स्वास्थ्य

कालाजार के छिपे हुए मरीजों की खोज शुरू

-मरीज मिलने के बाद उसका कराया जाएगा इलाज
-आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर ढूंढ रहीं मरीजों को 

भागलपुर-
 
जिले को 2023 तक कालाजार से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है। इसी सिलसिले में पिछले दिनों कालाजार प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव किया गया और अब छिपे हुए मरीजों की खोज शुरू की गई है। इसे लेकर जिले के उच्च प्राथमिकता वाले गांवों को चुना गया है। इसमें कहलगांव प्रखंड के सत्ती महागामा और नारायणपुर, पीरपैंती के बरमसिया, सन्हौला के अफजलपुर और बेला फुलवरिया और जगदीशपुर के आजमपुर कनेरी गांव शामिल हैं, जहां कालाजार मरीजों की खोज चल रही है। खोज के दौरान अगर यहां पर कालाजार के मरीज मिलते हैं तो उसका इलाज कराया जाएगा।
प्रभारी जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया कि खोज के दौरान यदि कोई व्यक्ति 15 या उससे अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित है और मलेरिया की दवा व एंटीबायोटिक लेने के बाद भी बुखार ठीक नहीं हुआ हो। साथ ही पेट बड़ा या फिर भूख नहीं लगने के लक्षण हों तो ऐसे व्यक्ति को आशा कार्यकर्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) ले जाकर जांच कराएंगी, जहां आरके-39 किट से उस मरीज की जांच होगी। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति का पूर्व में इलाज हुआ हो और फिर भी उसमें कालाजार के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे आशा कार्यकर्ता मायागंज अस्पताल जाने के लिए कहेंगी। जहां बोन मॉरो या स्पीलिन एसपीरेशन जांच उस व्यक्ति की होगी। इसके साथ-साथ वैसे व्यक्ति जिसे बुखार न हो, लेकिन उसके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो और उसमें सूनापन न हो। साथ ही वह पहले कालाजार से पीड़ित रहा हो। वैसे व्यक्तियों की भी आरके-39 से पीएचसी में जांच होगी। इन्हें भी आशा कार्यकर्ता पीएचसी लेकर आएंगी।
गांव में एक दिन पहले करानी होगी माइकिंगः डॉ. दीनानाथ ने बताया कि एक आशा कार्यकर्ता को एक दिन में 50 घरों में ही खोज करनी है। उनके आवंटित क्षेत्र में अधिकतम 250 घरों में रोगी खोज करने पर एकमुश्त प्रति आशा 200 रुपये का भुगतान किया जाएगा। आशा कार्यकर्ताओं के काम की निगरानी आशा फैसिलिटेटर करेंगी और उन्हें 300 रुपये भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा जिस गांव में कालाजार के मरीजों की खोज होनी है, उस गांव में एक दिन पहले माइकिंग कराने के लिए कहा गया है। साथ ही उस गांव के मुखिया को भी इसकी सूचना पहले देने को कहा गया है।
अभियान की होगी निगरानीः इस अभियान का पर्यवेक्षण प्रखंड स्तर से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, वीबीडीएस और केबीसी को करनी है। वहीं जिला स्तर से वीडीसीओ, केयर इंडिया के डीपीओ और डीसीएम करेंगे। केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक ने बताया कि अभियान से पहले आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर को इससे संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में जिस बात की जानकारी दी गई है, वे लोग उसके अनुसार अपना काम करेंगी। उनके काम की लगातार निगरानी की जाएगी। प्रतिदिन प्रखंडों से रिपोर्ट भेजनी है कि किस दिन कितने लोगों की जांच हुई।

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