भारतीय राजनीति के केंद्र में नीतीश कुमार की भूमिका अहम्

लोकसभा चुनाव – 2024 के परिणाम घोषित हो चुके हैं और इस चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने एक फिर से शानदार प्रदर्शन किया है। इसी के साथ, यह सुनिश्चित हो गया कि अब मोदी 3.0 की शुरुआत होने वाली है और उनके इस कार्यकाल में नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू जैसे सहयोगी नेताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रहने वाली है।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, चाहे नीतीश कुमार हों या चंद्र बाबू नायडू सभी ने अपने संबोधनों में यह स्पष्ट रूप से ज़ाहिर कर दिया है कि चाहे आर्थिक या सामाजिक विकास का मामला हो या विदेश नीति का – प्रधानमंत्री मोदी कहीं झुकने की आवश्यकता नहीं है और वे उनके हर निर्णय में साथ देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
यहाँ मैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेष तौर पर उल्लेख करना चाहूंगा। क्योंकि, बीते वर्ष उन्होंने बिहार में एक भारी राजनीतिक उठापटक के बीच महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। उनके इस निर्णय से न केवल बिहार को एक राजनीतिक स्थिरता मिली, बल्कि आज वह केन्द्र में एनडीए सरकार की भी बेहद अहम धुरी बन चुके हैं। इन समीकरणों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में बिहार के सामाजिक और आर्थिक उन्नति को भी मज़बूती मिलेगी।
कई तथाकथित बुद्धिजीवी नीतीश कुमार के इस निर्णय की ख़ूब आलोचना भी करते रहे हैं। लेकिन, मेरे विचारों में उन्हें इन पर ध्यान देने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्हें भाजपा के साथ एक बार फिर से गठजोड़ करके जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर लोगों को बाँटने का काम करने वाले महागठबंधन के नेताओं पर भी एक गहरा कुठाराघात किया है। यह कुछ वास्तव में, ऐसा है जहाँ जन-कल्याण के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की कोई बंदिश नहीं होगी और बिहार की जनता को शासन का अधिकतम लाभ सुनिश्चित होगा।
भाजपा और जदयू के इस गठजोड़ में जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने भी एक कुशल रणनीतिकार के रूप में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है। कुछ समय पहले ही उन्होंने विपक्षी महागठबंधन की नियति को लेकर भी कई बड़े खुलासे किये थे, जिसे लेकर जनता जर्नादन को सतर्क हो जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि पूर्व में उनकी महती भूमिका को देखते हुए, नीतीश कुमार आने वाले समय में पार्टी और सरकार में उन्हें कोई और बड़ा दायित्व देंगे।
नीतीश कुमार हिन्दी भाषा के भी एक बड़े पैरोकार हैं। इसका प्रमाण उन्होंने अपनी कार्यशैली के माध्यम से बारंबार दिया है। हिन्दी को लेकर उनके इस प्रबल समर्थन का साक्षात्कार हाल ही में आइएनडीआइए की बैठक के दौरान भी किया। उन्होंने हमेशा कहा कि कि हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रभाषा एवं आमजन की भाषा है। इसलिए भारत के हर नागरिक को हिन्दी की जानकारी और समझ होनी चाहिए। हमें पूर्ण विश्वास है कि एनडीए के इस कार्यकाल में हिन्दी को संपूर्ण भारत में बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किये जाएंगे और इस प्रयास में नीतीश कुमार की एक महती भूमिका होगी।