हरियाणा में कांग्रेस की बढ़त से टिकटों पर मचा घमासानगुटबाजी में बंटी कांग्रेस मप्र, छग और राजस्थान में हुए खेल से लेगी सबक!

-रितेश सिन्हा-
विधानसभा चुनावों में मप्र, छग और राजस्थान में कांग्रेस को गुटबाजी ले डूबी। वैसा ही माहौल हरियाणा में भी दिखाई दे रहा है। गुटों में बंटी कांग्रेसी नेता व स्थानीय क्षत्रप अपने-अपने चहेतों को टिकट दिलाने में व्यस्त हैं। अगर यही हाल रहा तो नतीजे चौंकाने वाले आ सकते हैं। कांग्रेस ने हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए दावेदारों से नाम मांगे थे। स्क्रिनिंग कमिटी ने उनकी दावेदारी को लेकर क्षेत्र में नाम से सर्वे शुरू कर दिया। कांग्रेस ने अपने यहां आवेदन की प्रक्रिया पिछले ही सप्ताह निबटा ली थी। स्क्रिनिंग कमिटी के चेयरमैन अजय माकन के कार्यालय ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 90 सीटों पर 2500 से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी जतायी। हरियाणा में चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में मिल रही कांग्रेस की बढ़त को देखते हुए नीलोखेड़ी सीट पर कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा 88 उम्मीदवारों ने टिकट मांगा है। विधानसभा क्षेत्र उकलाना से 57, बाढ़डा से 60, बवानीखेड़ा से 78 और जुलाना से 86 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी ठोकी हुई है। खास बात है कि हुड्डा के मुकाबले रोहतक में किसी ने अपनी दावेदारी पेश नहीं की। अलबत्ता गढ़ी सांपला किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा एकलौते उम्मीदवार हैं। देवीलाल परिवार की पुस्तैनी सीट डबवाली से केवल 4 दावेदार सामने आए हैं। यही हाल कैथल का है। कैथल से रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने किसी जेबी को उम्मीदवार न बनाने का फैसला किया है। आपको बता दें कि ऐन वक्त पर सुरजेवाला पलटी मारते हुए अपने बेटे आदित्य को उम्मीदवारी दिला सकते हैं, ऐसे संकेत दिल्ली में बैठे रणदीप के चंपू ने दिए। पिछली बार विधानसभा चुनाव में विधायक रहते हुए उपचुनाव में बुरी तरह मात खाए रणदीप इस बार अपना सियासी कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। टिकटों की मारामारी के इस भीड़ में बड़े नेताओं में खासा हड़कंप मचा हुआ है। हुड्डा एक तरफ और बाकी सब मिलकर उनकी घेराबंदी में लगे हैं। व्यवसायी कारोबार ने नेता बने नवीन जिंदल के भाजपाई सांसद बनने के बाद कुरुक्षेत्र का कांग्रेसी गणित भी फिलहाल गड़बड़ नजर आ रहा है। नवीन की पलटी के बाद पूर्व सांसद प्रो. कैलाशो सैनी ये तय नहीं कर पायी हैं कि वे नारायणगढ़, रादौर, पिहोवा और इंद्री विधानसभा क्षेत्रों से किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी। अलबत्ता उन्होंने भी अवतार सिंह भड़ाना की राह चलते हुए सभी सीटों पर अपना दावा ठोका हुआ है। यूपी के मेरठ और फरीदाबाद के पूर्व सांसद रह चुके अवतार सिंह भड़ाना कब किस दल मे जाएंगे ये चुनाव के वक्त तय करते हैं। उन्होंने भी फरीदाबाद, एनआईटी, पुन्हाना और नांगल चौधरी विधानसभा सीटों से टिकट मांग लिया है। हरियाणा में जीत का आंकड़ा देखते हुए पूर्व सांसद डॉ. सुशील इंदौरा ने बवानीखेड़ा, नरवाना और रतिया विधानसभा सीटों से अपनी दावेदारी पेश कर दी है।कांग्रेस की सरकार बनती देख राज्य सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष रह चुके जगदीश सिंह झींडा ने भी असंध से अपने दावेदारी जता दी। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और उपमुख्यमंत्री रह चुके चांद मोहम्मद उर्फ चंद्र मोहन के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंडीगढ़ से सांसद, एआईसीसी के कोषाध्यक्ष रहे पवन कुमार बंसल ने भी चंडीगढ़ से सटे पंचकूला से अपने बेटे मनीष बंसल के लिए टिकट मांगा है। प्रियंका गांधी के साथ लोकसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में मनीष तिवारी को सांसद बनाने के लिए बंसल उतरे थे। बंसल के समर्थन से बमुश्किल 300 वोटों से मनीष तिवारी सांसद बन पाए। हालांकि पवन बंसल का कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे से 36 का आंकड़ा रहा है। उनके बेटे को टिकट मिलेगा इसमें संशय है। हिसार के पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह के बेटे ने अपनी परंपरागत सीट उचाना, जेजेपी से कांग्रेसी बने मौजूदा विधायक रामकरण काला भी शाहबाद से टिकट मांग रहे हैं। दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान और तोशाम से अनिरुद्ध चौधरी भी कांग्रेसी टिकट पर दावेदारी कर रहे हैं। इस पर मोहर लगना बाकी है। विधानसभा सीट गढ़ी सांपला किलोई, नूंह, महेंद्रगढ़, पलवल, रेवाड़ी, होडल तथा डबवाली में 1 से लेकर 5 तक अधिकतम प्रत्याशी हैं। गन्नौर में तो दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। हुड्डा बनाम शैलजा की लड़ाई जाट से जाट तक लड़ी जा रही है। यहां कुल 19 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की है। गन्नौर में हुड्डा के बूते कुलदीप शर्मा ने एक बार फिर टिकट मांगा है। कुलदीप विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विश्वासपात्र माने जाते हैं। सीनियर हुड्डा की कमजोर नस को पकड़े हुए कुलदीप शर्मा पिछला लोकसभा चुनाव देश में सबसे अधिक मतों से हार का रिकार्ड बनाने वाले नेताओं में दूसरे नंबर पर हैं। हार का अंतर 6 लाख वोटों से अधिक का है। पिछले चुनाव में हुड्डा ने क्षेत्र में भारी विरोध के बाद गन्नौर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़वा तो दिया। स्थानीय जाटों ने कुलदीप शर्मा को हराते हुए हुड्डा के सिर पर हार की पगड़ी बांध दी। जिद पर डटे भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार भी कुलदीप शर्मा के नाम पर अड़े हैं। वहीं स्थानीय कांग्रेसियों ने जाट नेता राजेश पहलवान पुरखासिया को जिताने के लिए एड़ी-चोटी एक की हुई है। पुरखासिया के लिए कुमारी शैलजा ने मोर्चा संभाला हुआ है। 2019 में टिकट कटने के बावजूद पुरखासिया पूरे पांच वर्षों तक कांग्रेस का झंडा लेकर क्षेत्र में डटे रहे हैं। हरियाणा में टिकटों की आपाधापी में हुड्डा बनाम अन्य जिसमें सुरजेवाला, शैलजा, चौधरी वीरेंद्र कहां टिक पाते हैं, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें टिकी हुई है।