स्वास्थ्य

टीबी के प्रति भेदभाव खत्म करने के लिए जागरूक करने का उठाया बीड़ा

-रजौन प्रखंड के आसमानीचक की आशा कार्यकर्ता विनीता देवी क्षेत्र में काफी सक्रिय
-अपने क्षेत्र के टीबी के मरीजों को जागरूक कर अस्पताल पहुंचाने का कर रही हैं काम

बांका, 6 नवंबर-

जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर तमाम जागरूकता कार्य़क्रम भी चलाए जा रहे हैं। बहुत सारे लोग इसके प्रति जागरूक भी हो रहे हैं, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में इसके प्रति उतनी जागरूकता नहीं है, जितनी होनी चाहिए। इस वजह से लोग भेदभाव भी करते हैं। इसलिए स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ फ्रंटलाइन वर्कर की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस जिम्मेदारी का ये लोग निर्वाहन भी कर रहे हैं। रजौन प्रखंड के आसमानीचक की आशा कार्यकर्ता विनीता देवी इस काम को बखूबी कर रही हैं। लोगों को वह टीबी के प्रति जागरूक कर रही हैं।
विनीता कहती हैं कि गांव के बहुत सारे लोगों में जागरूकता है, लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो टीबी को बहुत बड़ी बीमारी समझते हैं। अगर लक्षण का पता चलता है तो बाहर बड़े अस्पताल में इलाज कराने के लिए चले जाते हैं। इससे उनका समय भी बर्बाद होता है और पैसा भी। साथ में इलाज में भी देरी होती है। इस बात को मैं देखती थी तो मुझे थोड़ा सही नहीं लगता था। जब पास के सरकारी अस्पताल में टीबी के इलाज की पूरी व्यवस्था है तो भला कोई बाहर इलाज कराने क्यों जाए। जब मुफ्त में इलाज की व्यवस्था है तो पैसे बर्बाद क्यों करें । इसी को सोचकर मैंने टीबी को लेकर जागरूकता अभियान को तेज किया। साथ ही इस बीमारी के प्रति लोगों में जो भेदभाव रहता है उसे भी दूर करने का काम करती हूं।
लोगों पर पड़ रहा है असरः
विनीता कहती हैं कि अभियान के दौरान अगर कोई मरीज भी मिल जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाती हूं। मैं क्षेत्र के दौरा करने के दौरान लोगों को बताती रहती हूं कि अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम के साथ खून आए, लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त अधिक पसीना आए तो टीबी जांच करा लें। अगर टीबी की पुष्टि होती है तो मुफ्त में जांच और इलाज होगा। साथ में दवा भी मुफ्त मिलेगी। इसके अलावा जब तक इलाज होगा, तब तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी मिलेगी, पौष्टिक आहार के लिए। इसका असर लोगों पर पड़ रहा है।
जल्द खत्म होगा टीबीः एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि टीबी को पूरी तरह खत्म करने में सभी को योगदान देना होगा। स्वास्थ्यकर्मी तो अपना काम कर ही रहे हैं। इसके साथ-साथ अगर आमलोग भी इसमें सहयोग करेंगे तो यह बीमारी हमारे समाज से जल्द खत्म होगी । टीबी के मरीज अगर मिले तो उससे भेदभाव करने के बजाय उसका इलाज करवाना चाहिए। इससे टीबी का प्रसार नहीं हो सकेगा। इसी तरह के अन्य सामाजिक सहयोग की जरूरत है।

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