राज्य

शिशु को डायरिया निमोनिया से बचाव के लिए नियमित स्तनपान जरूरी

जन्म के पहले घंटे के भीतर का स्तनपान, बनेगा जीवन का वरदान

 

लखीसराय, 19 मई:

कोरोना संक्रमण के समय में सभी एहतियात बरत रहे हैं. लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर जागरूकता आयी है. सभी पोषण का विशेष ध्यान रख रहे हैं. ऐसे में शिशुओं के भी पोषण का खास ख्याल रखा जाना जरूरी है. शिशुओं के लिए आधारभूत पोषण में स्तनपान शामिल है. बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी  है। माँ के दूध में के अलावा छ्ह माह तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। स्तनपान कराने से बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा होता है और उसे यह सुरक्षा का बोध भी कराता है। लैंसेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 फीसद और 15 फीसद कमी लायी जा सकती है।

 

शुरूआती स्तनपान जरुरी: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक भारती ने बताया डायरिया व निमोनिया से बचाव के लिए स्तनपान बहुत अधिक कारगर है. माँ के दूध की महत्ता को समझते स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तानपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही हो . इसके अलावा माँ को स्तनपान की पोजीशन, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी नर्स द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये।

 

उन्होंने बताया कि यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का दूध दिया जाना चाहिए और उसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि वह बच्चे के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में  काम करता है। बच्चे को हर डेढ़ से दो घंटे में भूख लगती है। इसलिए बच्चे को जितना अधिक बार संभव हो सके माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। माँ का शुरुआती दूध थोड़ा कम होता है लेकिन वह बच्चे के लिए पूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा है और वह बाहरी दूध देना शुरू कर देती हैं जो कि एक भ्रांति के सिवाय और कुछ नहीं है। माँ के दूध में भरपूर पानी और पोषक तत्व होते हैं इसलिए बच्चे को बाहर का कुछ देने की जरूरत नहीं होती

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button