विविध

ग्रामीण डॉक्टरों को टीबी की दी गई ट्रेनिंग

-ट्रेनिंग के दौरान टीबी के लक्षण और बचाव के बारे में दी गई जानकारी
-किसी में लक्षण मिलने पर सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया

भागलपुर, 4 अगस्त-
 
नाथनगर के चंपानगर स्थित सामुदायिक भवन (वार्ड नंबर-2) में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएसपीटी) ने इनफॉर्मल हेल्थकेयर प्रोवाइडर और सीएस लीडर (ग्रामीण डॉक्टरों) को टीबी को लेकर ट्रेनिंग दी। इस मौके पर ग्रामीण डॉक्टरों को टीबी के लक्षण और बचाव को लेकर जानकारी दी गई। ट्रेनिंग के दौरान ग्रामीण डॉक्टरों को बताया गया कि अगर आपके पास टीबी के लक्षण वाले कोई भी व्यक्ति दिखे तो उसे तत्काल सरकारी अस्पताल भेजने की कोशिश करें। इससे हमारा देश और समाज जल्द से जल्द टीबी से मुक्त हो जाएगा।
केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि ग्रामीण डॉक्टरों को टीबी के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्हें बताया गया कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, खांसी के साथ बलगम हो, शाम के समय  पसीना आए, बार-बार बुखार आने की समस्या हो तो ऐसे लोगों को सरकारी अस्पताल भेजने की कोशिश करें। सरकारी अस्पतालों में टीबी का समुचित इलाज होता है और वह भी मुफ्त में। जांच, इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में दी जाती है। साथ में जब तक इलाज चलता है, तब तक मरीजों को पौष्टिक आहार लेने के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी दी जाती है। इसके अलावा जो व्यक्ति  किसी को जांच के लिए अस्पताल लाता है और पुष्टि हो जाती है कि उसे टीबी है तो लाने वाले व्यक्ति को भी पांच सौ रुपये की राशि दी जाती है। इसलिए आज से ही अगर कोई व्यक्ति ऐसा दिखे, जिनमें टीबी के लक्षण हों तो उसे नजदीकी  सरकारी अस्पताल लेकर आएं।
घनी आबादी में ज्यादा मामले रहने की आशंकाः आरती झा ने बताया कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में टीबी के मरीजों के होने की आशंका ज्यादा रहती है। इसलिए हमलोग ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार इस तरह का अभियान चला रहा है। ट्रेनिंग से लेकर केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक भी लगातार आयोजित की जा रही है। इसके जरिये टीबी मरीजों की खोज से लेकर उसके इलाज तक को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस काम में स्वास्थ्य विभाग का भी लगातार सहयोग मिल रहा है। वहीं टीबी चैंपियन के जरिये भी लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने का काम किया जा रहा है। टीबी को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

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