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राष्ट्रकवि दिनकर काव्यकुसुम श्रृंखला में आज की पंक्तियाँ ‘कुरुक्षेत्र’ से!
काव्यकुसुम श्रृंखला में आजकवि सत्येन्द्र सत्यार्थी
शांति खोलकर खड्ग क्रांति का
जब वर्जन करती है,
तभी जान लो किसी समर का
वह सर्जन करती है।
राष्ट्रकवि दिनकर काव्यकुसुम श्रृंखला में आज की पंक्तियाँ ‘कुरुक्षेत्र’ से!