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“सुमित्रा शर्मा एक युग का समापन”

देश की जानी मानी समाज सेविका और सुमित्रा फाउंडेशन की नींव रखने वाली श्रीमती सुमित्रा शर्मा का देहांत पांच मई को 73 वर्ष की उम्र मे हदय गति रूकने से हो गया।

श्रीमती सुमित्रा शर्मा प्रदेश के जाने-माने व्यापारिक और राजनीतिक परिवार से सम्बंध रखती थी, अपने पीछे वो अपने चार बेटों और उनके परिवार को छोड़कर गयी है, जिसमे देश के जाने-माने औधोगिक सलाहकार और मानवाधिकार परिषद के राष्ट्रीय सचिव चिरंजीत कुमार शर्मा उनके सबसे छोटे पुत्र है,जो देश की राजनीति और औधोगिक जगत में जाना पहचाना नाम है, चिरंजीत शर्मा अपनी माताजी को ईश्वर की तरह पूजते थे और उनके नाम से सुमित्रा फाउंडेशन बनाकर भूखमरी और ब्लाइंड लोगों के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं वो भी बिना किसी सामाजिक और सरकारी आर्थिक मदद लिये।
सुमित्रा जी ने अपने सभी बेटों को इस तरीके से पाला था कि आज उनके हर बच्चा समाज को एक नयी दिशा दे रहा है, उन्होंने अपने साथ अपने बच्चों को जीवन में कडा संघर्ष के साथ कैसे अनुशासित रहा जाता है सिखाया और गरीबों के उत्थान के लिए कैसे जीवन समर्पित किया जाता है सिखाया।
समाज के हर स्तर पर सुमित्रा जी ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है, समाज के जाने-माने लोग उनके जीवन को एक युग मानकर उनकी मृत्यु को एक युग के अंत के रूप में मान रहें हैं।

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