स्वास्थ्य

सरकारी अस्पताल में सहायता मिली तो टीबी को मात देकर हो गए स्वस्थ

-जांच और इलाज से लेकर दवा भी मुफ्त में मिली, पोषण के लिए राशि भी दी गई
-रजौन के मड़री के उदय पासवान का सरकारी अस्पताल के प्रति नजरिया ही बदल गया 

बांका, 6 जुलाई-

आमलोगों में यह धारणा है कि पैसा भले ही अधिक लगे, लेकिन निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज होता है। यही सोचकर लोग निजी अस्पताल का दरवाजा खटखटाते हैं। पिछले कुछ सालों में सरकारी अस्पतालों में बढ़ी सुविधाओं और सरकार का बीमारियों के प्रति अभियान से अभी भी बहुत सारे लोग अनजान हैं। इसका कुछ लोगों को खामियाजा भी उठाना पड़ता है। रजौन प्रखंड के मड़री गांव के रहने वाले उदय पासवान भी शुरुआत में इसी भ्रम का शिकार हो गए और इसका खामियाजा उन्हें आर्थिक नुकसान के तौर पर उठाना पड़ा। हालांकि समय रहते वह चेत गए और सरकारी अस्पताल में इलाज करवाकर आज पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
दरअसल, उदय 2018 में टीबी की चपेट में आ गए थे। शुरुआत में वह इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल गए। काफी दिनों तक उदय ने निजी अस्पताल में इलाज करवाया। वहां पर उन्हें काफी आर्थिक दंड भी लगा और वह ठीक नहीं हो पाए। जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो वह हारकर जिला यक्ष्मा केंद्र पहुंचे। वहां पर उनकी मुलाकात जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय से हुई। राजदेव राय उदय की परेशानी समझ गए। इसके बाद उन्होंने वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक शिवरंजन कुमार से उदय की मुलाकात करवाई। इसके बाद जिला यक्ष्मा केंद्र में जांच के बाद उदय का इलाज शुरू हुआ और फिर गांव के पास ही स्थित रजौन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उदय का इलाज चलने लगा। दरअसल, मड़री गांव से जिला आने और इलाज करवाने में काफी समय लगता और साथ में पैसा भी खर्च होता। इसलिए शिवरंजन कुमार ने रजौन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बोलकर उदय का इलाज शुरू करवाया। जहां से उसे जांच-इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिल रही थी। टीबी के इलाज का कोर्स पूरा हुआ और आज वह स्वस्थ है।
निजी अस्पताल जाकर मैंने गलती की थीः उदय कहते हैं कि निजी अस्पताल में जाकर मैंने बड़ी गलती कर दी थी। मुझे मालूम नहीं था कि सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज को लेकर इतनी बेहतर व्यवस्था है। जानकारी मिलने पर जब मैं जिला यक्ष्मा केंद्र गया तो वहां मेरी मुलाकात राजदेव राय और शिवरंजन कुमार से हुई। इन दोनों लोगों ने मेरी बहुत मदद की। आज मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान मुझसे कोई पैसा नहीं लिया गया। साथ ही जांच, इलाज और दवा की सुविधा मुफ्त में मिली। साथ में जब तक इलाज चला, तब तक 500 रुपये प्रतिमाह सही पोषण लेने के लिए भी मिला।
कई लोग इस तरह की करते हैं भूलः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि यह कहानी सिर्फ उदय की ही नहीं है। उदय जैसे कई लोग हमलोगों के पास आते हैं जो पहले निजी अस्पतालों में जाकर इलाज करवा चुके होते हैं। सही तरीके से इलाज नहीं होने और आर्थिक नुकसान के बाद आखिर में हमलोगों के पास आते हैं। जब हमारे पास आते हैं तो वैसे टीबी मरीजों का ठीक से इलाज शुरू करवाते हैं और एक निश्चित समय में उसे स्वस्थ भी कर देते हैं। इसलिए लोगों से हमलोग यही अपील करते हैं कि एक बार सरकारी अस्पताल जरूर आएं और यहां कि सुविधाओं को देख लें। निजी अस्पतालों से भी बेहतर सुविधा आपको यहां मिलेगी।

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