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गर्भवती एवं धात्री  माताओं को अपने खान – पान का ख्याल रखना है जरूरी 

  — जिले में एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार नाटापन के प्रतिशत में आई है कमी – खाने में जरूर करें विटामिन युक्त भोजन शामिल 

 लखीसराय,  30 अक्टूबर –

 जिलेभर में बच्चों के  नाटापन में  कमी आई है जो एक  अच्छा बदलाव है। दरअसल बच्चों को  कुपोषण से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार भी काफी गंभीर है। हालांकि  कुपोषण से  पूरी तरह से मुक्त होने  के लिए धात्री माताओं के साथ समाज के हर परिवार के हर सदस्य को जागरूक होने की आवश्कता है।  ताकि हमारा समाज कुपोषण मुक्त बन सके । इसके लिए जरूरी है गर्भवती माताओं के  साथ धात्री माताओं को भी  अपने  खान -पान का विशेष ख्याल रखने की।  एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिले में बच्चों में नाटापन  के प्रतिशत में हुई है कमी  :  सिविल सर्जन डॉ.बी .पी. सिन्हा  ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों के प्रयास से जिले में बच्चों के नाटापन में कमी आयी है। उन्होंने बताया कि एनएफएचएस 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिले में 50.6 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे । जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 42.7 प्रतिशत रह गया है। इस दिशा में अभी और काम  करने की जरूरत है। जिससे  जिले के साथ समाज भी कुपोषण मुक्त हो सके।  बेहतर पोषण के लिए  पौष्टिक आहार जरूरी : एक स्वस्थ्य माँ ही एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे  सकती है। सभी को मालूम होना चाहिए कि  इसके लिए जरूरी है कि  हर गर्भवती महिला अपने खाने में सभी तरह के  पौष्टिक आहार को नियमित रूप से शामिल करे। समय -समय पर  अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र पर  प्रसव -पूर्व जाँच   करवानी  चाहिए । ये जाँच प्रसव से पहले चार बार होती  है। गर्भस्थ  बच्चे के लिए महिला की  थाली में सभी तरह के विटामिन युक्त भोजन शामिल  होने चाहिए। उस थाली में कार्बोहाइड्रेट वाली पदार्थ जैसे रोटी व चावल , प्रोटीन और खनिज वाली चीजें जैसे दाल एवं हरी  पत्तेदार सब्जी  के साथ  पीले फल अगर महिला मांसाहारी है तो अंडे एवं मछली को खाने में शामिल करें।  पूरे  गर्भकाल में गर्भवती महिला के  वजन में 10 से 12 किलो की वृद्धि होनी चाहिए । यदि इससे कम वृद्धि हो रही है तो जन्म  के समय बच्चे का वजन काम होगा जो जन्म से ही कुपोषित हो जाएगा।

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