स्वास्थ्य

आइएडी उपचार केंद्र में इलाज के बाद दयानन्द को मिली नई जीवन



—पेशेंट नेटवर्क सदस्य की मदद से उपचार के लिए पहुंचा आईएडी केंद्र
—फाइलेरिया बीमारी से बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान लोगों से की दवा सेवन करने की अपील

खगड़िया-

फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। पर, जानलेवा नहीं। शायद, इस बात की जानकारी हाथीपांव से ग्रसित सदर प्रखंड खगड़िया अन्तर्गत स्थित शोभनी गांव निवासी दयानन्द यादव को नहीं थी। जब उनके दायें पैर का सूजन बढ़ने लगा और चलने—फिरने में परेशानी होने लगी। तब उन्हें यह महसूस होने लगा कि हमारी जिदंगी अब चुनौती पूर्ण हो गयी है। इतना के बावजूद भी मुझे ये पता नहीं था कि मैं हाथीपांव फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हूं। जब मुझे चलने में काफी तकलीफ होने लगी। अपने दैनिक कार्य को भी मैं ठीक से नहीं कर पाने लगा। इसी दौरान “सिफार” संस्थान के तहत बनाए गए पेशेंट नेटवर्क सदस्य से मुलाकात हुई। तब उन्होंने बताया कि आपको फाइलेरिया हाथीपांव की बीमारी है। उसके बाद पेशेंट नेटवर्क सदस्य की मदद से मैं उपचार के लिए बेगूसराय स्थिति आईएडी उपचार केंद्र पहुंचा। वहां इलाज कराने के बाद अब मुझे फिर से नई जिदंगी मिल गई है।

नियमित व्यायाम के साथ साफ-सफाई का रखें खास ख्याल :

दयानन्द बताते हैं कि फाइलेरिया होने के बाद जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए कार्य कर रही टीम ने मुझे नियमित व्यायाम के साथ साफ-सफाई हेतु जागरूक किया। इसके अलावे स्वास्थ्य विभाग के तरफ से मिलने वाली एमएमडीपी किट दिलाया। साथ ही ये भी बताया कि बेगूसराय में इस बीमारी के तकलीफ को कम हेतु निःशुल्क उपचार किया जाता है। राजकीय अयोध्या शिव कुमारी आयुर्वेद कॉलेज बेगूसराय सुभाष नगर में अवस्थित है। जब मैं इस संस्थान में आया तो सबसे अच्छी ये बात लगी की यहां हम जैसे मजदूर वर्ग के लोग पूरे तीन महीने तक अपने एक सहयोगी के साथ रहकर अपना इलाज मुफ्त में भी करवा सकते हैं। यहां आने से पहले मेरे दायें पैर का मोटाई लगभग ‘56’ इंच था। लेकिन उपचार केंद्र में 14 दिनों तक इलाज कराने के बाद पैर की मोटाई घटकर 38’’ इंच हो गया है। सचमुच बेगूसराय स्थित आईएडी उपचार केंद्र हाथीपांव से ग्रसित मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है।


एमडीए अभियान में जरूर करें दवा का सेवन :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने कहा कि जिले में जब एमडीए अभियान चलाया जाता है। उस दौरान आशा दीदी के द्वारा खिलायी जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवा खाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया को आम भाषा में हाथीपांव रोग कहा जाता है. यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है . विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दीर्घकालिक दिव्यांगता की एक बड़ी वजह फाइलेरिया है। यह एक ऐसी घातक बीमारी है जो शरीर को धीरे-धीरे खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी द्वारा होने वाला रोग है जो धागा के समान दिखने वाले ‘फाइलेरिडी’ नामक निमेटोड के कारण होता है।

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