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महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के PhD नामांकन में धाँधली, अभ्यर्थियों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

सारी सूचना होने के बाद भी मीडिया को गुमराह कर रहे हैं कुलपति

मोतिहारी: महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी चयन प्रक्रिया में धांधली का एक और मामला सामने आया है । विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन में शोधार्थी मयूरी घोष के चयन पर सीधा सवाल उठ रहा है । धाँधली के आरोप के बाद छात्रों का विरोध जारी है। धाँधली से हुए दाख़िले पर विवि के छात्र एवं छात्र नेता आकाश सिंह बताते हैं दरअसल मयूरी घोष मूलतः भागलपुर की रहने वाली है और मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष भी भागलपुर के ही रहने वाले हैं। आकाश सिंह का आरोप है कि मयूरी घोष के चयन में विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने रिश्वत लेकर चयन प्रक्रिया में धांधली की। वहीं आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि डॉ. अंजनी कुमार झा के निर्देशन में शोध कर रहे शोधार्थी सौविक आचार्य जो सीपीआई (माले) से भी जुड़े हैं उनके अकादमिक संबंध मयूरी घोष के साथ हैं। मयूरी घोष और सौविक आचार्य दोनों ही संत जेवियर कॉलेज कोलकाता के विद्यार्थी रह चुके हैं। चयन प्रक्रिया में धाँधली का आरोप जिस विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा पर लगा है उन्होंने शोधार्थी सौविक आचार्य के कहने पर मयूरी घोष का नामांकन पैसे लेकर फर्जी तरीके से किया।
23 मई 2022 जल्दी-जल्दी में वाइवा कराया गया। जिससे कई दूर के अभ्यर्थी इसमें शामिल ही नहीं हो पाएं। उसके डेढ़ माह के बाद गुपचुप तरीके से नामांकन की सूचना जारी कर दी गई। मौखिकी के बाद ना तो कोई मेरिट बनाई गई और ना ही कंपोजिट स्कोर तैयार हुआ। 5 जुलाई को नामांकन पूरा होने का बाद अब लीपा पोती की जा रही है और डीआरसी सदस्यों से बैक डेट में साइन हेतु दबाव बनाया जा रहा है।
अभ्यर्थियों ने आरोप में बताया कि गूगल मीट के जरिए जुड़ी एक्सपर्ट का बार-बार कनेक्शन गड़बड़ हो रहा था। सिनोपसिस की गुणवत्ता पर कोई बात नहीं हुई और मनमाने तरीके से सेटिंग के आधार पर नंबर दिए गए। डीआरसी सदस्यों ने बाद के फर्जी मेरिट पर हस्ताक्षर से इंकार कर दिया तो एक्सपर्ट को पैसे देकर मेल के माध्यम से फिर से नामांकन प्रक्रिया होने के 5 दिन के बाद 10 -11 जुलाई को नई मेरिट लिस्ट बनवाई गई।

अभ्यर्थियों ने एक्सपर्ट के मेल और विभागाध्यक्ष के मेल के जांच की भी मांग की है। छात्र नेता आकाश सिंह ने बताया कि कैसे कोई एक्सपर्ट नामांकन पूरा होने के बाद फिर से मेरिट को रिवाइज कर सकता है और ऐसा क्यों कर रहा है? ये मामला साफ तौर पर भ्रष्टाचार का है। छात्र नेता आकाश सिंह ने डॉ झा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वाइवा के बाद बने मेरिट में हेर फेर के लिए डॉ झा एक्सपर्ट प्रो बंदना पांडेय से मई लास्ट में मिले और उनको पैसे पहुंचाए। जिसके बाद बंदना पांडेय ने झा के अनुसार फिर से मेरिट रिवाइज किया। इसका विरोध करते हुए नए मेरिट पर डीआरसी के कुछ सदस्यों ने हस्ताक्षर से इंकार कर दिया।
आकाश सिंह ने बताया कि कुलपति डॉ झा को बचाने में लगे हैं इससे लगता है कि मामले में अन्य लोगों की भी संलिप्तता है। अगर ऐसा नहीं तो कुलपति ऐसे गंभीर आरोप के सामने आने पर इसकी जांच कराते। परन्तु 21 मई और 6 जुलाई 2022 को इस संबंध में ई-मेल मिलने के बाद भी कुलपति मीडिया को गुमराह करते रहे कि उन्हें विषय की जानकारी ही नहीं है। छात्र नेता आकाश सिंह ने मनमाने ढंग से ओबीसी की सीट कम किये जाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि नामांकन में 6 सीट विज्ञापित हुई जिसके अनुरूप आरक्षण रोस्टर लगाया गया पर जब सीट 5 रह गई तो आरक्षण रोस्टर बदला क्यों नहीं गया और किस नियम से ओबीसी की ही सीट घटाई गई। गौरतलब है कि डॉ अंजनी झा ने पूरी प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार किया जिसके बाबत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने और आरटीआई आवेदन आने के बाद ये हेराफेरी की जा रही है। इसके लिए एक्सपर्ट और डीआरसी सदस्यों को भी मामले को दबाने के लिए पैसे का लालच देने का आरोप है।

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