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स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज संस्थान के साथ मिलकर टीबी पर लगाएगा लगाम

-आने वाले दिनों में कार्यक्रम की रूपरेखा होगी तय
-ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में बढ़ाई जाएगी जागरूकता

भागलपुर, 30 नवंबर-

जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। जागरूकता से लेकर तमाम तरह के अभियान चल रहे हैं। इसके जरिये मरीजों को चिह्नित भी किया जा रहा  और उसका इलाज भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में एक नई पहल शुरू होने वाली है। स्वास्थ्य विभाग और पंचायती राज संस्थान मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी को लेकर जागरूकता फैलाएगा। साथ ही मरीजों को चिह्नित और इलाज करने का काम भी किया जाएगा। जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की दिशा में यह एक और कदम है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. दीनानथ ने बताया कि आने वाले दिनों में टीबी को लेकर अभियान को और तेज किया जाएगा। पंचायती राज संस्थान के साथ मिलकर काम करने की बात हुई है। इसे लेकर जल्द ही एक रूपरेखा बनाई जाएगी कि किस तरह से काम करना है। उन्होंने कहा कि पंचायती संस्थान का ग्रामीण क्षेत्र पर  बेहतर पकड़ है। इससे उन इलाकों में मिलने वाले टीबी मरीजों का आसानी से सरकारी स्तर पर इलाज हो सकेगा। साथ ही लोगों को टीबी को लेकर जो सरकारी कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग चला रहा है, इसकी भी जानकारी मिलेगी।
टीबी के लक्षण दिखे तो जाएं सरकारी अस्पतालः डॉ. दीनानाथ ने बताया कि अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम के साथ खून आए, लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त अधिक पसीना आए तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में लोगों को सरकारी अस्पतालों का रुख करना चाहिए। वहां पर आपकी जांच की जाएगी। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो आपका तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। साथ में दवा भी मुफ्त में मिलती है। इसके अलावा जब तक इलाज चलता है तब तक मरीजों को पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है। इसलिए टीबी के इलाज में आर्थिक समस्या भी आड़े नहीं आएगी। अगर पैसे की समस्या है तो भी आप मुफ्त इलाज के जरिये ठीक हो सकते हैं।
टीबी के मरीज बीच में नहीं छोड़ें दवाः डॉ. दीनानाथ ने बताया कि टीबी के मरीजों को बीच में दवा नहीं छोड़नी चाहिए। जब तक आप पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते हैं तो तब तक दवा का सेवन करते रहें। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। अगर आप एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाते हैं तो ठीक होने में समय लग जाता है। साथ ही मरीजों को परेशानी भी उठानी पड़ती है। इसलिए बीच में दवा छोड़कर अपने लिए मुसीबत खड़ी नहीं करें। इससे टीबी के प्रसार का भी खतरा रहता है। एक आदमी से यह बीमारी कई लोगों में जा सकती है। इसलिए दवा का लगातार सेवन करते रहें। जल्द ठीक हो जाइएगा।

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