स्वास्थ्य

आशा कार्यकर्ता के प्रयास से टीबी के मरीज हो रहे जागरूक

-जागरूक होकर टीबी के मरीज सरकारी सुविधाओं का उठा रहे हैं लाभ
-कटोरिया प्रखंड की आशा शांता कुमारी 16 मरीजों का करा चुकी हैं इलाज

बांका, 3 नवंबर-

2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। इस अभियान में हर कोई अपनी भूमिका निभा रहा है। डॉक्टर से लेकर प्रशासनिक अधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी से लेकर फ्रंटलाइन वर्कर भी इसमें योगदान कर रहे हैं। आशा कार्यकर्ता भी इसमें अपनी भूमिका जोर-शोर से निभा रही हैं। कटोरिया प्रखंड के तुलसी वरण गांव की आशा कार्यकर्ता टीबी को लेकर लोगों को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ-साथ वे टीबी के मरीजों को चिह्नित कर इलाज के लिए अस्पताल भी पहुंचा रही हैं। अभी तक उन्होंने 16 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया है । जो अब इलाज के बाद ठीक हो रहे हैं।
टीबी मरीजों के इलाज में आशा का रोल अहमः कटोरिया रेफरल अस्पताल के लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार कहते हैं कि आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में काम करती हैं। एक-एक घर के साथ एक-एक व्यक्ति की भी जानकारी उनके पास रहती हैं। इसलिए अगर ये लोग अगर पूर जोर लगा देंगी तो अभियान पूरी तरह से सफल हो जाएगा। टीबी मरीजों के इलाज में आशा कार्यकर्ता की भूमिका काफी अहम है। कई आशा कार्य़कर्ता पूरी मेहनत से अभियान में अपनी भूमिका निभा रही हैं। आशा शांता कुमारी उनमें से एक हैं। टीबी के 16 मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाना कोई साधारण बात नहीं है। अभी भी इस बीमारी को लेकर लोगों के मन में छुआछूत की भावना है। ऐसे में उनलोगों को उत्प्रेरित कर अस्पताल तक लाना कोई छोटी बात नहीं है। अच्छी बात यह है कि शांता की ही तरह कई और आशा अपना काम ईमानदारी से कर रही हैं। इसी का नतीजा है कि क्षेत्र में तेजी से टीबी के मरीज चिह्नित हो रहे और उनका इलाज हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं।
लोगों में जागरूकता बढ़ीः आशा शांता कुमारी कहती हैं कि लोगों में अब जागरूकता बढ़ रही है। लोग अब समझने लगे हैं कि टीबी का इलाज संभव है। वह भी सरकारी स्तर पर। इलाज में पैसे भी नहीं लगते हैं। साथ में दवा भी मुफ्त में मिलती है। जब तक इलाज चलता तब तक सरकार की ओर से पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है। जब सरकार की ओर से इतनी सहायता मिलती है तो लोग भला क्यों अपनी बीमारी को छिपाएं । मैं क्षेत्र भ्रमण के दौरान लोगों को लगातार कहती हूं कि अगर किसी को दो हफ्ते तक लगातार खांसी हो, बलगम में खून आए, लगातार बुखार रहे, शाम के वक्त पसीना आए तो सरकारी अस्पताल जाकर टीबी की जांच जरूर करा लें। अगर जांच में टीबी की पुष्टि होती है तो तत्काल इलाज शुरू करा लें। जितना जल्द इलाज शुरू होगा, उतना ही जल्द आप ठीक होंगे। इसका असर भी लोगों पर पड़ रहा है। लक्षण दिखने पर लोग सरकारी अस्पताल जा रहे हैं।

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