स्वास्थ्य

जन्म के बाद पहले 60 सेकेंड तक बच्चों की निगरानी बहुत जरूरी

-नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत डॉक्टरों को दिया गया प्रशिक्षण
-प्रशिक्षण के दौरान प्रायोगिक तौर पर करके भी दिखाया गया डॉक्टरों को
बांका, 23 मार्च-

नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत बुधवार को पारा मेडिकल संस्थान में जिले के डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान जिले की शिशु मृत्यु दर को कैसे कम किया जाए, इस पर फोकस किया गया। इसके लिए जरूरी उपायों के बारे में डॉक्टरों को जानकारी दी गई। खासकर जन्म के बाद नवजात की देखभाल कैसे की जानी है, इसे बताया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी, डीआईओ डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल और डीसीएम राजेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया। डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने का काम मास्टर ट्रेनर अंजनी कुमार, डॉ. संध्या गुप्ता, केयर इंडिया के डीटीएल तौसीफ कमर और केयर इंडिया की मेंटर मैरी जूली ने किया।
प्रशिक्षण के दौरान एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जन्म के पहले 60 सेकेंड तक बच्चे की देखभाल बहुत ही आवश्यक होता है। जन्म के तुरंत बाद उसकी निगरानी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। यदि नवजात पूरी तरह से स्वस्थ्य है तो ठीक है, लेकिन जन्म के बाद अगर कोई हरकत नहीं कर रहा है तो उसे किस ट्रीटमेंट की जरूरत है, इसकी पहचान करना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर इसकी पहचान हो जाती है तो फिर बच्चे का इलाज आसान हो जाता है।
जन्म के बाद एक-एक सेकेंड जरूरीः प्रशिक्षण के दौरान केयर इंडिया की मैरी जूली ने बताया कि जन्म के बाद नवजात की देखभाल के लिए एक-एक सेकेंड बहुत महत्वपूर्ण होता है। दरअसल, जन्म के बाद तीन बातों पर ध्यान देना आवश्यक होता है। सबसे पहले तो यह पता करना होता है कि किस नवजात को पुनर्जीवन की जरूरत है। दूसरा पुनर्जीवन वाले बच्चे की पहचान भी उतना ही जरूरी है और तीसरा सबसे अंतिम बच्चे के पुनर्जीवन के बाद भी यदि उसकी देखभाल की जरूरत है या नहीं। इस तीनों प्रक्रियाओं की पहचान करना बहुत ही जरूरी होता है। यदि इसकी पहचान हो गई तो फिर आगे की राह आसान हो जाती है।
ज्यादा गंभीर होने पर एसएनसीयू रेफर कर देना चाहिएः मैरी जूली ने बताया कि जन्म के बाद पहले 60 सेकेंड तक बच्चों की निगरानी भी दो भागों में करने की जरूरत है। पुनर्जीवन वाले बच्चे अगर 30 सेकेंड की ट्रीटमेंट में बेहतर हो गया तो ठीक है। यदि नहीं नहीं हुआ तो अगले 30 सेकेंड तक किस तरह से उसका ट्रीटमेंट करना है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। जन्म के बाद नवजात एक मिनट के अंदर रोया या नहीं, शरीर कहीं पीला तो नहीं पड़ रहा है। यदि बच्चे की ब्लड, शुगर इत्यादि जांच करानी है तो इसे जल्द पहचानना पड़ता है। यदि नवजात ज्यादा गंभीर लगे तो उसे सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में रेफर कर देना बेहतर होता है।

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