ज्योतिष

ज्योतिषाचार्य जयकान्त शर्मा कौण्डिन्य जी से जाने रविवार, 21 जून,को लगने बाला सूर्यग्रहण के बारें में

ग्रस्त सूर्य बिम्ब को नंगी आंखों से कदापि न देखें|

****खण्डग्रास सूर्यग्रहण****
ज्योतिषाचार्य जयकान्त शर्मा कौण्डिन्य
ख्याति प्राप्त ज्योतिषी व कर्मकांड विशेषज्ञ
(8287374774,8851746668)

वि० संवत् 2077शाके 1942, आषाढ़ कृष्ण अमावस्या , रविवार, दिनांक 21 जून सन् 2020 ई० को खण्डग्रास सूर्यग्रहण लगेगा। यह ग्रहण चूड़ामणि योग युक्त होगा। यह भारत में दिखाई देगा। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अफ्रीका,दक्षिण- पूर्व यूरोप,मध्य पूर्व के देशों,एशिया,इण्डोनेशिया, माइक्रोनेशिया में दिखाई देगा। इस सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाएगा। यह ग्रहण मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र पर , मिथुन राशि पर लगेगा। सार्वभौमिक परिदृश्य में इसका आरंभ दिन में 09:16 बजे होगा और मोक्ष 15:04बजे होगा किंतु ग्रहण का समय प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग होता है। रविवार, 21 जून को दिन में 10:20 बजे से दिन में 1:48:30बजे तक यह ग्रहण रहेगा।यह दिल्ली का समय है। इसका सूतक शनिवार, दिनांक 20 जून को रात 22:20बजे से ही प्रारंभ होगा। इसका ग्रासमान 95.2%होगा। इस ग्रहण के कारण पृथ्वी पर अंधकारमय स्थिति होगी। विश्व के लिए यह ग्रहण हानिकारक होगा।

निम्न राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभदायक होग-
मेष,सिंह,मीन और कुछ हद तक वृश्चिक

निम्न राशि वालों के लिए हानिकारक होगा-
वृष, मिथुन, कर्क,तुला,कन्या,धनु,मकरऔर कुंभ

भारत के विभिन्न शहरों में ग्रहण का प्रारंभ एवं समाप्ति काल-
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प्रारंभ समाप्त
(घं मि) (घं मि)
दिल्ली। 10:20. 13:48
वाराणसी 10:31 14:04
चेन्नई 10:22 13:41
गया 10:36 14:09
मुंबई 10:01 13:28
लखनऊ 10:27 13:59
पटना 10:37 14:09
अमृतसर 10:19 13:42
जालंधर 10:20 13:44
हरिद्वार 10:24 13:51
रांची 10:37 14:10
प्रयाग 10:28 14:01
आरा 10:34 14:07
कोलकाता 10:46 14:17
गोरखपुर 10:32 14:05
सूरत 10:03 13:31
अयोध्या 10:29 14:01
हरिद्वार 10:23 13:50
आजमगढ़ 10:31 14:04
बलिया 10:35 14:06
बंगलोर 10:12 13:31
डिब्रूगढ़ 11:07 14:30
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना ,अनावश्यक खाना-पीना , मैथुन ,निद्रा, तेल मर्दन वर्जित है |झूठ -कपट आदि वृथा अलाप,नाखून काटने आदि से परहेज करना चाहिए| वृद्ध, रोगी ,बालक एवं गर्भवती स्त्रियों को यथा अनुकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नहीं है|
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सब्जी काटने , शयन करने,पापड़ सेकने आदि उत्तेजक कार्यों से परहेज करना चाहिए तथा धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हुए प्रसन्नचित रहें| इससे भावी संतति स्वस्थ एवं सद्गुणी होती है|गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा लें तथा संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ करें।दूधी,घी, तेल, पनीर ,अचार ,मुरब्बा एवं भोजन सामग्रियों में तिल ,कुश या तुलसीपत्र डाल देने से ये ग्रहण काल में दूषित नहीं होते| सूखे खाद्य पदार्थ में तिल या कुशा डालने की आवश्यकता नहीं है।
अन्नं पक्वमिह त्याज्यं स्नानं सवसनं ग्रहे|
वारितक्रारनालादि तिलैदंभौर्न दुष्यते||

ग्रहणकाल में भगवान सूर्य -उपासना ,आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र आदि सूर्य स्तोत्रो का पाठ व गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए | ग्रहणोंपरांत स्नान-दान का भी महत्त्व है।

ग्रहण जहां जितने समय तक दिखाई देता है, वहीं उसकी मान्यता उतने काल तक ही होती है।

ध्यातव्य बातें: -ग्रस्त सूर्य बिम्ब को नंगी आंखों से कदापि न देखें|वैल्डिंग वाले काले ग्लास में से इसे देख सकते हैं|

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