चेंज, ग्लोबल वार्मिग, पर्यावरण संरक्षण और युवाओं को शिक्षा के साथ कौशल से जोड़ने हेतु विस्तृत चर्चा की।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का सौभाग्य है कि इस समय भारत के पास यशस्वी ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में तथा प्रदेश में कर्मठ हर दिन हर दिल का ध्यान रखने वाले मुख्यमंत्री उत्तराखंड युवा नेता श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में एक कर्मठ, जमीनी स्तर पर परिवर्तन करने वाली संस्कारी सरकार है। वैश्विक शान्ति की पुनस्र्थापना के लिये युवा पीढ़ियों को मानवीय मूल्यों से पोषित करना होगा। सभी को मिलकर समाज में प्रेम, सहिष्णुता, मानवता, भाईचारा जैसे उच्च आदर्शों का विस्तार करना होगा। वर्तमान समय में सबसे बड़ी जरूरत है युवाओं को बाज़ारवाद से संस्कार वाद की ओर मोड़ना। शिक्षा के साथ कौशल प्रदान कर युवाओं का सर्वांगीण और सर्वोत्कृष्ट विकास किया जा सकता है। सीखने और सिखाने की प्रक्रिया को सर्वसुलभ बनाकर आन्तरिक शक्तियों का विकास कर व्यवहार को परिष्कृत किया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से युवाओं के ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर योग्य नागरिक बनाया जा सकता है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि इस वक्त भारत के पास एक सशक्त, समृद्ध एवं संस्कारी सरकार है, भारत का लोकतंत्र वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त लोकतंत्र है और भारत की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है जो महिला सशक्तिकरण की शानदार मिसाल है। भारत में महिलाएँ देश की आबादी अर्थात् महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे तो यह आधी आबादी कभी शोषण तो कभी अत्याचार के मामलों को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है, लेकिन जब भी हम महिलाओं की समानता की बात करते हैं तो यह जरूरी है कि हमें प्रत्येक वर्ग में समानता के लिये सबसे पहले अवसरों की समानता पर ध्यान दे ताकि देश में आधी आबादी राजनीति में हाशिये पर नहीं रहे।
जर्नल ऑफ इकोनॉमिक बिहेवियर एंड ऑर्गेनाइजेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जिन सरकारों में महिलाओं की भागीदारी अधिक होती है वहाँ भ्रष्टाचार कम होता है। भारत में भी ऐसी महिलाओं के कई उदाहरण हैं जिन्होंने अवसर मिलने पर राजनीति में न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति अर्जित की इसलिये जरूरी है कि हमारे देश की बेटियों को शिक्षित कर शासन और प्रशासन में भागीदारी के लिये प्रेरित किया जायें।
सांसद निशिकांत दुबे जी ने उपनिषद् के एक मंत्र का उदाहरण देते हुये कहा कि स्वामी जी आप ने माँ गंगा और प्रकृति को बचाने की बात की, जागरूकता की बात की, मैं गंगा किनारे का रहने वाला हूँ, उत्तरवाहिनी गंगा के पास विक्रमशिला विश्वविद्यालय है वहां मेरा जन्म हुआ और इस विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला वाइसचांसलर दिया। गंगा जीवन दायिनी, मोक्ष दायिनी है, गंगा को बचाना है यह सभी को पता है परन्तु जागरूकों को जागरूक करना भी जरूरी है।ं गंगा ऐसी ताकत है जिसने सम्राट अशोक दिये और भारत को दिये प्रधानमंत्री के रूप में माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी।
मैं 25 वर्षों से परमार्थ निकेतन आश्रम में आ रहा हूँ, पूज्य स्वामी जी आपकी श्रद्धा भक्ति, युक्ति और गंगा के प्रति जो समर्पण है वह 25 वर्षों से मैंने अपनी आंखों से देखा है। जिस तरह आप परमार्थ निकेतन आश्रम के माध्यम से बेटियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करते हैं तथा पेड़ लगाने, प्रकृति को बचाने के लिये कार्य कर रहे हैं वह पूज्य है, हम सभी को स्वामी जी का सहयोग करना चाहिये।
परमार्थ निकेतन गंगा तट से पूज्य स्वामी जी प्रतिदिन ऐसे विषयों के प्रति न केवल देशवासियों का बल्कि वैश्विक समुदाय का भी ध्यान आकर्षित करते हैं जिससे निश्चित रूप से समाज में परिवर्तन देखा जा सकता है। यह तट आध्यात्मिकता और सामाजिक जागरण का उत्कृष्ट केन्द्र है।
परमार्थ निकेतन आकर सभी धन्यभागी और कृत-कृत्य महसूस कर रहें थे। सचमुच परमार्थ निकेतन का वातावरण स्वर्ग से कम नहीं है। अध्यात्म की गंगा जो यहां बहायी जाती है वह भी देशप्रेम और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत, यहां पर राष्ट्रगान के साथ यज्ञ की शुरूआत और राष्ट्रगान के साथ ही आरती का समापन होता है यह अपने आप में अभूतपूर्व प्रयोग है। देवभक्ति और देशभक्ति का अनुपम उदाहरण है परमार्थ निकेतन।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सभी अतिथियों को हॉलीवुड टू हिमालय कृति भेंट की।