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एनीमिया से बचाव के लिए नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन जाँच जरूरी : सिविल सर्जन

– एनीमिया मुक्त भारत अभियान • जिला स्तरीय उन्मुखीकरण का आयोजन, दी गई आवश्यक और जरूरी जानकारी
– जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक, बीसीएम एवं बीएम&ई हुए शामिल

लखीसराय, 27 दिसंबर-

मंगलवार को जिला सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार हाॅल में सिविल सर्जन डाॅ बिनोद कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में एनीमिया मुक्त भारत अभियान से संबंधित एक दिवसीय जिला स्तरीय उन्मुखीकरण का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक, बीसीएम एवं बीएम&ई शामिल हुए। वहीं, इस दौरान एनीमिया मुक्त भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। जिसके पश्चात् मौके पर मौजूद सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। इस मौके पर एसीएमओ सह डीआईओ डाॅ अशोक कुमार भारती, डीपीएम मो. खालिद हुसैन, डीसीएम आशुतोष कुमार आदि मौजूद थे।

– एनीमिया से बचाव के लिए नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन जाँच जरूरी :
सिविल सर्जन डाॅ बिनोद कुमार सिन्हा ने कहा, एनीमिया से बचाव के लिए नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन जाँच और उचित खान-पान का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इसलिए, महिलाओं को नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन जाँच करानी चाहिए। साथ ही पोषण युक्त खान-पान का सेवन करना चाहिए। दरअसल, एनीमिया खून की कमी से होता है। इसलिए, इससे बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को 180 दिनों तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों को प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का और 06 माह से 05 साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।

– आईसीडीएस और शिक्षा विभाग का लिया जाएगा सहयोग :
एसीएमओ सह डीआईओ डाॅ अशोक कुमार भारती ने बताया, एनीमिया मुक्त भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए आईसीडीएस एवं शिक्षा विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। दोनों विभागों से समन्वय कर ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित टीकाकरण के दौरान 06 माह से 05 वर्ष तक बच्चे-बच्चियाँ और प्रत्येक बुधवार को जिले के सभी स्कूलों में 06 से 09 वर्ष तक के बच्चे-बच्चियाँ एवं 10 से 19 वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को संबंधित केंद्र और स्कूल के नोडल पदाधिकारी के नेतृत्व में एनीमिया से बचाव के लिए आयरन की दवा का सेवन कराना सुनिश्चित किया जाना है। साथ ही इस दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक भी किया और हीमोग्लोबिन जाँच भी की जाएगी। वहीं, उन्होंने बताया, एनीमिया से स्थाई निजात के लिए समय पर जाँच जरूरी है। इसलिए, लक्षण दिखते ही तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच करानी चाहिए। क्योंकि, समय पर जाँच और जाँच के पश्चात इलाज कराने से आसानी के साथ इससे स्थाई निजात संभव है।

– ये हैं एनीमिया के प्रारंभिक लक्षण :
एनीमिया बीमारी का शुरुआती लक्षण,- थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, साँस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि होना है। ऐसा लक्षण होते ही ससमय इलाज कराएं।

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