राज्य

स्तनपान सप्ताह का आगाज, महिलाओं को किया जाएगा जागरूक 

-एक सप्ताह तक जिले भर में चलाया जाएगा अभियान
-कार्यक्रमों से स्तनपान के बारे में दी जाएगी जानकारी

बांका-
 
जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह का आगाज सोमवार को हो गया। यह अभियान पूरे एक सप्ताह तक जिले भर में चलेगा। इस दौरान लोगों को स्तनपान के फायदे के बारे में बताया जाएगा। इस अभियान के तहत जिले के प्रखंडों में पूरे सप्ताह भर तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को स्तनपान कराने के फायदे के बारे में बताया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर लोगों को स्तनपान के महत्व की जानकारी मिल सके और इस अभियान का सफलतापूर्वक संचालन हो सके, इसे लेकर कई निर्देश जारी किए गए हैं। कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिले के अस्पतालों में आशा कार्यकर्ताओं व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्तनपान को लेकर लोगों को कैसे जागरूक करना है, स्तनपान का महत्व और इससे होने वाले फायदे समेत अन्य आवश्यक जानकारी देते हुए इसे आमलोगों तक पहुंचाकर जागरूक करने के लिए कहा गया। अभियान के तहत शिशु के पोषण का आधार है, मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है जैसे नारे लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। 
जन्म के एक घंटे के अंदर पिलाना शुरू करें दूधः एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि स्तनपान सप्ताह की शुरुआत जिले में सोमवार को हो गई है। इसे लेकर पूरे सप्ताह तमाम कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को स्तनपान का महत्व बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि जन्म के एक घंटे के अंदर ही बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए। मां का यह गाढ़ा-पीला दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। बच्चे के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए। इससे बच्चे न सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी है जो कि उसका बीमारियों से बचाव करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर अगर बच्चा बीमार भी पड़ जाता है तो वह उससे आसानी से उबर जाता है। इसलिए मांओं को जन्म के बाद छह माह तक स्तनपान कराने पर जोर देना चाहिए। 
छह माह के बाद दें पूरक आहारः डॉ. चौधरी ने बताया कि बच्चे के जन्म के छह माह तक तो सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद बच्चे को पूरक आहार, जैसे कि खिचड़ी, खीर इत्यादि देना चाहिए। पूरक आहार देने के बाद भी बच्चे को दो साल तक मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए। तभी बच्चे का सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास हो पाता है। साथ ही स्वस्थ शरीर का भी निर्माण होता है। इसलिए, स्तनपान कराने वाली सभी मांओं को पुराने  ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आकर दो वर्षों तक अपने शिशु को स्तनपान कराना चाहिए।  
बच्चे से लेकर मां तक का होता है बचावः डॉ. चौधरी ने बताया कि स्तनपान कराने से पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आती है। साथ ही बच्चों को दस्त, निमोनिया समेत कई बीमारियों से बचाता है। इसके अलावा बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी मजबूत होती है। साथ ही मांओं में भी स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। साथ में मोटापा टाइप-2 मधुमेह का भी खतरा काम हो जाता है। इस तरह से स्तनपान कराने के कई फायदे हैं। इससे बच्चे से लेकर मां तक का बचाव होता है।

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