स्वास्थ्य

बिहार के 14 जिलों में पहली बार होगा प्रखंड स्तरीय नाईट ब्लड सर्वे

-नाईट ब्लड सर्वे के उपरांत ही इन 14 जिलों के प्रखण्डों में 10 अगस्त से चलेगा एम.डी.ए. राउंड

-14 जिलों के लगभग 250 प्रखंडों में होगा नाईट ब्लड सर्वे

-72 देशों में 85.9 करोड़ आबादी फाइलेरिया के ख़तरे में

-राज्य में हाथीपांव के 1,27,201 एवं हाइड्रोसील के 17,486 मामले प्रतिवेदित

पटना-

फाइलेरिया उन्मूलन के उद्देश्य से राज्य के 14 जिलों के लगभग 250 प्रखंडों में पहली बार प्रखंड स्तरीय नाईट ब्लड सर्वे किया जाएगा. जिसमें पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास, बक्सर, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, नवादा, लखीसराय, समस्तीपुर, मधेपुरा, दरभंगा एवं मधुबनी जिला शामिल है । नाईट ब्लड सर्वे के संपन्न होने के बाद ही इन्हीं 14 जिलों के चयनित प्रखण्डों में 10 अगस्त से एम.डी.ए. राउंड संचालित होगा। किसी भी क्षेत्र में माइक्रो फाइलेरिया के प्रसार की दर को जानने के लिए नाईट ब्लड सर्वे की गतिविधि संपादित की जाती है, जिसमें रात्रि 8:30 के बाद ही रक्त के नमूने को लेकर उसका परीक्षण किया जाता है

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग ने फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में एक नई रणनीति को शामिल किया है और इसी रणनीति के तहत साल में दो बार 10 फरवरी एवं 10 अगस्त को देशभर में एक साथ एम.डी.ए. राउंड चलाने का निर्णय लिया गया था. देश की फाइलेरिया उन्मूलन की प्रतिबद्धता इस बात से भी उजागर होती है कि अब फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को 2030 से घटाकर 2027 कर दिया गया है.

प्रखंड स्तरीय रणनीति साबित कारगर :

एम.डी.ए. राउंड की सफलता के लिए प्रखंड स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों का तकनीकी प्रशिक्षण एवं निरंतर संवेदीकरण जरुरी है और इसे ही ध्यान में रखते हुए एम.डी.ए. राउंड से पूर्ण प्रखंड स्तरीय रणनीति पर जोर दिया जा रहा है. इस क्रम में प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया क्लीनिक का निर्माण, प्रखंड स्तर पर नाईट ब्लड सर्वे एवं एम.डी.ए. के दौरान इवनिंग मीटिंग पर भी जोर दिया जा रहा है.इसी वर्ष 10 फरवरी से शुरू हुए एम.डी.ए. राउंड के पहले राज्य के 24 जिलों के 350 प्रखंडों में माइक्रो फ़ाइलेरिया प्रसार दर को जानने के लिए नाईट ब्लड सर्वे का आयोजन किया गया. जिसमें 39 प्रखंडों में माइक्रो फाइलेरिया दर 1% से कम पाई गयी जिसका आशय यह है कि इन प्रखंडों में अब फाइलेरिया प्रसार न्यूनतम स्तर पर आ गया है और यहाँ पर एम.डी.ए. राउंड नहीं करना पड़ा.

राज्य में हाथीपांव के 1,27,201 एवं हाइड्रोसील के 17,486 मामले प्रतिवेदित

अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी कार्यालय में पदस्थ राज्य सलाहकार, फाइलेरिया डॉ. अनुज सिंह रावत ने बताया कि राज्य के सभी 38 जिलें फाइलेरिया से प्रभावित हैं । राज्य में दिसम्बर, 2022 तक हाथीपांव के 1,27,201 एवं हाइड्रोसील के 17,486 मामले प्रतिवेदित हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व के 72 देशों में 85.9 करोड़ आबादी फाइलेरिया के खतरे में हैं.विश्व भर में फाइलेरिया दीर्घकालीक विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है. डॉ. रावत ने बताया कि बिहार में वर्ष 2004 से ही एम.डी.ए. राउंड चलाया जा रहा है. परंतु 2023 में पहली बार इसे प्रखण्ड स्तर पर संपादित किया जा रहा है. जबकि इससे पहले यह जिला स्तर से संपादित किया जाता था. फाइलेरिया के प्रसार को रोकने के लिए ही एम.डी.ए. राउंड चलाया जाता है. इसीलिए इसे प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी भी कहा जाता है.
एम.डी.ए. की दवाएं पूर्णतः सुरक्षित एवं प्रामाणिक दवा है जिसे 2 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के सभी को दिया जाता है.यह दवा गर्भवती महिलाओं, 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों, एक सप्ताह की धात्री महिलाओं व गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोडकर अन्य सभी को स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने खिलाया जाता है.

शहरी क्षेत्रों में एम.डी.ए. कवरेज बढ़ाने पर जोर:

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र की निदेशक डॉ. तनु जैन ने एम.डी.ए. राउंड की सफलता के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किया है और राज्यों से इसके सफल कार्यान्वयन के लिए माइक्रो-लेवल प्लानिंग को मजबूत बनाने को कहा है.डॉ. तनु जैन ने अपने पत्र में शहरी क्षेत्रों में एम.डी.ए. कवरेज को बेहतर करने पर विशेष जोर दिया है. एम.डी.ए. राउंड की सफलता के लिए माइक्रोप्लान, अर्बन टास्क फ़ोर्स, संचार सुदृढ़ीकरण, प्रशिक्षण सहित मेडिकल कॉलेज की सक्रिय भूमिका पर विशेष बल दिया गया है

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button