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कहीं भोपाल की राह तो नहीं चलेगा विशाखापट्टनम ?

भारत के लिए 7 मई का दिन अशुभ रहा। विशाखापट्टनम गैस लीक मामले में दर्जनों लोगों की मौत और सैकडों लोगों के अस्पताल में भर्ती होने से मन मर्माहत है।पांच हजार से ज्यादा लोग गैस लीक की वजह से बीमार हैं। लॉकडाउन के दौरान विशाखापत्तनम में बंद पड़ी प्लास्टिक की एक फैक्टरी में काम-काज पुनरू शुरू करने की तैयारी हो रही थी कि इसी दौरान गैस रिसाव की घटना हुई। एनडीआरएफ महानिदेशक एस एन प्रधान ने बताया कि यह स्टाइरीन गैस है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, गले, त्वचा, आंखों और शरीर के कुछ अन्य अंगों को प्रभावित करती है। फैक्टरी में गैस रिसाव की सूचना के बाद लॉकडाउन की प्रक्रिया तुरंत शुरू की गई। स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचित किया गया। गैस को तुरंत हानिरहित तरल रूप में बेअसर किया गया। लेकिन थोड़ी गैस, फैक्टरी परिसर से बाहर निकलकर आस-पास के इलाकों में पहुंच गई, जिससे लोग प्रभावित हो गए।
घटना की जानकारी मिलते ही तमाम निकाय और सरकारी मशीनरी एक्टिव हो गई। आंध्रप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में चहलकदमी तेज हुई। यह घटना की भयावहता ही समझी जाए कि घटना के चंद घंटों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में आपात बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, प्रधानमंत्री ने गैस लीक होने के बाद पैदा हुए हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की बैठक पूर्वाह्न 11 बजे बुलाई। गहन विचार विमर्श किया और समुचित निर्देश दिया। दिल्ली लगातार अपनी पैनी नजर इस घटना पर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि मैं सभी की सुरक्षा और विशाखापत्तनम के लोगों की कुशलक्षेम की प्रार्थना करता हूं । ’’ पीएमओ के ट्वीट के अनुसार, मोदी ने विशाखापत्तनम की स्थिति पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी से बात की और उन्हें हर तरह की मदद और समर्थन देने का आश्वासन दिया ।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में रसायनिक संयंत्र से गैस रिसाव को परेशान करने वाला बताया और कहा कि केंद्र सरकार स्थित पर पैनी निगाह रख रही है। शाह ने कहा कि वह विशाखापत्तनम के लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। गृह मंत्री ने ट्वीट किया, विशाखापत्तनम की घटना परेशान करने वाली है। एनडीएमए के अफसरों और संबंधित अधिकारियों से बात की है। हम निरंतर स्थिति पर नजर रख रहे हैं।  केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव से बात की है और पुलिस महानिदेशक को हालात का जायजा लेने का निर्देश दिया है। रेड्डी ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमों को पीड़ितों को जरूरी मदद मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यहां कहा, मैं स्थिति पर लगातार नजर रख रहा हूं। विशाखापत्तनम में अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण घटना से सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। विशाखापत्तनम के गोलापत्तनम में स्थित एलजी पॉलिमर्स रसायनिक संयंत्र से हुए गैस रिसाव के कारण एक आठ साल के बच्चे समेत कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आंध्रपदेश के पुलिस महानिदेशक दामोदार गौतम सवांग ने कहा कि गैस को अभी बेअसर कर दिया गया है. लगभग 800 लोगों को अस्पताल में भेजा गया है, कई को छुट्टी दे दी गई है। गैस कैसे लीक हुई, ये देखने के लिए जांच की जाएगी।

कई लोगों को यह घटना भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला रही है। दरअसल, एलजी पॉलीमर प्लांट का स्वामित्व दक्षिण कोरिया की बैटरी निर्माता कंपनी एलजी केमिकल लिमिटेड के पास है जो कंपनी की वेबसाइट के अनुसार पॉलीस्टाइरीन का उत्पादन करती है। कंपनी इलेक्ट्रिक फैन ब्लेड, कप और कटलरी और मेकअप जैसे कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए कंटेनर बनाने का काम करती है। प्लांट अपने उत्पादों को बनाने के लिए स्टाइरीन के कच्चे माल का उपयोग करता है। स्टाइरीन अत्यधिक ज्वलनशील होता है और जलने पर एक जहरीली गैस छोड़ता है। इस कंपनी की स्थापना 1961 में पॉलीस्टाइरीन और को-पॉलिमर्स का निर्माण करने के लिए हिंदुस्तान पॉलीमर्स के तौर पर हुई थी। 1978 में इसका यूबी समूह के मैक डॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड के साथ विलय हो गया था। 1997 में कंपनी को एलजी केमिकल ने अपने कब्जे में ले लिया और इसका नाम बदलकर एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटिड कर दिया गया। एलजी केमिकल की दक्षिण कोरिया में स्टाइरेनिक्स के कारोबार में बहुत मजबूत उपस्थिति है। कंपनी वर्तमान में भारत में पॉलीस्टाइरीन और विस्तार योग्य पॉलीस्टाइरीन के अग्रणी निर्माताओं में से एक है।
हालांकि विशाखापट्टनम में हुआ हादसा बहुत छोटा है, लेकिन गैस रिसाव ने 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी की याद ताजा कर दी। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं। वर्ष 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 और 3 दिसंबर की दरम्यानी रात्रि में यूनियन कार्बाइड कारखाने की गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। हजारों प्रभावित व्यक्ति आज भी उसके दुष्प्रभाव झेलने को मजबूर हैं। उस रात यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर श्सीश् में हुए रिसाव से बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर एकाएक क्या हो रहा है? कुछ लोगों का कहना है कि गैस के कारण लोगों की आंखों और सांस लेने में परेशानी हो रही थी। जिन लोगों के फैंफड़ों में बहुत गैस पहुंच गई थी वे सुबह देखने के लिए जीवित नहीं रहे।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हजार लोग मारे गए थे। हालांकि गैर सरकारी स्रोत मानते हैं कि ये संख्या करीब तीन गुना ज्यादा थी। इतना ही नहीं, कुछ लोगों का दावा है कि मरने वालों की संख्या 15 हजार से भी अधिक रही होगी। पर मौतों का ये सिलसिला उस रात शुरू हुआ था वह बरसों तक चलता रहा। यह तीन दशक बाद भी जारी है, जबकि हम त्रासदी के सबक से सीख लेने की कवायद में लगे हैं। यह समय है सचेत होने का। जरा सी सावधानी हुई और भयंकर दुर्घटना हुई।
याद करें, भोपाल को। उस काले दिन के बाद जब बड़ी संख्या में लोग गैस से प्रभावित होकर आंखों में और सांस में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों को भी पता नहीं था कि इस आपदा का कैसे इलाज किया जाए? संख्या भी इतनी अधिक कि लोगों को भर्ती करने की जगह नहीं रही। बहुतों को दिख नहीं रहा था तो बड़ी संख्या में लोगों का सिर चकरा रहा था। सांस लेने में तकलीफ तो हरेक को हो रही थी। मोटे तौर पर अनुमान लगाया गया है कि पहले दो दिनों में लगभग 50 हजार लोगों का इलाज किया गया। डॉक्टरों को ही ठीक तरह से पता नहीं था कि क्या इलाज किया जाए। शहर में ऐसे डॉक्टर भी नहीं थे, जिन्हें मिक गैस से पीड़ित लोगों के इलाज का कोई अनुभव रहा हो। हालांकि गैस रिसाव के आठ घंटे बाद भोपाल को जहरीली गैसों के असर से मुक्त मान लिया गया, लेकिन वर्ष 1984 में हुई इस हादसे से भोपाल उबर नहीं पाया है। इसलिए विशाखापट्टन में भले ही प्रभावितों की संख्या शुरुआत में कम लगती हो, लेकिन सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। वरना, भोपाल की पुनरावृत्ति रोकी नहीं जा सकती है।

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