स्वास्थ्य

कृमि संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों को खिलाएँ अल्बेंडाजोल की गोली : सीएस

– 7 लाख 77 हजार 559 बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य
– 7 नवंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस और 11 नवंबर को मॉप अप दिवस पर बच्चों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की गोली
– 1 से 19 साल तक के बच्चों को सभी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर खिलाई जाएगी दवा

मुंगेर, 06 नवंबर। कृमि संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों को खिलाएँ अल्बेंडाजोल की गोली । उक्त बात रविवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (7 नवंबर) और मॉप अप दिवस (11 नवंबर) के प्रति निकाले गये जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाते हुए सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय ने कही। उन्होंने बताया कि मिट्टी, पानी और वातावरण के कारण बच्चे और बड़े दोनों में हुकवर्म, टैप वर्म व अन्य प्रकार के कृमि हो सकते हैं। कृमि के कारण बच्चों में कुपोषण, खून की कमी, थकावट, मानसिक विकास में कमी हो जाती है। इनसे बचाव के लिए साल में कम से कम दो बार कृमि की दवा खानी चाहिए, ताकि सेहत अच्छी रह सके। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निखिल राज, सुशील जी सहित कई लोग उपस्थित थे।

7 नवंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि 7 नवंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस एवं 11 नवंबर को मॉप अप राउंड आयोजित किया जायेगा। जिसमें जिला भर के सभी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के जिले के 7 लाख 77 हजार 559 बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी की गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि बच्चों के उम्र के अनुसार ही दवा खिलाई जायेगी।
1 से 2 वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जायेगी। गोली को दो चम्मच के बीच रखकर पूरी तरह से चूरा करना है फिर पीने के पानी के साथ मिलाकर खिलाना है। इसी तरह से 2 से 3 वर्ष तक बच्चों को अल्बेंडाजोल की पूरी गोली खिलानी है। इसके अलावा 3 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को अल्बेंडाजोल की पूरी गोली खिलानी है।
उन्होंने बताया कि अल्बेंडाजोल की गोली हमेशा चबाकर पानी के साथ ही खानी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या शिक्षक अपने सामने ही चम्मच से अल्बेंडाजोल की गोली खिलाएंगे।

कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक-
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निखिल राज ने बताया कि स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में बच्चों को अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। वैसे बच्चे और किशोर जो स्कूल नहीं जाते हैं उन पर भी विशेष फोकस किया जाएगा और उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों पर अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जायेगी। उन्होंने बताया कि पेट में कृमि होने से बच्चों को कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए।

कृमि के कारण बच्चों में होने वाली समस्या –
कृमि के कारण बच्चों को पढ़ने में मन नहीं लगता है। वहीँ खाने में रुचि घटने लगती है, जिससे शरीर में भोजन नहीं लगता है। अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया के शिकार होने से बच सकते हैं। मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है। बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

अभियान की सफलता को लेकर हो रहा है प्रचार प्रसार-
उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर सभी सरकारी विद्यालयों , ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पोस्टर, बैनर, पंपलेट और जागरूकता रथ पर माइकिंग के माध्यम से प्रचार- प्रसार कराया जा रहा है ताकि कोई भी बच्चा यह दवाई खाने से छूटने ना पाए।

उल्टी या मिचली महसूस होने पर घबराएँ नहीं –
उन्होंने बताया कि यदि दवा खाने के बाद उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सिरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब ठीक हो जाता है।

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