स्वास्थ्य

वेक्टर जनित रोग से बचाव के लिए जन-जागरूकता और सतर्कता बेहद  जरूरी : प्रभारी सिविल सर्जन 

– वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पर जन-जागरूकता को ले एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला

– सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई सभागार में आयोजित की गई कार्यशाला

मुंगेर, 30 मई-

सोमवार को मुंगेर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (आरपीएमयू) सभागार में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पर स्वास्थ्य विभाग एवं सेंटर फाॅर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के संयुक्त तत्वावधान में जन-जागरूकता के लिए एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला  आयोजित की गयी । कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों के द्वारा वेक्टर जनित 6 रोग से संबंधित चर्चा की गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से एईएस- जेई, डेंगू- चिकनगुनिया, कालाजार, फाइलेरिया और मलेरिया सहित अन्य रोगों के लक्षण और रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला के प्रभारी सिविल सर्जन डाॅ. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पर रोकथाम एवं इससे बचाव के लिए जागरूकता के साथ-साथ सतर्कता भी बेहद जरूरी है। इसलिए, मैं तमाम जिलावासियों से अपील करता हूँ कि वो कालाजार, फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव के लिए साफ-सफाई सहित अन्य सावधानियों का ख्याल रखें और इन बीमारियों का कोई भी  लक्षण दिखते ही तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान में जाकर जाँच कराएं। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए जिला में ना सिर्फ निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है बल्कि सरकार के द्वारा ऐसे मरीजों को सरकार के द्वारा सहायता राशि भी दी जाती है।

इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार सिंह, केयर इंडिया के डीपीओ मानस कुमार नायक, डीटीओएफ डाॅ. नीलू, डब्ल्यूएचओ के पदाधिकारी सहित जिला मलेरिया कार्यालय के कई पदाधिकारी और प्रखण्ड स्तर और कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और केयर इंडिया के अधिकारी उपस्थित थे। 

– जन- जागरूकता से ही वेक्टर जनित रोग पर रोकथाम संभव : 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वेक्टर जनित रोग से संबंधित सभी रोगों से बचाव के लिए जन- जागरूकता के साथ-साथ सतर्कता बेहद जरूरी है। इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन भी किया गया है ताकि सामुदायिक स्तर पर लोगों को उक्त बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी के साथ-साथ मरीजों के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधा की जानकारी ससमय मिल सके। उन्होंने बताया कि आम लोगों की जागरूकता से ही वर्तमान में मात्र पीकेडीएल  कालाजार (चमड़ा वाला) का एक मरीज है जबकि, मलेरिया और डेंगू का एक भी मरीज नहीं है। बावजूद इसके लोगों को अभी भी बचाव के लिए जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है । अभी भी उक्त बीमारी के दौर के शुरू होने की संभावना प्रबल है। 

– कालाजार के लक्षण :
– लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। 
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– प्लीहा में नुकसान होता है।

– छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल : 
– छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें।
– घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं। छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें।
– छिड़काव के पूर्व भोजन समाग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें।
– ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एसपी) का असर बना रहे।
– अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें।

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