राज्य

आशा फेसिलिटेटर चुनौतियों को मात देकर कोरोना के प्रति कर रहीं जागरूक

• गनगनिया पंचायत की आशा फेसिलिटेटर माया कुमारी 14 वर्षों से दे रही सेवा 

 

• मुख्य धारा से कटे हुए गांवों में लोगों को पहुंचा रहीं स्वास्थ्य सेवा

 

भागलपुर, 31 मई: 

कोरोना का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। देश लॉकडाउन पर है। सभी लोग घरों में कैद हैं। ऐसे में घर-घर जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करना आसान काम नहीं है। साथ में संक्रमण के खतरे के बीच लोगों की स्क्रीनिंग करना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन इस चुनौती को स्वीकर कर घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने में सुल्तानगंज प्रखंड की गनगनिया पंचायत की आशा फैसिलिटेटर माया कुमारी दिन रात जुटी है. वह गांव के लोगों को कोरोना से बचाव के तरीके भी बता रही हैं। साथ ही संदिग्धों की पहचान कर उसका सैंपलिंग भी करवा रही हैं।

 

माया कुमारी कहती हैं, अभी तक वह सैकड़ों लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कर चुकी हूं। वह जिस इलाके में काम करती है, वह मुख्य धारा से कटा हुआ है। वहां पर स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना आसान नहीं है, लेकिन उन्हें इस काम को करने से संतुष्टि मिल रही है। साथ ही वहां के लोग भी बहुत ज्यादा जागरूक नहीं हैं, इसलिए उन्हें सफाई के प्रति जागरूक करना व मास्क पहनने की सलाह देना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन यह जरूरी भी है। करहरिया और उधा जैसे गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवा पहुंचाकर संतुष्टि मिलती है।

 

14 सालों से कर रहीं सेवा:

माया कुमारी 2006 से ही बतौर आशा फैसिलिटेटर के तौर पर काम कर रही हैं। इन 14 सालों में इन्होंने 500 से अधिक महिलाओं का सफलतापूर्वक प्रसव कराया है। इतने लंबे समय तक सेवा देने से वह गांव के लोगों में माया दीदी के तौर पर काफी लोकप्रिय हैं। अपने क्षेत्र के किसी भी गांव में जब भी ये जाती हैं तो लोग समझ जाते हैं कि स्वास्थ्य के प्रति ये कुछ समझाने आई हैं। साथ ही बच्चों और महिलाओं के टीकाकरण में भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं।

 

पति का भी मिल रहा सहयोग: 

माया कुमारी के पति मजदूरी करते हैं। दो बच्चे हैं पढ़ने वाले। इसके बावजूद वह अपने काम को पूरी ईमानदारी से करती हैं। वह कहती हैं कि वह जब काम पर रहती हूं तो पति घर में बच्चे को संभालते हैं। बच्चों को स्कूल पहुंचाना और लाना वह कर देते हैं तो मैं अपना काम बेफिक्र होकर कर पाती हूं। अगर परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो मैं अपना काम उतनी शिद्दत से नहीं कर पाती, जितना की आज कर रही हूं।

 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की थी ललक:

माया कुमारी कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ आर्थिक जरूरत के लिए इस काम को कर रही हूं। वह बचपन से ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहती थी। यही कारण है कि जब 2005 में ट्रेनिंग की शुरुआत हुई तो वह उसमें शामिल हो गई। काम करने के प्रति जो उनकी ललक हैं, वहीं उन्हें जिम्मेदार बनाती है। यही कारण है कि वह अपना काम पूरी ईमानदारी से कर पाती हैं

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button