राष्ट्रीय कांफ्रेंस प्रबंधन छात्रों हेतु होगी लाभकारी -आयुक्त कॉलेज शिक्षा राजस्थान सरकार आईएएस डॉ ओम प्रकाश बैरवा

-ओम कोठारी इंस्टीट्यूट कोटा द्वारा एच आर 4.0 नेविगेटिंग द ह्यूमन साइड ट्रांसफॉर्मेशन राष्ट्रीय कांफ्रेंस सम्पन्न
-ओम कोठारी इंस्टीट्यूट कोटा द्वारा एच आर 4.0 नेविगेटिंग द ह्यूमन साइड ट्रांसफॉर्मेशन
जयपुर, 23 फरवरी-
ओम कोठारी ग्रुप ऑफ एज्युकेशनल इंस्टीट्यूट, कोटा द्वारा ‘‘एच आर 4.0- नेविगेटिंग द ह्यूमन साइड ट्रांसफोर्मेशन‘‘ विषय पर नेशनल कांफ्रेंस-2025 आयोजित की गई। जिसमें राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा, आईएसटीडी कोटा चैप्टर, एनएचआरडी, जयपुर नॉलेज पार्टनर रहे। ओम कोठारी इंस्टीट्यूट की मैनेजमेंट ट्रस्टी सीमा कोठारी ने विकसित राजस्थान के विजन को पूरा करने के लिये इसे महत्वपूर्ण कड़ी बताया। कांफ्रेंस चेयरमैन डॉ अमित सिंह राठौड़ ने बताया कि समारोह के मुख्य अतिथि कॉलेज शिक्षा आयुक्त आईएएस डॉ. ओमप्रकाश बैरवा रहे। वीएमओयू के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ पी.के शर्मा एवं एनबीसी के मुख्य प्रबंधक देवाशीष सतपथि ने मुख्य वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये। देश के अनुभवी शिक्षाविदों ने बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुसार राजस्थान की वर्कफोर्स को प्रशिक्षित करने के लिये विभिन्न उपायों को हाइब्रिड मोड पर आधारित शोध पत्र प्रजेंटेशन द्वारा प्रस्तुत किया। कांफ्रेंस में इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ अमित सिंह राठौड़,आईसीडी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री अनीता चौहान, प्रिंसिपल डॉ गीता गुप्ता, अशोक सक्सेना, कॉन्फ्रेंस कन्वीनर डॉ मीनल शाह जैन सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षाविद, रिसर्च स्कॉलर, व्याख्याता एवं विद्यार्थीगण मौजूद रहे। डॉ अमित सिंह राठौड़ ने स्वागत भाषण में कहा कि आयोजन की थीम आज के दौर में युवा वर्कफोर्स के बदलते रोल पर फोकस की गई है। इस अवसर पर संस्थान निदेशक डॉ अमित सिंह राठौड़ डीआर मीनल शाह जैन एवं आयुष त्यागी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘इंडस्ट्री एकेडमिक पार्टनरशिप इन इंडियन हायर एजुकेशनः ए स्ट्रैटेजिक एप्रोच‘‘ के पोस्टर का विमोचन किया गया।मैनेजमेंट ट्रस्टी श्रीमती सीमा कोठारी ने कहा कि आज सभी राज्य मानव संसाधन के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी को शामिल कर बदलाव की स्थिति में है। हमें बदलते परिवेश के अनुसार प्रगति पथ की तलाश करनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांफ्रेंस के शोध पत्रों से विकसित राजस्थान के लिये भविष्य की रणनीति पर एक ब्लूप्रिंट निकालकर आएगा जो कि हर क्षेत्र के विकास में उपयोगी रहेगा। मुख्य अतिथि डॉ ओमप्रकाश बैरवा ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी हमें आगे ले जाने वाली होती है। वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के बीच दूरी को पाटने हेतु डिजिटल तकनीक का प्रयोग, इनोवेशन जैसे प्रयासों की निरंतर आवश्यकता है। डिजिटल साक्षरता से सरकारी तंत्र में नागरिकों के प्रति जवाबदेही बढी है। जीएसटी एवं अन्य क्षेत्र में पारदर्शिता आई है। इस क्षेत्र में सरकार, उच्च शिक्षण, संस्थान, इंडस्ट्री सभी के साझा प्रयासों पर बल दिया। सुश्री अनीता चौहान ने भारतीय संस्कृति मे लेने के बजाय देने की भावना को सस्टेनेबिलिटी का मूल आधार बताया। उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि संयम, अनुशासन भारतीयों के डीएनए में है और यही भावना हम भारतीयों को आगे ले जाने में मदद करेगी। मुख्य वक्ता प्रोफेसर पी.के.शर्मा ने सस्टेनेबिलिटी को आध्यात्म से जोडकर भारतीय सर्वे भवंतु सुखिनः की भावना से कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट के लक्ष्य में समाज के प्रति उत्तरदायित्व का समावेश होना चाहिए। सस्टेनेबिलिटी के साथ मानवीय दृष्टिकोण भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को मशीन से नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जोडकर 100 प्रतिशत आउटपुट देने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।*गीता व महाभारत सिखाते हैं मैनेजमेंट-*दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता देवाशीष सतपथि ने कहा कि गीता एवं महाभारत में संपूर्ण मैनेजमेंट का ज्ञान छिपा है। उन्होंने गीता व महाभारत के विभिन्न प्रसंगों से कंट्रोलिंग, टीमवर्क, डिसीजन मेकिंग जैसे मैनेजमेंट के मूल सिद्धांतों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि शुद्ध चित्त के साथ नई तकनीक को सीख कर तेजी से आगे बढा जा सकता है। मीडिया प्रभारी डॉ नयन प्रकाश गांधी ने बताया कि नेशनल कांफ्रेंस में देश के विभिन्न शहरों से आए प्रमुख शिक्षाविदों, रिसर्च स्कॉलर्स व विद्यार्थियों ने कॉन्फ्रेंस के मुख्य विषय पर आधारित अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। अंत में गुंजित वरवड़े एवं रोहन प्रदीप के शोध पत्रों को श्रेष्ठ शोध पत्र अवार्ड से नवाजा गया। उन्हें प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह द्वारा पुरस्कृत किया गया। सुश्री अनीता चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।