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43 वाँ हिंदी महाअधिवेशन को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करेंगे डॉ विपिन

43 वाँ हिंदी महाअधिवेशन को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करेंगे डॉ विपिन
18 और 19 अक्टूबर 2024 को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का 43वां हिंदी महाधिवेशन और 106वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है । इस महाधिवेशन को हिंदी साहित्य की दो महान विभूतियों, पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और कलम के जादूगर श्री रामवृक्ष बेनीपुरी को समर्पित किया गया है। इस महाधिवेशन का औपचारिक उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि रंजन करेंगे। उनकी उपस्थिति इस महाधिवेशन को एक विशेष महत्व प्रदान करेगी। इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को ‘विद्या वारिधि’ उपाधि से सम्मानित किया जाएगा, जो उनके हिंदी साहित्य के प्रति योगदान को दर्शाता है।


सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने बताया कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित को ‘विद्या वाचस्पति’ की मानद उपाधि से विभूषित किया जाएगा। यह सम्मान उनके साहित्यिक कार्यों और योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा।
महाधिवेशन में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार का संबोधन होगा। डॉ. कुमार ने इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए कहा कि यह महाधिवेशन हिंदी भाषा और साहित्य के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उनका भाषण हिंदी साहित्य की समृद्धि, विविधता और वर्तमान चुनौतियों पर केंद्रित होगा, जो इस क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और प्रेरणा प्रदान करेगा।
महाधिवेशन में विभिन्न वैचारिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा। पहले सत्र में ‘हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति’ पर चर्चा होगी, जिसमें विभिन्न साहित्यकार और विद्वान भाग लेंगे। इस सत्र में हिंदी की स्थिति, उसके विकास की संभावनाएँ और भाषाई विविधता पर विचार किए जाएंगे। दूसरे सत्र में पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की काव्य-दृष्टि पर चर्चा होगी। निराला की रचनाएँ और उनके विचार हिंदी साहित्य में एक अनमोल धरोहर हैं, जो इस सत्र में विस्तृत रूप से चर्चा का विषय बनेंगी।


तीसरे सत्र में रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाओं का विश्लेषण किया जाएगा, जिसमें उनके सामाजिक और राजनीतिक विचारों को समझने की कोशिश की जाएगी। बेनीपुरी की साहित्यिक दृष्टि आज भी प्रासंगिक है, और इस सत्र में उनके योगदान पर गहन विमर्श होगा। महाधिवेशन के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा। इनमें काव्य पाठ, नाटक, और संगीत प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी, जो दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा को भी उजागर करेंगी। ये कार्यक्रम युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने का भी कार्य करेंगे।


इस महाधिवेशन का एक मुख्य उद्देश्य युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना है। इसमें नए साहित्यकार अपनी रचनाओं का प्रदर्शन कर सकेंगे, जिससे उन्हें व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचने का मौका मिलेगा। यह आयोजन युवा लेखकों को प्रेरित करेगा और उन्हें हिंदी साहित्य के प्रति और अधिक समर्पित बनाएगा।
महाधिवेशन में साहित्यिक संवाद को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। विभिन्न सत्रों में विचार-विमर्श, प्रश्न-उत्तर सत्र, और साहित्यिक चर्चाएँ होंगी। यह न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान करेगा, बल्कि साहित्य के प्रति रुचि को भी बढ़ाएगा। 43वां हिंदी महाधिवेशन हिंदी साहित्य को समर्पित एक अद्वितीय अवसर है। यह महाधिवेशन न केवल साहित्यिक चर्चाओं का मंच है, बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति नई पीढ़ी के प्रति जागरूकता और प्रेम का संचार भी करेगा। सभी साहित्य प्रेमियों और युवा लेखकों को इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह महाधिवेशन हिंदी साहित्य की समृद्धि का एक नया अध्याय होगा, जो सभी के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। डॉ. विपिन कुमार और अन्य विशिष्ट अतिथियों के नेतृत्व में, यह महाधिवेशन निश्चित रूप से हिंदी साहित्य के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सभी को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा, और यह हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को और भी मजबूत करेगा।

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